थ्रिल हॉरर सस्पेंस – तहलका – राज कॉमिक्स (Thrill Horror Suspense – Tahalka – Raj Comics)
तहलका: जब कच्छा गिरोह से टकराया प्रोफेसर तहलका – राज कॉमिक्स की हॉरर थ्रिल क्लासिक! (Tahalka: When Professor Tahalka clashed with the Kachha Gang – Raj Comics horror thriller classic!)
1990 के दशक में जब राज कॉमिक्स ने हॉरर, थ्रिल और सस्पेंस को मिलाकर एक नई दिशा दी, उसी दौर में आई एक ब्लॉकबस्टर हॉरर कॉमिक्स – “तहलका” (Tahalka)। एक तरफ खौफनाक कच्छा गिरोह, दूसरी ओर साइंस और परालौकिक प्रयोगों का उस्ताद प्रोफेसर तहलका, और बीच में छुपा है डर, रहस्य और बदले की आग। थ्रिल हॉरर सस्पेंस की बहुत ही शानदार कॉमिक्स थी तहलका, भारत में नब्बें के दशक के दौरान चर्चित अपराधिक गैंग ‘चड्डी बनियान’ ग्रुप बहुत ज्यादा ख़बरों में था और शायद उसी के बैकड्राप में राज कॉमिक्स ने इस काॅमिक्स को बनाया था।

कच्छा गिरोह जो की क्रूर थे, पूरे जालिम थे और वह किसी भी लूट के पहले पानी से हाथ नहीं धोते थे बल्कि खून से धोते थे और उनके शास्त्र भी बहुत अजीब थे जैसे चारपाई के पाए, लोहे की छड़े, लकड़ी की खपच्चियां, एक तरह से दुर्दांत हत्यारें! खून-ख़राबे और डरावने जीवों के साथ हॉरर का एक ऐसा जाल बुना गया जो राज कॉमिक्स के हर पाठक के दिल में डर की सिहरन पैदा कर गया।
कहानी (Story)
कहानी शुरुआत की होती है एक लूट से जहां पर बहुत ही क्रूर तरीके से “कच्छा गिरोह” के कुख्यात सदस्य एक परिवार की हत्या करते हैं और वहां से लूट का सामान लेकर फरार हो जाते हैं लेकिन आगे जाते ही उनका उनकी मुठभेड़ पुलिस से हो जाती है और पुलिस उनका पीछा करने लगती है। एक पहाड़ी के मोड़ पर गिरोह की जीप पहाड़ी से नीचे गिर जाती है और पुलिस वाले समझते हैं कि शायद कच्छा गिरोह आज समाप्त हो गया, हालांकि कच्छा गिरोह के सभी सदस्य थे वह बच जाते हैं जिनमें उनका लीडर रहता है ‘पगला’ और साथ में और 4 सदस्य रहते हैं जैसे चांडाल उर्फ़ चंडू, पंगा, बिरजा और लोखा। पगला उन्हें कहता है कि उनका भाई पास में हवेली में रहता है जो की भूतिया कहलाती है और हम रात को उसके हवेली में सर छुपाने की जगह देख सकते हैं।
हवेली में प्रोफेसर तहलका एक प्रयोगशाला बनाता है जहां पर वह परालौकिक शक्तियों पर कुछ तो एक्सपेरिमेंट या कहें अनोखा आविष्कार करता है। जंगल के बिल्कुल किनारे में और कोने में होने के कारण वहां कोई नहीं आता-जाता नहीं लेकिन आज पगला अपनी कच्छा गिरोह के साथ वहां पर प्रोफेसर तहलका के पास पहुंचता है और वह प्रोफेसर से दरख्वास्त करता है कि हम लोग सर छुपाने के लिए जगह चाहते हैं एवं पुलिस हमारे पीछे पड़ी है। प्रोफेसर तहलका का एक रिमोट वहां टेबल पर रखा रहता है जिस पर पंगा करके जो एक सदस्य होता है वह कुछ बटन दबा देता है, तो अचानक ही सबके सामने एक कंकाल की शक्ल का उड़ता हुआ विशालकाय पक्षी आ जाता है जिसका नाम था ‘शैतान’, हालांकि प्रोफेसर तहलका उसे तुरंत ही रिमोट से बंद करके वहां से गायब कर देते है, यह देखकर सब बिल्कुल हैरान रह जाते हैं लेकिन प्रोफेसर तहलका कहता है कि वही उसका अविष्कार है और यह जो शैतान है इसका नाम है ‘कंकाल पंजा’ और यह आविष्कार वह बहुत जल्द भारत सरकार के हाथों को सौंपने वाला है।

