केस स्टडी: कॉमिक्स दीवानगी, नैतिक जिम्मेदारी और ‘कॉमिक्स अगेंस्ट कोरोना’ कैंपेन का उदय
जी हां, कॉमिक्स की दीवानगी की हद होती है, होनी भी चाहिए लेकिन कॉमिक्स या किताबें जीवन से बढ़ कर नहीं हैं, खासकर जब बात दूसरों के जीवन की हो।
आज जब दुनिया कोरोना वायरस से ग्रसित है और सभी को इसका प्रभाव झेलना पड़ रहा है कॉमिक्स के चाहने वाले पाठक, विक्रेता और कॉमिक्स व्यवसाय जो कि हार्डकॉपी पर आधारित था वो लगभग बंद हो चुका है क्योंकि देशव्यापी लॉक डाउन के कारण आवागमन बंद है, ये स्थिति अब बिल्कुल स्पष्ट दिखती है और शायद आगे भी बनी रहेगी।
आज हम बात करेंगे कॉमिक्स जगत में सबसे संजीदा रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज करने वाले और हवा का रूख समझ कर उस पर तुरंत एक्शन लेने वाले “एमआरपी बुक शॉप” की जिसने की इन हालातों के मद्देनजर व्यवसाय को परे रखते हुए कर्तव्य को ऊपर रखा और कोरोना वायरस के आगमन होते ही अपनी गतिविधियों को विराम देकर एक उदाहरण पेश किया कि कॉमिक्स की हद चिन्हित करके काम करना उपयुक्त है।
बात 14 तारीख की है जब दिल्ली में व्याप्त दंगे के माहौल के थोड़ा ठंडा होते ही अपने सभी पुराने कॉमिक्स के ऑर्डर्स को पूरा कर करके एम आर पी बुक शॉप ने अपने अगले सेल की रूपरेखा पर जमीनी काम शरू करने की तैयारी कि जिसकी रूपरेखा एक महीने पहले ही तैयार कर ली थी व हजारों रुपये के प्रोडक्ट्स की बिक्री का इंतजाम को अंजाम देना था। एमआरपी बुक शॉप अब तक 4000 कॉमिक्स से ज्यादा का रिकॉर्ड सेल लगभग 2 महीने के वर्किंग पीरियड में कर चुकी है व अपने अनुभवों के आधार पर वह अपनी प्लानिंग में फ्लेक्सिबल रहती है, यधपि अब तक कोरोना का फैलाव और खतरा भारत मे सीमित रूप से था परंतु मौके की नजाकत को भांपते हुए सावधानीयों की एक पूरी गाइडलाइन को एमआरपी बुक शॉप ने तैयार कर ली जैसे कि जो प्रोडक्ट उनके स्टॉक में 2 हफ्ते से ज्यादा पुराने नहीं उन्हें अलग करके हटा दिया जाए। जो भी ऑर्डर्स आएं ग्राहकों को निश्चिंत करने के लिए की वह प्राकृतिक रूप से “Sanitize” है, ऑर्डर्स 3 हफ्ते बाद डिस्पैच किये जायें और पार्सल को प्राप्त करने पर ग्राहक उसे 2 हफ्ते तक न खोलें ताकि रास्ते में यदि कोई भी संभावना हो उस पार्सल के इन्फेक्टेड व्यक्ति से संपर्क में आने की तो वह खतरा या शक दूर किया जा सके, यानी लगभग 1 महीने का ‘Sanitation’ प्लान जो जरूरी था।
यद्यपि बदलते हालातों पर लगातार नजर रखते हुए अगले कुछ दिन बाद यह तय किया गया कि हालात खराब हैं और बिगड़ने वाला है सो किसी भी प्रकार से ग्राहकों को नाहक़ खतरे में डालने से अच्छा इस गतिविधि को ही सकारात्मक रुख अपनाते हुए रोक दिया जाए और भविष्य में जब हालात अच्छे हों तब शुरू किया जाएगा। सारे प्लान कैंसिल कर दिए गए, तुरंत प्रायोरिटी निर्धारित की गई कि किसी भी प्रकार से कोरोना को शह नहीं दी जा सकती क्योंकि “नैतिक कर्तव्य” व्यापार और कॉमिक्स के प्रेम से ऊपर है।
कुछ दिनों बाद जनता कर्फ्यू की माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उद्घोषणा कर दी गई, बदलते परिवेश को देख दूरदर्शिता दिखाते हुए एम आर पी बुक शॉप ने समझ लिया कि ये लॉकडाउन की शुरुआत है और अपनी गतिविधियां बंद करना उचित कदम रहा, एक दो बाकी बचे पुराने ऑर्डर्स को सावधानीपूर्वक डिस्पैच करके रवाना किया गया। कुछ ग्राहकों से संपर्क करके उनके पार्सल होल्ड पर किये गए क्योंकि उनके क्षेत्र में कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा था। इस प्रकार पूर्ण रूप से गतिविधियों को स्थगित कर दिया गया। और जनता कर्फ्यू के बाद घोषित 1 हफ्ते के लॉकडाउन का स्वागत किया गया। पर बदलते हालातों के मद्देनजर या व अनुभव आधारित अनुमान था कि यह लॉकडाउन बहुत आगे जाएगा और महीनों तक चल सकता है। इसी प्रक्रम में एक वीडियो भी बनाया गया जिसमें कोरोना वायरस के कॉमिक्स के संदर्भ में ग्राहकों, सेलर्स और अन्य लोगों पर संभावित खतरे से भी अवगत कराया गया था व कुछ गाइडलाइन भी दिए गए थे। ये कॉमिक्स थ्योरी लाइव के यू ट्यूब चैनल के माध्यम से प्रेषित किया गया।
स्पष्ट रूप से एमआरपी बुक शॉप ने एक अच्छा उदाहरण पेश किया कि कॉमिक्स की हद को किस प्रकार नैतिक मूल्यों, मौजूदा संदर्भ और व्यक्तिगत नजरिये व दूरदर्शिता के बीच तालमेल रखकर तय किया जाना चाहिए ज्ञात हो कि इन प्रक्रमों में शामिल मैनाक बनर्जी और शम्भु नाथ महतो ने जो कि कॉमिक्स बाइट और कॉमिक्स थ्योरी प्रकाशन से भी रचनाकार के रूप में जुड़े हैं उन्होंने मिलकर एक सोशल अवेयरनेस कैंपेन भी शुरू किया (#comicsagainstcorona) व विभिन्न गतिविधियों जैसे “Corona से Fight Karo’na” कॉमिक्स सीरीज, पोस्टर्स, कम्पटीशन आदि से जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास जारी रखें हैं, नीचे आप दिए गए लिंक पर क्लिक करके इन्हें पढ़ सकते है!
आशा है कि यह उदाहरण मौजूद कोरोना वायरस के फैलते प्रकोप व उससे जंग में सभी की भागीदारी की महत्वपूर्णता को रेखांकित करेगा। व्यापारिक गतिविधियां बंद करना वह भी ऐसे समय मे हो सकता है कुछ एक लोगों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो पर समस्याओं से जूझने के लिए नए अविष्कार नए तरीके ईजाद किये जाने की ओर कदम उठाया जाना चाहिए। इसी आशा के साथ सभी मित्रों पाठकों को अलविदा, जल्द ही हम अगले लेख में लेकर आएंगे एक और केस स्टडी, आभार!
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