कॉमिक्स बाइट ‘वन शॉट’ रिव्यु: मैं हत्यारा हूँ – भोकाल – राज कॉमिक्स (Comics Byte ‘One Shot’ Review: Main Hatyara Hoon – Bhokal – Raj Comics)
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मित्रों आज बात करेंगे राज कॉमिक्स के ऐसे किरदार की जिसने पाठकों का पिछले कई दशकों से भरपूर मनोरंजन किया हैं। माननीय संजय गुप्ता जी के दिमाग की उपज, कदम स्टूडियोज के आर्टवर्क से सजा, महागुरु के आशीर्वाद से फलीभूत, पुरातन काल का महाबली, मित्रों के लिए शीश कटाने वाला, अपने कर्मो के लिए प्राणों की आहुति देने वाला, जिसने महारावण जैसे पापी का सर्वनाश किया, जिसकी मदद को स्वयं हनुमानजी आए और उसका पग पग में साथ दिया, वो और कोई नहीं बल्कि उस सदी का महानतम महायोद्धा, तंत्र और तलवार का धनी – “भोकाल” कहलाया!!

मैं हत्यारा हूं – भोकाल सीरीज़ (Main Hatyara Hoon – Raj Comics – Bhokal – Story, Artwork & Review)
प्रकाशन वर्ष: 1996
सीरीज़: भोकाल
लेखक: संजय गुप्ता
चित्रांकन: अनुपम सिन्हा
संपादक: मनीष गुप्ता
सहयोग: विनोद कुमार
✍️ प्रकाशन और टीम
यह कॉमिक्स उस दौर की है जब राज कॉमिक्स अपने क्लासिक सुपरहीरोज नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव के कहानी में लगातार बड़े और प्रभावी प्रयोग कर रही थी। लेखक संजय गुप्ता जी, आर्टिस्ट अनुपम सिन्हा जी, इंकर विनोद कुमार जी और संपादन में मनीष गुप्ता जी जैसे नाम इसे मज़बूती प्रदान करते हैं। मैं हत्यारा हूँ भोकाल सीरीज़ में प्रकाशित एक ‘वन शॉट’ कॉमिक्स थीं जहाँ कदम स्टूडियोज से इतर भोकाल को अनुपम जी एव विनोद जी का सहयोग प्राप्त हुआ। विशेष रूप से, इसमें अनुपम सिन्हा जी का आर्टवर्क उल्लेखनीय है। उनके फ्रेम्स में जो डिटेलिंग और पोज़ दिखाई देती है, वह कॉमिक्स को जीवंत बना देती है।

📢 विज्ञापन और चर्चा
इस कॉमिक्स की खासियत यह रही कि इसके विज्ञापन कई दिनों तक लगातार राज कॉमिक्स के अन्य अंकों में आते रहे।
एक विज्ञापन-फ्रेम में भोकाल को दिखाया गया था जिसमें उसके दोनों हाथ बंधे हुए था, सामने एक बम था जो फटने वाला था, सर्द से वातावरण में उसके मित्र निस्तेज पड़े हुए थे और चारों ओर बेचैनी का माहौल। इसी विज्ञापन ने पाठकों में जिज्ञासा बढ़ा दी थी कि आखिर इस बार भोकाल और उसके मित्र किस मुसीबत में फंसने वाले हैं।

आज दो दशकों बाद ‘राज कॉमिक्स बाय संजय गुप्ता’ से पुन: प्रकाशित हुई इस कॉमिक्स ने कॉमिक्स बाइट को इस कॉमिक्स के वन शॉट रिव्यु के लिए प्रेरित कर दिया। तो कौन है वो खलनायक जो भोकाल और उसके बाहुबली मित्रों को भी धराशयी करने की ताकत रखता है और क्या वो अपने इस उद्देश्य में सफल हो सका! जानने के लिए पढ़ें भोकाल और उसके मित्रों का – “मैं हत्यारा हूँ” (Main Hatayra Hoon)।
📚 कहानी का सारांश
कहानी की शुरुआत होती है विकास नगर से, जहां सैनिक रहस्यमयी ढंग से मर रहे हैं: “कोई आत्महत्या कर रहा है, तो कोई बर्फ़ में जमकर मरा पाया जा रहा है। इन सबके पीछे एक गुप्त हत्यारे का हाथ बताया जाता है।
राजा विकास मोहन तुरंत ही भोकाल और उसके मित्रों तुरीन, अतिक्रूर एवं शूतान को इस हत्यारे को पकड़ने का जिम्मा सौंपते हैं। लेकिन लगातार होती हत्याओं से सेना में विद्रोह की स्थिति बन जाती है और सेनापति प्रवीण कुमार (जिन्हें आमतौर पर पिछले कॉमिक्स में प्रवीण सिंह कहा गया था) महाराजा विवेक मोहन को इस बात की खबर देते हैं।