हालांकि तभी वहां पर पुलिस के सायरन की आवाज आती है, कुत्तों की भौंकने के भी आवाज़े आती है जिसे सुनकर पगला कहता है कि अगर पुलिस ने यहां पर आकर तलाशी ली तो हमारे साथ तो तुम भी जेल जाओगे प्रोफेसर तहलका और तुम भी अपराधी कहलाओगे! इसलिए एक काम करो इस रिमोट से पुलिस वालों को एक-एक करके निपटा दो, हालांकि प्रोफेसर तहलका पहले तो इस काम के लिए मना करता है लेकिन बाद में अपने आविष्कार को खतरे में पाते हुए वह कच्छा गिरोह के साथ पुलिस वालों को रास्ते से हटाने के लिए मान जाता है।
बहुत ही खतरनाक ‘तहलका’ मचता है जब प्रोफेसर तहलका अपना रिमोर्ट चालू करते हैं, अनोखे अजीबोगरीब डरावने जीव जिसमें बड़े-बड़े सरी सृर्प और शैतान, मुर्दे जो रो रहे थे! वह खतरनाक तरीके से पुलिस वालों पर अटैक कर देते हैं और एक भी पुलिस वाला नहीं बचता। इस तरीके से बदमाश पुलिस वालों का सफाई तो कर देते है लेकिन प्रोफेसर तहलका को भी हत्यारा बना देते हैं, बाद में चंडू सभी पुलिस वालों की लाशों को ठिकाने लगा देता है और पगला कहता है कि आज की रात हम ही रुक जाते हैं और कल हम यहां से निकाल लेंगे!
प्रोफेसर उस पल को उनकी बात मान जाता है। रात को चंडू, पगला से कहता है कि देखो इस रिमोट से हम बहुत कुछ कर सकते है। आजकी लूट भी असफल हो चुकी है इसलिए आगे जाकर अगर हम यह रिमोट हथिया लें और प्रोफेसर तहलका का मर्डर कर दें तो हम बहुत पैसे कमाएंगे। हालांकि पहले तो पगला उसे बात को हवा में उड़ा देता है क्योंकि प्रोफेसर तहलका उसका भाई था! लेकिन शैतानों के ऊपर शैतानियत सवार हो चुकी थी, कच्छा ग्रुप प्रोफेसर तहलका की हत्या कर देता है बहुत ही नृशंस तरीके से, लेकिन लाश को ठिकाने लगाने से पहले ही अद्भुत तरीके से प्रोफेसर तहलका का शरीर मोम जैसे गल जाती है।

