किरण कॉमिक्स (Kiran Comics)
अस्सी के दशक के पूर्वार्ध में कई कॉमिक्स पब्लिकेशन हाउसेस भारत में सक्रिय थे, इंद्रजाल तो इसके डेढ़ दशक पहले ही बाज़ार में कई विदेशी किरदार प्रस्तुत कर चुका था, डायमंड कॉमिक्स और मनोज कॉमिक्स जैसे कॉमिक्स कंपनियां भी अब सूरज को उगता हुआ देख रही थी. ऐसे में एक सूरज की ‘किरण’ भी नज़र आई कॉमिक्स प्रेमियों को जिसका नाम था – ‘किरण कॉमिक्स’ (Kiran Comics).
किरण कॉमिक्स के प्रकाशाधीन अधिकार प्राप्त थे IBH को यानि ‘इंडिया बुक हाउस’ (India Book House) के पास. 1980 के दौरान काफी पब्लिकेशन हाउस विदेशी कॉमिक्स किरदारों की कॉमिक्स प्रकाशित कर रहे थे जैसे – “सुपरमैन, बैटमैन, टिनटिन, डिज्नी के किरदार व अन्य”. ऐसे में विदेशी किरदारों का लाइसेंस लेकर उनकी कॉमिक निकालना सबसे सुगम कार्य था. किरण कॉमिक्स ने भी उसी पथ पर चलते हुए इन कॉमिक्स के किरदारों की चित्रकथा भारतीय कॉमिक्स के पाठकों के समक्ष प्रतुस्त की.
जानिये भारत के कॉमिक्स जगत के पुराने खिलाड़ी “डॉल्टन कॉमिक्स” के बारें में – डॉल्टन कॉमिक्स
किरण कॉमिक्स के मुख्य किरदार थे –
सुपरमैन – DC कॉमिक्स
टार्ज़न – एडगर राइस बुर्रौघ्स, आई एन सी
टार्ज़न का पुत्र “कोणार्क” – एडगर राइस बुर्रौघ्स, आई एन सी
लौरल एंड हार्डी – लैरी हरमन पिक्चर्स कोऑपरेशन
रिची रिच – हार्वे पब्लिकेशन
किरण कॉमिक्स ‘हिंदी और अंग्रेजी’ भाषाओँ में प्रकाशित होती थी और पाठकों का इसे काफी स्नेह भी प्राप्त हुआ. इसका आकर बड़ा था, कुछ कुछ वैसा ही जैसे इंद्रजाल व अन्य बड़ी कॉमिके. इनका मूल्य 3.50 से 6 रूपए के मध्य था. हिंदी भाषा के कई कॉमिक्स में किरण चित्रकथा का नाम भी नामित हुआ था. सुपरहीरो और कॉमेडी करैक्टर्स के अलावा कुछ जनरल कॉमिक्स भी किरण कॉमिक्स द्वारा प्रकाशित की गई थी एवं बाद में कुछ ‘3D’ कॉमिक्स भी नज़र आई.
किरण कॉमिक्स का पहला अंगेजी अंक था डिटेक्टिव कॉमिक्स – “सुपरमैन इन एक्शन कॉमिक्स” और हिंदी संस्करण में प्रकाशित हुआ था “टार्ज़न“.
किरण कॉमिक्स को विदेशी कॉमिक्स का अनुवादित संस्करण भी कह सकते है और कॉमिक्स प्रेमियों को कुछ मनोरंजक साल प्रदान कर किरण कॉमिक्स भी अतीत के पन्नों में कहीं खो गई. इसका मुख्य कारण जो जान पड़ता है वो ये है की इसकी किरणों को रोकने का काम किया ‘राम-रहीम’ और ‘चाचा चौधरी’ ने. जी हाँ किरण कॉमिक्स में भारतीय किरदार ना होने के कारण पाठकगण ‘डायमंड कॉमिक्स’ और ‘मनोज कॉमिक्स’ की तरफ आकर्षित हो रहे थे और धीरे धीरे पाठक संख्या कम होने का बाद इनका प्रकाशन पूर्णतः समाप्त हो गया.
ऐसा नहीं है की किरण कॉमिक्स के आर्टवर्क या कहानियों में दम नहीं था, आज भी कोई कॉमिक्स रीप्रिंट जो किसी अन्य पब्लिकेशन हाउस के अंतर्गत आता हो आपको कहीं दिख जाये तो उसे जरुर खरीदिएगा! हालाँकि बाज़ार के बदलाव के साथ ना बदलना उन्हें भारी पड़ा और नए पब्लिकेशन ने यहाँ बाज़ी जीत ली. किरण ‘प्रकाश’ का ही एक रूप है और भला उसे कोई रोक पाया है, इसलिए कॉमिक्स बाइट लेकर आएं है इस लेख को खासकर अपने पाठकों के लिए, आभार!!
क्रेडिट्स: कॉमिक्स कवर संग्रह, श्री गौरव गंधेर जी, विकिपीडिया व अन्य!
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