डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 13 (Diamond Comics Vintage Ads)
नमस्कार दोस्तों, अपने समय से काफी आगे की सोच रखने वाली कॉमिक्स प्रकाशन कंपनी – “डायमंड कॉमिक्स” (Diamond Comics) अपने प्रचार प्रसार पर बहुत मेहनत करती थी और अभी भी कर रही है। उसके पुराने और विंटेज विज्ञापनों पर जब आपकी नज़र जाती है तो उस दौर के पाठक के मन में इन अंकों की जानकारी को पढ़ कर यह कौतुहल अवश्य होता होगा की इन सभी कॉमिकों में से किसे खरीदा जाए या पुस्तकालय से कौन कौन से कॉमिक्स मंगवाए जाएं। इसके साथ ही डाइजेस्ट, 3D कॉमिक्स और जनरल कॉमिक्स की दुविधा तो थी ही लेकिन 4/- रुपये से लेकर 6/- रुपये तक एक कॉमिक्स पर खर्च करना वर्ष 1986 में बड़ी बात थीं! पर यह तथ्य भी सोचनीय है की पाठकों का भरपूर प्यार डायमंड कॉमिक्स को सदैव ही मिला जिसका एकमात्र कारण है आज भी डायमंड कॉमिक्स का आसानी से मिल जाना।
इस विज्ञापन से ज्ञात होता है यह शायद पिकलू की पहली सामान्य कॉमिक्स थी जिसका नाम था “पिकलू और जम्बो की सालगिरह“, हालाँकि वह इससे पहले भी 3D कॉमिक्स ‘चिम्पू-पिकलू भोलू गोलू‘ में नज़र आ चुका था लेकिन यहाँ पर ‘नई भेंट’ का तात्पर्य उसकी प्रथम सामन्य कॉमिक्स से ही है। पिकलू के साथ ही कार्टूनिस्ट प्राण द्वारा कृत किरदारों की चित्रकथाएं जैसे चाचा चौधरी और पिंकी को भी पाठकों तक पिकलू कि कॉमिक्स के द्वारा प्रकाशित किया जा रहा था जिससे इसे एक पत्रिका भी कहा जा सकता है। यहाँ पर आप 3D कॉमिक्स – “महाबली शाका और जन्नत महल” का आवरण भी देख सकते है जो पाठकों में बेहद लोकप्रिय था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गाँधी और स्वर्गीय इंद्रा गाँधी जी की किताबें भी आप यहाँ देख सकते है।
दिसम्बर 1985 में प्रकाशित कॉमिकों की जानकारी –
- रमन और खलीफ़ा की दाढ़ी
- चाचा भतीजा और सर्प भवानी
- लम्बू मोटू और खतरनाक मिशन
- महाबली शाका और बौनों का संग्राम
- अंकुर और डायनासोर से टक्कर
- पलटू और जादुई संदूक
अब आप सभी पाठकों से मेरा एक सवाल है की डायनासोर का नाम आप लोगों ने सबसे पहले कब सुना? मेरा जवाब तो होगा हॉलीवुड की फिल्म ‘ज़ुर्रासिक पार्क‘ में जिसने मात्र 10 वर्ष के आयु के बच्चे पर अपनी गहरी छाप छोड़ी लेकिन जब आप सेट की जानकारी देखते है तो पाएंगे की ‘अंकुर और डायनासोर से टक्कर‘ नामक कॉमिक्स में ज़ुर्रासिक पार्क से लगभग 9 वर्ष पहले इसका जिक्र हो रहा है जो कॉमिक्स के माध्यम को एक सशक्त और जानकारी मुहौया कराने का उत्तम साधन बनाता है।
Comics – Purchase Link
एक और बात जो उस दौर में खास थी की पाठकों को अपनी पसंद के हिसाब से कॉमिक्स चयन करने की छूट थी जैसे हास्य के लिए ‘रमन‘, नैतिक मूल्यों के लिए ‘पलटू‘, विज्ञान एवं रोचक जानकारी के लिए ‘अंकुर‘, रहस्य रोमांच के लिए ‘महाबली शाका‘, देशभक्ति और जासूसी कहानियों के लिए ‘लम्बू मोटू‘। मतलब पाठक अपनी शैली के अनुसार इनमें से कोई भी कॉमिक ले सकता था और इनका प्रकाशन भी अच्छी संख्या में किया जाता था।
कॉमिक्स तो हमेशा से मनोरंजन के साथ साथ अनूठी ख़बरों का खज़ाना रहा है और आज भी विज्ञान, फंतासी और सामाजिक पक्षों पर कई सक्रिय प्रकाशन लगातार कार्य कर रहें है जिसका उदाहरण स्वयं डायमंड कॉमिक्स ने हाल में दिया जब ‘प्रोफेसर अश्वत्थामा‘ के प्रकाशन की डायमंड कॉमिक्स के अंतर्गत प्रकाशित होने की घोषणा हुई। आशा है लोग कॉमिक्स को जरुर अपने रोजमर्रा के जीवन में एक बार फिर शामिल करेंगे ताकि उंगिलयों पर फिसलती जिंदगी से दो पल का विश्राम लिया जा सके, आभार – कॉमिक्स बाइट!!