उसके बाद उस रात और कुछ नहीं होता एवं बाद में फिर शहर में चालू होती है अजीबोगरीब घटनाएं जहां पर बड़े-बड़े उद्योगपतियों एवं व्यवसाईयों के घरों पर होता है शैतानों का हमला, उनका आतंक बहुत ही ज्यादा खून खराबे से भरा होता है और इसके साथ लूट की घटनाएं होती हैं। इस तरीके से होती हत्याओं को पुलिस भी समझ नहीं पाती कि इस आतंक के पीछे आखिरकार कौन है? कभी कंकाल पंजा, कभी रोता हुआ मुर्दा, ऐसे अनोखे प्राणी जिनको कभी किसी ने देखा नहीं था अचानक से आकर लूट मचाने लगते हैं और इस तरीके से कच्छा गिरोह के पास दौलत का भंडार लग जाता है।
वह काफी खुश थे लेकिन दो रात बाद बिरजा नाम का एक बदमाश की हवा निकल गई जब उसे खड़की में प्रोफेसर तहलका का चेहरा दिखाई दिया, इससे पहले कोई कुछ समझ पाता, सबके सब बेहोश हो जाते है! सिर्फ पंगा बचा रहा, तभी अचानक खून की एक नदी बहती है जिससे शक्ल बनती है प्रोफेसर तहलका की! उसके बाद क्या होता है यही पूरी कहानी में बताया गया है कहानी में एक इंस्पेक्टर भी है जिसका नाम है बृजेश नंबूरी और जो पड़ा है इस कच्छा गिरोह के पीछे! तो क्या हुआ फिर इन अपराधियों का? क्या प्रोफेसर तहलका अपनी मौत का बदला उनसे ले पाया? उसे दौलत का क्या हुआ? जब बृजेश नंबूरी अपनी पुलिस फौज के साथ कच्छा गिरोह का आतंक समाप्त कर पाया? और क्या हुआ “तहलका” का जिसमें थे बहुत सारे भयानक शैतान!

टीम (Team)
इस कहानी को लिखा था मीनू वाही जी ने, पटकथा को अंजाम दिया तरूण कुमार वाही जी ने, संपादन था राज काॅमिक्स की शानदार टीम का, और साथ ही इसमें शानदार चित्रकारी की है हॉरर के मास्टर इलस्ट्रेटर मिस्टर विनोद कुमार जी ने। यह थ्रिल हाॅरर सस्पेंस का बहुत ही शानदार धमाका था जिसके बहुत से विज्ञापन उसे दौर में राज कॉमिक्स के काॅमिक्स के पृष्ठों पर नजर आ जाते थे। कॉमिक्स का आवरण बनाया था प्रताप मुल्लिक जी ने, जो काफी डरावना और हौलनाक दिखाई पड़ता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कहानी में आगे क्या हुआ? जानने के लिए आपको पढ़नी पड़ेगी 90 के दशक की बहुत ही शानदार कॉमिक्स और इसका नाम है ‘तहलका’, राज कॉमिक्स ने इसका बहुत जबरदस्त विज्ञापन एक के बाद एक रिलीज किया था। काॅमिक्स बहुत डरावनी थी अपनी समय में और लोकप्रियता के शिखर पर थी। मेरे ख्याल से और अगर आपने अभी तक इसे नहीं पढ़ा तो आप आज भी जाकर पढ़ सकते हैं, विनोद जी का बहुत ही बढ़िया आर्टवर्क है, कहानी तेज रफ्तार है और कुछ ना कुछ घटनाएं लगातार होती रहती है और हॉरर पढ़ने के शौकीनों के लिए तो यह बहुत ही अच्छी कॉमिक्स है। इसमें काफी खून खराबा भी है इसलिए इसे 18 साल से अधिक उम्र के ऊपर के लोग ही पढ़े तो ज्यादा बेहतर है। इसके साथ ही कॉमिक्स में अन्य जानकारियां भी थी जैसे आने वाले आगे हमें विशेषांक कौन-कौन से है और आगामी आकर्षण।

अगर आप राज कॉमिक्स के फैन हैं या डरावनी और थ्रिलर कहानियों का शौक रखते हैं, तो “तहलका” आपके कलेक्शन में जरूर होनी चाहिए। यह कॉमिक्स न सिर्फ एक शानदार हॉरर राइड है, बल्कि 90 के दशक के क्लासिक भारतीय कॉमिक्स क्रिएशन का बेहतरीन उदाहरण है। आज भी यह कई वेबसाइट्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है – खोजिए, पढ़िए और दुबारा उस तहलका को महसूस कीजिए! क्या आपको ‘तहलका’ याद है? हमें अपनी टिप्पणियों में बताएं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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