पत्रिकाओं और कॉमिक्स में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग! (Use of Artificial Intelligence in Magazines and Comics!)
बदलते दौर की नई तकनीक – ‘आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस’ और उसका प्रकाशन जगत में प्रभाव! (New technology of the changing times – ‘Artificial Intelligence’ and its impact in the publishing world!)
बचपन से ही घर में पढ़ने का माहौल रहा है। मासिक पारिवारिक पत्रिकाएं जैसे ‘गृहशोभा, गृहलक्ष्मी, मनोरमा'(Magazines) जो माताजी के आती थीं, बाल पत्रिकाएं जैसे ‘चंदामामा, चंपक, सुमन सौरभ’, जो बच्चों के आती थीं, पिताजी पल्प फिक्शन नाॅवेल्स के बड़े शौकिन थे जो दिल्ली से पोस्ट द्वारा प्राप्त होती थी।बाद में गायत्री परिवार की धार्मिक किताबें और बांग्ला मनोरंजन की मैगज़ीन भी जैसे नवोकोल्लोल, सुखतारा भी बाहर से मंगवाई जाती रही थी। यह जीवन का एक महत्वपूर्ण पक्ष कहा जा सकता है, जहां किताबों और मैगज़ीन का अहम योगदान रहा है एवं यह आज भी लगातार जारी है।
हर माह अगर कोई पत्रिका और काॅमिक्स ना पढ़ी जाए तो एक खालीपन सा लगता है। इसे कोई भी ओटीटी, रील्स, शाॅर्ट्स, सोशल मीडिया, टी.वी. या फिल्म पूरा नही कर सकती।आज भी एक बांग्ला मैगज़ीन बाय पोस्ट आई तो उसने मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। आवरण पर ए.आई. का प्रयोग हुआ है और अंदर के कई पृष्ठों पर भी, नई टेक्नोलाॅजी का जोर-शोर से इस्तेमाल हो रहा है और संभव है आगे इसका उपयोग और बढ़ेगा। पेश है आप सभी के लिए मैगज़ीन का फ्रंट आवरण जो काफी डरावना बना है – “नवोकोल्लोल तंत्र संख्या”।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस कोई नया नाम नहीं है, अपने इंजीनियरिंग के दौरान ही हम इससे दो-चार हो चुके है। हालाँकि तब यह प्रयोग के रूप में था जो अपना प्रभाव अब भौतिक रूप से दिखा रहा है। कई प्रकाशन इनका इस्तेमाल शुरू कर चुके है और पाठकों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि वह किसी इलस्ट्रेटर द्वारा नहीं बल्कि प्रांप्ट इंजिनियर या डिज़ाइनर द्वारा उकेरा गया है। आपके, इस बदलाव भरे दौर और नई तकनीक के बारे में क्या विचार है? हमें ज़रूर बताएं, आभार कॉमिक्स बाइट!!
Champak Hindi and Bal Bharti May 2024 and other Editions Kids Hindi magazines