कॉमिक्स रिव्यु: चाचा चौधरी और राका की तबाही
डायमंड कॉमिक्स का 1000 वां अंक, जाहिर है इसे तो ख़ास होना ही था. ‘राका‘ एक ऐसा किरदार जो मर नहीं सकता, जिसने वैधराज चक्रमाचार्य की अद्भुद दवाई पी रखी है, जिसे पकड़ने में ‘साबू‘ जैसे बलवान के भी पसीने छूट गए, ‘चाचा चौधरी‘ (Chacha Choudhary) स्वयं उसे बंदी कैसे बनाया जाएं का ‘फार्मूला’ हमेशा ढूँढ़ते रहते है. डायमंड कॉमिक्स में अगर कोई खूंखार अपराधी प्रवत्ति का किरदार रहा है तो वो ‘राका’ ही है. ये कॉमिक्स थोड़ी डार्क होती थी और इसके बाद आप ‘डायनामाइट’ को उस श्रेणी में रख सकते है या अग्निपुत्र-अभय की अन्य कॉमिक्स को जो उसी पैटर्न के ढर्रे पर थी (मार-काट, एक्शन). वर्ष ‘1996’ में रिलीज़ हुयी ‘राका की तबाही‘ (Raka Ki Tabahi) का इंतज़ार मुझ जैसे लाखों कॉमिक्स प्रेमी कर रहे थे. इस कॉमिक्स का ‘हाइप’ इतना जबरदस्त था ‘बाल पत्रिकाओं’ में उसके विज्ञापन कई दिनों से आ रहे थे.
राका के बारे में जानकारी के लिए पढ़े – राका: कॉमिक्स जगत के अपराधियों का शहंशाह
इस कॉमिक्स की संख्या थी D-1000 और इसका मूल्य था 15 रूपए. इस कॉमिक्स को पढ़कर आप 1 लाख रूपए तक के ईनाम भी जीत सकते थे. पृष्ठ संख्या 90. अब इसे आप कहते है कम्पलीट पैकेज. डायमंड कॉमिक्स के मुख्य आवरण में राका बेहद गुस्से में साबू की ओर बंदूक ताने खड़ा है (विदेशी बंदूक), साबू की भी आँखों में क्रोध दिख रहा है, राका के पीछे ‘राकेट’ भी भौंकता दिखाई पड़ रहा है और चाचा जी दूर से भागते हुए राका को रोकने की मुद्रा में आते हुए दिखते है. पीछे कई इमारतों में आगज़नी हो रखी है. शीर्षक – ‘राका की तबाही’ और साथ में कार्टूनिस्ट ‘प्राण’ मार्का. ये कवर भी बड़ा अद्भुद बनाया है प्राण सर ने.
कहानी
यहाँ शुरुवात होती है एक स्कूल की अध्यापिका के ‘एक्सीडेंट’ से, कॉन्स्टेबल ‘रहीम’ एक्सीडेंट करने वाले लड़कों को धर दबोचता है और उनका बाप एक बड़ा माफिया डॉन है. कॉन्स्टेबल रहीम को मारने की नाकाम कोशिश में दो ‘बदमाश’ चाचा चौधरी और साबू द्वारा धर लिए जाते है और बाकी का कार्य ‘पुलिस फ़ोर्स’ कर लेती है. दूसरी ओर इमारत बनाने में लगने वाले पत्थरों की एक बड़ी कंपनी को हिमालय के क्षेत्र में खनन का बड़ा टेंडर मिलता है और एक मज़बूत पहाड़ को ‘डायनामाइट’ की छड़े लगा के उड़ा दिया जाता है, इस घटना से पर्वत कमज़ोर हो जाता है और उससे बाहर निकलता है एक ऐसा जलजला जिसे दुनिया ‘राका’ के नाम से भी जानती थी. राका को भूख लगती है और नीचे तराई में एक गाँव दिखाई पड़ता है, वहाँ ‘भीमा’ नाम का एक पहलवान कसरत कर रहा होता है, राका की भीमा से जबरदस्त टक्कर होती है और अंततः वो अपनी भूख शांत कर शहर की ओर निकल पड़ता है.
