डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 8
Diamond Comics Vintage Ads: नमस्कार सभी का एवं स्वागत है हमारे पुराने विज्ञापन की श्रृंखला में, आज एक नज़र फिर से कुछ ‘डायमंड कॉमिक्स’ के विंटेज विज्ञापनों पर लेकिन उससे पहले अगर आप इसके पिछले भाग पढ़ना चाहते है तो इन दिए गए लिंक्स पर क्लिक करके आप उन्हें पढ़ सकते है –
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 1
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 2
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 3
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 4
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 5
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 6
- डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 7
पुराने विज्ञापन श्रृंखला
वर्ष था 1984 का और डायमंड कॉमिक्स की लोप्रियता भारत के कोने कोने तक पहुँच रही थी. ‘रमन हम एक है’ जैसी कॉमिक्स का प्रमोचन स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री ‘इंदिरा गाँधी’ जी के द्वारा किया गया था जो इतिहास के पन्नों पर दर्ज है. जैसा डायमंड कॉमिक्स ने अपने इस विज्ञापन में कहा भी है ‘1984 का सुपर मनोरंजन‘.
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इस विज्ञापन में जिक्र किया गया है बिल्लू का और कॉमिक्स का नाम है ‘बिल्लू की साफ्टी‘. 62 रंगीन पृष्ठों का हंसा हंसा कर लोटपोट कर देने वाला कार्टूनिस्ट प्राण का अद्वितीय कॉमिक्स. इसका मूल्य था 5 रुपयें और कुछ अन्य विवरण के साथ एक सूची भी साझा की गई है.
विवरण
बिल्लू की सोफ्टी को देखकर सबके मुहँ की लार टपकने लगी, लेकिन यह सोफ्टी नौं वर्षीय नटखट से हथियाना टेढ़ी खीर था. रुस्तम-ए-हिन्द बजरंगी पहलवान ने बिल्लू को थकाने का भरसक प्रयत्न किया, लेकिन इस कोशिश में वह अपनी हड्डी पसलियाँ तुड़वा बैठा.
सिटी स्कूल के दो प्रिंसिपल. कौन असली कौन नकली? क्रिकेट चैम्पियन की गेंद से कार और खिडकियों के शीशे टूट गए लेकिन मुहल्लेवालों ने खिलाड़ियों को तोहफे के रूप में एक अजीबोगरीब इनामी कप भेंट किया. ऐसा कप अपने आज तक नहीं देखा होगा. इसके अलावा एटम बम से भी ज्यादा विस्फोटक करैक्टर बिल्लू की अन्य कॉमिक्स.
(इन विवरणों का पढ़ना बड़ा ही मज़ेदार है, ऐसा लगता है जैसे हम 1984 के वर्ष में ही इसे पढ़ रहें हो, एक कॉमिक्स के माध्यम से आप उस दौर की एक झलक भी देख सकते है)
- बिल्लू का हंगामा
- बिल्लू – 1
- बिल्लू – 2
- बिल्लू – 3
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कॉमिक्स बाइट आर्काइव्ज
इसी विज्ञापन के अन्य डायमंड कॉमिक्स की सूची –
- मामा भांजा और ताउजी की मूँछ
- पलटू और गोलू पतीले
- अंकुर और जहाज का अपहरण
- फौलादी सिंह और चक्रव्यूह का मसीहा
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इन सभी कॉमिकों का मूल्य था ३.५० /- और इनके साथ 5 छुट्टी विशेषांक भी आएं थे जिनमें कुछ तो बड़े अनोखे है और देखने को नहीं मिलते.
- पलटू और शैतान की नानी
- चाचा चौधरी अमेरिका में
- ताउजी और पूँछ वाला दैत्य
- मोटू पतलू और उड़न-तश्तरी
- अंकुर और महाबली शाका
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“मामा भांजा और शैतान की नानी” – इस कॉमिक्स के चित्रकार है श्री ‘विनोद भाटिया‘ जी, जो आज भी कॉमिक्स जगत में सक्रिय है और डायमंड कॉमिक्स के लिए उन्होंने कई कॉमिकों पर कार्य किया है. श्री विनोद भाटिया जी पर भी आगामी दिनों में हमारे आर्टिस्ट कार्नर पर विस्तारित लेख भी लाया जाएगा.
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अंकुर और महाबली शाका
क्या वर्ष 1984 में ‘अंकुर और महाबली शाका’ का 2इन1 कॉमिक्स विशेषांक आया था? अंकुर एक बाल पत्रिका थी जिसमें चित्रकथा के साथ विज्ञान और अन्य ज्ञानवर्धक सामग्रियों का समावेश था. अंग्रेजी पुस्तकों/कॉमिक में ‘क्रॉसओवर इवेंट’ या ‘मल्टीस्टार्र कॉमिक्स’ आम है क्यूंकि उनका ब्रह्माण्ड एक ही है और कार्यक्षेत्र भी, उदाहरण के मार्वल कॉमिक्स में ‘एवेंजर्स’. भारत में भी ऐसी कई सारी कॉमिक्स श्रृंखला प्रकाशित हुई है पर यहाँ बात वर्ष 1984 की है और मन में ये कौतुहल है क्या सच में ये एक ‘मल्टीस्टार’ कॉमिक्स थीं?.
महाबली शाका पर विशेष लेख – पढ़ें
कुछ ऐसा देखना बड़ा ही आश्चर्यजनक है और सुखद भी. भारत के कॉमिक्स जगत के इतिहास के बारें में और पता करना जरुरी है और जितने भी कार्य आज तक हुए है उस पर बात करना भी. कॉमिक्स बाइट पर हमारी कोशिश यही रहेगी की ऐसी चीज़ें भी सभी की नज़रों में जरुर आएं और प्रबुद्ध पाठक एवं कॉमिक्स प्रशंसक इसे और आगे ले जाएं.
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मैं एक और विज्ञापन साझा करना चाहता था पर आज के लिए बस इतना ही, आज की सूची में आधे से ज्यादा कॉमिक्स के नाम मैंने आज तक नहीं सुनें. भारत में कई बड़े कॉमिक्स कलेक्टर है और जुनूनी कॉमिक्स प्रशंसक भी, अगर आपके पास इनसे जुड़ी कोई जानकारी हो तो हमारे ईमेल – [email protected] पर जरुर साझा करें, विशेषकर ‘अंकुर और महाबली शाका‘ के बारें में और 5 रुपयें के कॉमिक्स विशेषांक की जानकारी भी किसी मित्र के पास उपलब्ध हो और भी अच्छा, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
साभार: कॉमिक्स बाइट आर्काइव्ज, दुर्लभ कॉमिक्स कवर और डायमंड कॉमिक्स
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