भोकाल द्वारा जांच में खुलासा होता है कि एक सैनिक कजूम्बा को पहले राजद्रोह के आरोप में मृत्यु दंड दिया गया था। सज़ा के डर से वह घोड़े समेत पहाड़ी से कूद गया था। अब कहीं वही कजूम्बा बदले की आग में सभी सैनिकों को मौत के घाट तो नहीं उतार रहा है।
हत्यारे के छानबीन के चक्कर में तुरीन अचानक से कहीं गायब हो जाती है और बाद में अतिक्रूर से उसका एक भयानक टकराव होता है, बाद में बड़े ही रहस्यमयी तरीके से अतिक्रूर का भी अपहरण हो जाता है। दूसरी ओर भोकाल कजूम्बा की मां के पास पहुंचता हैं, तो अचानक कजूम्बा वहां आकर अपने शक्तियों से उसे भी पकड़ लेता है। अब भोकाल एक सर्द गुफ़ा में अपने साथियों के साथ एक भयानक मौत की राह देख रहा है!
🎨 आर्टवर्क और प्रस्तुति
इस कॉमिक्स में एक खास बात नोट की गई क्योंकि सामान्यतः भोकाल की कॉमिक्स में उनके ट्रांज़िशन (भोकाल से कवच-तलवार वाले रूप में बदलाव) को खास तौर पर दिखाया जाता है। लेकिन इस अंक में यह ट्रांज़िशन नहीं दिखाया गया। यह बदलाव पाठकों को थोड़ा खटकता है, हालांकि अनुपम जी के आर्टवर्क ने इसे संतुलित कर दिया। कहानी सीधी पर रहस्यमय लगती है हालाँकि बीच में ‘प्रवीण कुमार’ इसे पूरी तरह से स्पोईल कर देते है जिसे आप साधारण की श्रेणी में रख सकते है। क्या कॉमिक्स अपने विज्ञापन के साथ न्याय कर पाई? यह कहना मुश्किल है क्योंकि आर्टवर्क का स्तर अच्छा का है जो पाठकों को बांधे रखता है। कॉमिक्स का आवरण भी आकर्षक बना है जो आपको तुरीन और भोकाल के टकराव की झलक दिखाता है पर कॉमिक्स में ऐसा कुछ सीधा-सीधा देखने-पढ़ने को नहीं मिलता।

⚖️ समीक्षा
- प्लॉट: कहानी थोड़ी साधारण और अन्य भोकाल कॉमिक्स जितनी ‘अप टू द मार्क’ नहीं लगी।
- आर्टवर्क: अनुपम जी की वजह से कॉमिक्स आकर्षक बनी।
- टीम चेंज: संभव है आर्टिस्ट या प्रोडक्शन टीम में बदलाव के कारण प्रस्तुति में अंतर दिखा।
फिर भी, यह कॉमिक्स अपने समय में चर्चित रही और खासतौर पर शाकूरा का चक्रव्यूह सेट (1996) में प्रकाशित होने के कारण संग्रहणीय महत्व रखती है। कुल मिलाकर, मैं हत्यारा हूं को भोकाल सीरीज़ की एक एवरेज कॉमिक्स माना जा सकता है जिसका आर्ट इसे विशेष बनाता है। आभार – कॉमिक्स बाइट!!
पढ़ें भोकाल श्रृंखला की पूर्व प्रकाशित कॉमिकों की समीक्षा:
- कॉमिक्स समीक्षा: शादी नहीं होगी – भोकाल – राज कॉमिक्स – (Comics Review – Shadi Nahi Hogi – Bhokal – Raj Comics)
- राज कॉमिक्स समीक्षा: बुद्धिपासा – युद्ध श्रृंखला – भोकाल (Raj Comics Review: Buddhipaasa – Yuddh Series – Bhokal)




