जासूस टोपीचंद (Jasoos Topichand)
जासूस टोपीचंद (Jasoos Topichand) राज कॉमिक्स का एक पुराना पात्र है, इस किरदार की पहली कॉमिक्स ‘जासूस टोपीचंद के कारनामे’ जनरल संख्या #58 थीं और ये वर्ष 1987 को प्रकाशित हुई थी एवं अंतिम कॉमिक्स ‘हिंसा की जड़’ जनरल संख्या #445 वर्ष 1993 को राज कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित की गई थी, इसके अलावा ‘टोपीचंद जासूस’ नाम की एक कॉमिक्स विशेषांक – ‘फाइटर टोड’ सीरीज भी प्रकाशित की गई थी जो शायद इसी पात्र से प्रेरित होकर लिखी गई थी इसमें सभी ‘टोडस’ टोपीधारी जासूस बने घूमते है और उसका एक अगला भाग भी था जिसका नाम था ‘किडनैपर’ लेकिन जासूस टोपीचंद का कॉमिक्स में कही जिक्र नहीं है. (Cover Credits: Jagdish Bharati Ji ‘Facebook Timeline’)
जासूस टोपीचंद के रचियता है श्री ‘जगदीश भारती’ जी, हालाँकि वो मधु मुसकान में अपने कार्य के लिए ज्यादा प्रसिद्द है लेकिन उन्होंने राज कॉमिक्स के लिए भी एक पात्र की रचना की जिसका नाम है ‘जासूस टोपीचंद’. जैसा की नाम से ही प्रतीत होता है की यह एक जासूस का किरदार है और टोपीचंद इसलिए क्योंकि उनके सर पर एक खास तरह की टोपी जो की एक ‘अत्याधुनिक कंप्यूटर’ है. उनके हर मिशन में उनका साथ देता है उनका पालतू कुत्ता ‘पिंटू’ जो की एक रोबोट है.
नीचे दिये गए है ‘जासूस टोपीचंद’ से जुड़े कुछ खास तथ्य एवं जानकारियाँ –
पब्लिकेशन: राज कॉमिक्स (राजा पॉकेट बुक्स) – (Raj Comics)
नाम: जासूस टोपीचंद
पेशा: जासूस और वौज्ञानिक
परिवार: कुत्ता ‘पिंटू’ (रोबोट), चमत्कारी टोपी (कंप्यूटर)
मित्र: डी एस पी शर्मा, कोतवाल राम सिंह, इंस्पेक्टर धुरन्दर नाथ
कार्यक्षेत्र: भारत
कर्म: जुर्म को रोकना एवं अपराधियों को पकड़ना
युद्ध घोष: कोई नहीं लेकिन अपराधियों को पकड़ने के बाद ‘ही ही’ जरुर करते है
ताकत –
- बेहद तेज़ दिमाग.
- चमत्कारी आधुनिक कंप्यूटर वाली टोपी जो सिर्फ उनका ही आदेश मांनती है.
- कुत्ता ‘पिंटू’ जो की एक रोबोट है और आर्टिफ़िशिअल इंटेलिजेंस से लैस है जैसे उनकी टोपी.
- बंदूक – जासूस टोपीचंद अकसर अपराधियों को पिंटू और अपने बंदूक के दम पर रोक लेते है, वो कई बार दो बंदूके लेकर भी दिखे है.
- करामाती टोपी भी कई चीज़ों से लैस है जैसे दूरबीन और एक्स रे विज़न.
- कुत्ता पिंटू भी 100 मील की रफ़्तार से दौड़ सकता है और अपने पूँछ से विद्दुत प्रवाहित कर सकता है.
- जासूस टोपीचंद अपने पास एक ट्रांसमीटर भी रखता है ताकि वक़्त पड़ने पर पुलिस को सूचित किया जा सके.
तथ्य –
- ‘जासूस टोपीचंद’ एक पहुंचा हुआ वैज्ञानिक है. अपनी करामाती टोपी और कुत्ते पिंटू का आविष्कार उन्होंने खुद किया है.
- टोपी और पिंटू दोनों ही ‘AI’ यानि आर्टिफ़िशिअल इंटेलिजेंस से चलते है.
- जासूस टोपीचंद घूमने के शौक़ीन है और वो अक्सर समुद्री तटों से लेकर विहंगम वादियों में विचरण करने जाते रहते है.
- राज कॉमिक्स ने ‘जासूस टोपीचंद’ की कुल 7 कॉमिक्स प्रकाशित की है.
- इन कॉमिक्स में पूरी कहानी 30-32 पन्नों में ना होकर छोटे छोटे टुकड़ों में होती थी और हर एक कहानी 2-3 पृष्ठों की होती थी और हर कॉमिक्स में आपको काफी सारे कहानियों से रूबरू होने का मौका मिलता था.
ये किरदार भले ही ‘जासूस’ का हो लेकिन इसके एक्सप्रेशंस और बर्ताव बड़ा मजेदार होता था और अपने चुटीले अंदाज में आपका मनोरंज करने में कामयाब भी. चित्रकारी बेहद शानदार और किरदार को ध्यान में रखकर की गई है. श्री जगदीश भारती जी के ‘कूंची’ की बात ही निराली है. पब्लिकेशन कोई भी हो जगदीश जी ने पाठकों और फैन्स के दिलों में जगह बनाई है. जासूस टोपीचंद के अधिकतर कवर्स में अकसर ‘विजय कदम’ जी ही चित्रकारी करते थे और सारे कवर्स बेहद ही खूबसूरत थे.
‘जासूस टोपीचंद’ ने अपनी कहानियों में नकली नोट छापने वालों से लेकर ठगों, गुंडों, तस्करों और यहाँ तक की मंझे हुए माफ़िया बॉस को भी पटखनी दी है, इसके कई साल बाद मैंने मिस्टर बीन की ‘जॉनी इंग्लिश’ देखी और मेरे मन में ये विचार आया की अपना ‘जासूस टोपीचंद’ समय से कितने आगे ही हम भारतियों से मिल चुका था. ‘जासूस टोपीचंद’ की कहानियों में कई चौकाने वाली चीज़े भी थी जो काफी बाद में गौर की गई जैसे –
- उनके एक कहानी में ‘ऑटोमैटिक’ कैमरे का जिक्र है (वर्ष 1987) की हिसाब से अद्भुद है ना!
- एक कहानी में वो सामाजिक संदेश देते दिखे की पार्क वगैरह में ‘सोने के आभूषण’ पहन कर ना घूमे, चोरी का प्रयास हो सकता है. (जैसे आजकल चैन स्नैचइंग)!
- सुबह उठकर सैर की जाये क्योंकि इससे स्वास्थ लाभ मिलता है!
अब इतने सारे तथ्य और सामाजिक संदेश पढ़कर आप ये तो बिलकुल नहीं कहेंगे ना की कॉमिक्स मात्र बच्चों के पढ़ने लायक होती है, जरा सोचिये एक कॉमिक्स क्रिएटिव वहाँ से सोचना शुरू करता है जहाँ तक पहुँचने आपको बरसों लगते है एवं मनोरंजन का इससे बेहतर विकल्प मुझे तो नज़र नहीं आता, आभार – कॉमिक्स बाइट!
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