राज कॉमिक्स के थीम पर आधारित रेस्तरां (Raj Comics Themed Restaurant)
हिंदी कॉमिक्स को लेकर भारत में उदासीनता कोई नई बात नहीं हैं, बचपन में यानि 80-90 के दशक के दौरान जब इसका शबाब अपने चरमोत्कर्ष पर था तब भी घर के बड़े जैसे माता-पिता या दादा-दादी आपको रोकते टोकते नजर आते थें क्योंकि उनकी नजरों में यह कोई अच्छा शौक नहीं था। दूसरा इनके दाम तब भी पाठकों की जेब से काफी दूर थें हालाँकि पब्लिक लाइब्रेरी ने इन्हें काफी हद तक पाठकों तक पहुँचाया और इसे गली-कूंचें से लेकर शहरों तक ले गए। सन 2000 के बाद एक समय ऐसा भी आया की प्रकाशकों को कॉमिक्स प्रशंसक मिलने ही बंद हो गए जिसका खामियाज़ा कई प्रकाशकों को भुगतना पड़ा और कुछ ने ताले जड़ कर या अन्य व्यवसाय में जुड़ कर कॉमिक्स से किनारा कर लिया। तालाब में कुछ बड़ी मछलियाँ लेकिन जिंदा बची रहीं और आज भी लगातार कॉमिक्स का प्रकाशन कर जीवित बची हुई हैं। कोरोना महामारी में एक फिर लोगों ने ‘बचपन के प्यार’ को याद किया एवं जमकर कॉमिक्स पढ़ी गई चाहे सॉफ्ट कॉपी या पीडीऍफ़ में ही सही!
मार्वल कॉमिक्स ने अपने सुपरहीरो श्रृंखला के साथ सिनेमा जगत में सफलता के कीर्तिमान रच डाले और पूरे विश्व में अपने झंडे गाड़े। जब वर्ष 2012 में एवेंजर्स फिल्म रिलीज़ हुई तो इसने सुपरहीरो वर्ग में एक नई कहानी ही लिख दी, आज भारत में बच्चों से लेकर बूढों तक में इनके श्रृंखला की सभी प्रदर्शित फिल्में चर्चित हैं। यहीं पर देसी सुपरहीरो कहीं गायब हो गए, वैसे ये सिलसिला वर्ष 2002 से ही शुरू हो गया था जब स्पाइडर-मैन ने बड़े पर्दे पर पहली बार दस्तक दी थीं लेकिन तब शक्तिमान भारतीयों का पसंदीदा नायक हुआ करता था और कई कॉमिक्स पब्लिकेशन भी लगातार कॉमिक्स बाजारों में प्रकाशित कर रही थीं। कोशिशें काफी की गई लेकिन यह बात तो माननी पड़ेगी की हम कहीं थोड़े पीछे रह गए और पाश्चत्य नायक हमसे आगे निकल कर हर घर में अपनी पैठ बना चुके हैं।
वेस्टर्न कन्ट्रीज में कॉमिक-कॉन और कई सारे इवेंट्स लगातार होते रहते हैं जिससे उन्हें कॉमिक्स के पाठक भी मिलते हैं और उन किरदारों पर फिल्माए गए फिल्म, वेब-सीरीज, एनीमेशन और गेमिंग दर्शकों में बेहद लोकप्रिय भी होते हैं। वहां किसी कॉमिक्स के पात्रों के थीम पर रेस्तरां होना बड़ा ही आम हैं जहाँ पाठक अपने यार-दोस्तों के साथ पॉप कल्चर पर चर्चा कर घंटों अपना समय व्यतीत कर सकते हैं और भारत में भी अब आपको मार्वल-डी.सी. कॉमिक्स के किरदारों पर आधारित ऐसे रेस्टोरेंट आपको कई जगह दिख जाएंगी, पर क्या किसी विशुद्ध भारतीय कॉमिक्स के किरदारों में पर ऐसा कुछ देखने को मिलेगा?
पिछले हफ्ते तक मुझे भी यह मजाक ही लग रहा था जब तक मैंने प्रशांत प्रियदर्शी जी की पोस्ट ‘सुपर कमांडो ध्रुव’ के फेसबुक पेज पर नहीं देखा था। बाद में प्रशांत जी ने बकायदा कई छवियों के साथ अपना कॉमिक्स प्रेम फेसबुक वॉल पर जाहिर किया था जहाँ वह अपने परिवार के साथ एक ऐसे रेस्तरां में बैठे थें जिसमें हर कहीं बस राज कॉमिक्स के किरदार ही नजर आ रहें थे। उनके द्वारा लिखें पूरे पोस्ट को पढ़ने के बाद मैंने ये जाना की यह जगह कर्नाटक के कैपिटल बंगलुरु में स्थित हैं और इस रेस्तरां का नाम “सरदार जी लन्दनवाले” हैं। उन्होंने इतना बढ़िया यात्रा वृतांत लिखा हैं की मुझे लगा यह खबर तो सभी कॉमिक्स प्रेमियों तक पहुंचनी चाहिए और उनसे पूरा विवरण एवं आज्ञा लेकर आज आप सभी को यह खबर बताने का समय मिल पाया हैं।
प्रशांत जी खुद एक माहिर लेखक हैं और आप इनके विचार ब्लॉग – ‘मेरी छोटी सी दुनिया‘ में जाकर पढ़ सकते हैं जिसमें लाखों की संख्या में व्यूज हैं, जिसे वह वर्ष 2006 से लिख रहें हैं। प्रशांत जी लिखते हैं की देव कॉमिक्स स्टोर के सौजन्य से उन्होंने एक फ़ूड ब्लॉगर का वीडियो देखा जिसमें टेबल पर राज कॉमिक्स के अंक और पोस्टर नजर आ रहे थें। उन्होंने इस रेस्तरां को खोजा तो यह उनके तत्कालीन निवास वाले शहर बेंगलुरु का ही निकला। एक घुम्मकड़ कॉमिक्स प्रेमी अपने परिवार के साथ निकल पड़ा उस स्थान पर जिसकी छवि देखकर कॉमिक्स जगत हक्का-बक्का रह गया! जी हाँ यह होटल राज कॉमिक्स के थीम पर बना हुआ हैं जिसे पहले कोई और मालिक लीज पर चलाता था जो पक्का कॉमिक्स का बहुत जुनूनी प्रेमी रहा होगा। यह थीम आज भी वैसे ही बरक़रार रखी गई हैं जैसे पहले थीं एवं इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया हैं। जो मित्र प्रशांत जी के शब्दों को पढ़कर रोमांचित होना चाहते हैं उन्हें मैं उस लेख का लिंक साझा कर रहा हूँ, आप भी पढ़ें और अन्य मित्रों को भी इस बाबत जानकारी दें खासकर जो बेंगलुरु में रहते हैं।
मुझे यह देखकर हैरत हुई और ख़ुशी भी की भारत में भी शायद अब बदलाव मुनासिब हैं और होना भी चाहिए। घर घर में अमर चित्र कथा, चाचा चौधरी, नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव के चर्चे होने चाहिए! कॉमिक्स पढ़ने से वैसे भी कई फायदें हैं जिसे आप हमारे एक पूर्व प्रकाशित आलेख में जाकर पढ़ सकते हैं और इसे एक बार लोकप्रियता के साथ साथ जनप्रिय भी बना सकते हैं।
पढ़ें – कॉमिक्स बाइट: क्यूँ है कॉमिक्स पढ़ना अच्छा?
Super Commando Dhruva Baalcharit Series Special Collector’s Editions | Set of 6 | Raj Comics