हिंदी कॉमिक्स जगत और एक आदर्श नायक!! (Be an Ideal hero!!)
इस पक्ष पर लिखना काफी दिन से चाह रहा था पर क्योंकि हिंदी काॅमिक्स जगत में हर दिन कोई न कोई बखेड़ा तो खड़ा होता ही हैं। जब ‘स्कैन’ काॅपी को लेकर कुछ सेलर्स ने अपने नैतिक मूल्यों पर उसका बहिष्कार किया वहीं कुछ विक्रेताओं ने इन्हें बेचा भी। बात आई गई हो जाती लेकिन इसे अभी बढ़ना था और नुकसान सिर्फ इस छोटे समुदाय को होना था। (अभी भी हो ही रहा हैं, पर लगता हैं शीघ्र ही इसके लिए कुछ ठोस कदम उठाएं जायेंगे)
खैर न्यायपालिका के दरवाज़े सभी के लिए खुले हैं और मुद्दा शायद गंभीर भी हैं जिसे लीगल तरीके से ही सुलझाने की आवश्यकता हैं। लेकिन शायद दंभ और अंहकार की विशेष बात यही हैं की आप ज्यादा सोचते समझते नहीं और तुरंत निर्णय पर पहुंच जाते हैं। यहां पर बात का मूल क्या हैं ये सभी जानते हैं पर कोई इसे स्वीकार नहीं करता। भई बात बड़ी सीधी सादी हैं, कोई नैतिकता के आधार पर निर्णय ले रहा हैं तो वह सही हैं लेकिन जब कोई ताकत/पैसे/कांटैक्ट के सहारे ऐसा करता हैं तो उसे सिर्फ ‘एकाधिकार’ यनि अंग्रेजी में Monopoly ही कहा जाएगा (जो की ज्यादा दिन नहीं चलेगा, मैं लिख के देता हूँ – पंकज त्रिपाठी!!)। गलत को गलत और सही को सही बोलना जरुरी हैं पर कुछ पाठक लोभवश गलत का साथ देते दिखाई पड़ते हैं, कुछ इनसें भी आगे हैं एवं कई प्रसंशक भावनाओं में बह कर काफी कुछ बोल जाते हैं हालाँकि इनको शायद ही मामले की गहराई का अंदाजा होगा ठीक वैसे ही जैसे शादियों में रूठे फूफा या मामा होते थे पहले जिनका विवाह से ज्यादा सरोकार नहीं होता था पर आवभगत पूर्ण होनी चाहिए।
काॅमिक्स इंडस्ट्री छोटी हो चुकी हैं और इसका एक सीमित पाठक वर्ग बचा हैं, मनोरंजन के विविध साधनों के वजह से इन्हें आजकल कम ही लोग पढ़ते हैं, दूसरा मूल्य भी एक बड़ा संकट हैं। ऐसे में फिजूल के मसलों से कई काॅमिक्स प्रेमी क्षुब्ध हो जाते हैं और रही सही कसर सोशल मीडिया में हो रही नकारात्मक टीका टिप्पणी प्रभावित करती हैं। आम बोल चाल की भाषा में इसे ही ‘भसड़’ की संज्ञा दी गयी हैं जिसमें कई लोगों बिना बेसिरपैर के ही कूद पड़ते हैं। हमारा तो यही मानना हैं की पब्लिकेशन और पब्लिशर्स को काॅमिक्स प्रकाशित करनी चाहिए, ड्रस्टिब्यूटर को बांटना और सेलर्स को बेचना। यहां किसी को भी ‘चौधरी’ नहीं बनना चाहिए! क्योंकि वह सिर्फ एक ही हैं हमारे प्यारे चाचा चौधरी ।
हिंदी काॅमिक्स जगत का उद्धार तभी होगा जब सब अपना कार्य उत्तम तरीके से करें और इस इकाई को नए उंचाईयों तक पहुंचाएं। यह इंडस्ट्री एक बदलाव से गुजर रही हैं, कुछ वर्षों पहले तक जहाँ गिने चुने ही प्रकाशक थें आज शायद 20+ से ज्यादा प्रकाशक पूरे तन मन सें प्रयोगात्मक कहानी और चित्रों को पाठकों तक ला रहें हैं। अनूठा चित्रकथा संसार बन रहा हैं, यह परिवर्तन सुखद हैं और आशा हैं जल्द ही सभी मसलों का निवारण हो एवं काॅमिक्स प्रेमियों को काफी कुछ नया देखने को मिलें।
चाहे प्रकाशक हो, ड्रस्टिब्यूटर हो या विक्रेता। बनिए कॉमिक्स जगत के “एक आदर्श नायक”!!