शहर में ‘डॉन रावण’ नाम के अलग शैतान ने आतंक मचा रखा है, वो भले लोगों को मार कर दुनिया में शैतान का राज लाना चाहता है, वो अंधकार के उपासक है, हथियारों के एक बड़े जखीरे को उन्हें प्राप्त करना है, यहाँ पर साबू और चाचाजी उनसे टकरा जाते है, अचानक से वहाँ राका भी आ जाता है सभी के बीच भयानक युद्ध होता है, एकाएक आई आंधी से साबू की ओर पलटती बाज़ी हाँथ से निकल जाती है और डॉन रावण के साथी एवं राका वहाँ से भाग निकलते है, यहाँ राका का दिल ‘मिस इंडिया’ पर आ जाता है एवं वो उसका अपहरण कर लेता है बाद में कहानी में कुछ और ट्विस्ट के बाद राका ‘विश्व’ के लिए बड़ा खतरा बन जाता है और भारत पर परमाणु बम का खतरा मंडराने लगता है. फिर क्या होता है? मिस इंडिया क्या राका की कैद से छूट पाती है? परमाणु बम का क्या हुआ? डॉन रावण की टीम कहाँ थी? चाचाजी का कौन सा फ़ॉर्मूला इस बार कामयाब हुआ! ऐसे ही कई सवाल है जिसके जवाब आपको मिलेंगे ‘राका की तबाही‘ में.
आर्टवर्क
स्वर्गीय ‘कार्टूनिस्ट प्राण’ या ‘प्राण कुमार शर्मा’ कॉमिक्स जगत एक बड़ा नाम थे, सधे, सीधे, सरल शब्दों में वो बहुत कुछ कह जाते थे. हम सब पाठक और आर्टिस्ट तो उनके बच्चे/शिष्य जैसे है. गुरु के बारे में और क्या लिख सकता हूँ, बेजोड़, सदाबहार और शानदार. आज भी उनकी कहानियाँ और इलस्ट्रेशन समाज के तंत्र पर करारी चोट करते है. पद्मश्री ‘कार्टूनिस्ट प्राण’ जी को हम सभी कॉमिक्स प्रेमियों का नमन.
संदेश: इस कॉमिक्स में हमें राका के ‘माता’ के भी दर्शन मिलते है और एक सामाजिक संदेश भी दिया जाता है की अगर माँ ने अपने लाडले को बचपन में ही टोका होता तो राका कभी ‘डाकू राका’ ना बनता, इसका तो यही मतलब निकलता है शह देने से चीज़े बिगड़ जाती है, अगर उस दिन ‘राका’ की माँ उसे एक झापड़ रसीद कर देती तो हो सकता है वो अपराध जगत में कदम ना रखता.
ईनामी प्रतियोगिता
100000 /- रूपए के इनाम भी थे जीतने के लिए, 1000 वें डायमंड कॉमिक्स के शुभ अवसर पर डायमंड कॉमिक्स (Diamond Comics) का तूफानी धमाका था ये. ‘प्राण’ सर के आर्टवर्क पर कलर करके आपको इसे डायमंड कॉमिक्स के कार्यालय में प्रेषित करना था. ‘रसना’, ‘लिबर्टी’,’एक्शन’,’बिग बबल’ और ‘सेण्टर फ्रेश’ जैसे ब्रांड्स से प्रायोजित पुरूस्कार थे.
सभी पाठकों से यही अनुरोध करूँगा की इस कॉमिक्स को बिलकुल भी मिस ना करें और एक बार अवश्य पढ़े अगर आप चाचा चौधरी के फैन है या साबू के या डेंजरस ‘राका’ के, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
अरे काश यह भी मिल जाती तो !!
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