प्रचंडा: पांच शक्तियों के अंश से बनी महाप्रचंड शक्ति
वैसे तो भारत में “भगवन” को बहोत महत्व दिया जाता है और हर भारतीय की जीवन में इनका अहम स्थान है, भारत की पौराणिक सभ्यता कई हज़ार साल पुरानी है और आये दिन हर कहीं इनका जिक्र हमें अपने घरों, किताबों, समाचार पत्रों एवम् टीवी पर मिलता रहता है. भारत के कई कॉमिक्स पात्र (केरक्टेर्स) हमारें देवी देवताओं से प्रेरित है ठीक वैसे ही जैसे राज कॉमिक्स का किरदार – “प्रचंडा”
नाम: प्रचंडा, पब्लिकेशन: राज कॉमिक्स, संख्या: 513, भाषा: हिंदी, प्रकाशन वर्ष: 1993-94
प्रचंडा की शुरुवात राज कॉमिक्स के एक दैवीय हीरो के रूप में हुई, राक्षस नगरी अंटागुड़गुड़ में महारज “अंजर पंजर” का राजत्व है, उनकी महारनी “चटोरी” मानव भक्षण की दीवानी है, ऐसे में मानवों के शिकार पर निकले महाराज अंजर पंजर एक महर्षि “शापदेऊ” से टकरा जाते है और उनके श्राप का शिकार हो जाते है जिससे महाराज के सारे अंजर पंजर ढीले हो जाते है, अब इस श्राप से निकलने का एक ही तरीका बचता है और वो है मानव अर्क का पान, अपने जीजा की हालत देखकर राक्षस अंटा बंटा उन्हें ठीक करने का प्रण लेता है और उसके क्रोध का शिकार बनते है पडोसी राज्य – घोडापछाड़ की प्रजा.
इस राज्य की जिम्मेदारी का निर्वाह करते है दो राजकुमार ढीढ और ढिल्लड़, राक्षस अंटा बंटा से एक भयानक युद्ध में वो दोनों हार जाते है और पहुँचते है महर्षि शापदेऊ की शरण में, जहाँ महर्षि उन्हें भोलेनाथ (शिव भगवन) के पास जाकर इस समस्या पर मदद मांगने की सलाह देते है.
हिमालय में “भगवन शिव” के पास पहले ही देवताओं की लम्बी कतार लगी हुयी है, “पृथवी माँ-आकाश देव-वायु देव-जल देवता-अग्नि देव” सभी राक्षसों के आतंक से परेशान है अपने उद्धार की कामना भोलेनाथ के समक्ष रखते है, ढीढ और ढिल्लड़ भी प्रभु के चरणों में गिर कर मदद की गुहार लगाते है. भोलेनाथ समस्या की गंभीरता को समझते हुए पंचशक्ति को एक प्रचंड महाशक्ति के निर्माण का आदेश देते है क्योंकि मनुष्य जाति का निर्माण इन्ही पंच तत्वों से हुआ है. उन पांचों शक्तिओं के अंश से इस महाप्रचंडशक्ति का निर्माण हुआ और वो कहलाया “प्रचंडा“.
क्या प्रचंडा राक्षस अंटा बंटा का अंत कर पाया? क्या हुआ घोडापछाड़ नगर की प्रजा का? महाराज अंजर पंजर अपने श्राप से मुक्त हो सके? जानने के आपको पढना होगा प्रचंडा का अगला भाग “चटोरी”.
कहानी टिकाराम सिप्पी जी ने लिखी है (शुक्राल फेम) और संपादन है श्री मनीष गुप्ता का, कवर आर्ट और कला निर्देशन में श्री प्रताप मुल्लिक जी का योगदान रहा, जबकी चित्रकारी की है मिलिंद एवम् प्रवीन ने जो की बेहद उम्दा है, प्लाट काफी दमदार है पर कहानी में आपको हास्य का पुट ज्यदा मिलेगा, मुझे तो ऐसा लगा जैसे बांकेलाल की कोई कहानी है, हालाँकि प्रचंडा के अगले अंक काफी गंभीर होते चले गए. अब काफी बात हो चुकी तो विदा लेता हूँ मित्रों, फिर मिलूँगा आपसे अगले पोस्ट पर, आभार – कॉमिक्स बाइट!
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