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कोरोना, कॉमिक बुक ऑक्शन और कॉमिक्स की दुकानें

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दोस्तों हाल ही के दिनों में पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, सरकारें एवं प्रसाशन अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है इसे रोकने की हालाँकि इस वायरस के आगे सभी नतमस्तक हो चुके है, लाखों लोग अपनी जान से हाँथ धो चुके है, फिर भी मनुष्य की जीवटता उसे लड़ने की शक्ति प्रदान करती है और कोरोना ‘वारियर्स’ अपने पूरे लगन और जी जान सभी के प्राण बचाने में जुटे है, भारत में भी स्थिति अपना आकार बढ़ा रही है और आने वाले दिनों में हमें ज्यादा सचेत और चौकन्ना रहने की आवश्यकता है. कोविड 19 के बारे और अधिक जानकारी भारत सरकार के पोर्टल – मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर पर उपलब्ध है. इस महामारी के प्रभाव से हर कोई दुखी है, जहाँ सामान्य लोग अपने ही घरों में कैदी की तरह जीने को मजबूर है वहीँ ‘मजदूर’ शहर में होने वाले कष्टों की वजह से (खाने – पीने की दिक्कत) के कारण अपने गावों की ओर पैदल ही निकल पड़े और उन्हें काफी संकटों का सामना भी करना पड़ा. भारत एक वृहद् देश है और यहाँ करोड़ों लोग रहते है. कोई भी कार्य तुरंत अमल में नहीं लाया जा सकता, पूरी रणनीति बनानी पड़ती है, इस वक़्त चाहिए की सभी मिलकर काम करें. केंद्र के साथ मिलकर राज्य की सरकार और प्रशासन को सही निर्णय लेने चाहिये. पर अफ़सोस यहाँ पर राजनितिक रोटियां सेकने से फुर्सत मिले तब कोई सोचे, सब एक दुसरे पर लांछन और कीचड़ उछालने में लगे रहते है. बहरहाल उपर जो लिखा वो बताना जरुरी है क्योंकि भारत में ‘कोसने’ को बोल दीजिये तो 1000 लोग जुट जायेंगे पर जहाँ कर्म की बात हो तो इक्का दुक्का ही लोग दिखेंगे किसी की मदद करते. अब इसी बात को जोड़ते हुए कॉमिक्स की बात भी करूँगा, भारत में हिंदी कॉमिक्स ‘कल्चर’ अभी भी जीवित है क्योंकि कुछ पब्लिकेशन इसे जिंदा रखने की कोशिश कर रहें है और शायद ये जारी भी रहेगा. अब पाठक भी जागरूक हो रहें है लेकिन वो कॉमिक्स जो कभी कॉमिक्स की दुकानों में मिला करती थी अब नदारद है, कॉमिक्स ही नहीं वो दुकानें भी गायब हो चुकी है और कहीं अगर आपको ऐसी कोई दुकान दिख जाये तो इसे ‘चमत्कार’ ही कहा जायेगा (रेलवे स्टेशन की दुकानें अलग है लेकिन कॉमिक्स वहाँ भी नाम मात्र की ही दिखती है).

भारतीय साहित्य/कॉमिक्स/मैगज़ीन की दुकान
साभार: क्यू जेड

इस आर्टिकल का मंतव्य (कॉमिक्स के डाउनफॉल को समझना) वो नहीं है फिलहाल इसलिए उन बिंदुओं को अभी के लिए ‘पार्क’ कर देते है और विस्तारपूर्वक किसी अन्य आर्टिकल में इस पर चर्चा की जाएगी पर ये समझना बहोत जरुरी है की कोई भी प्रणाली तभी काम करेंगी जब सारे उपकरण यथावत हों, कॉमिक्स पब्लिकेशन हाउसेस का बंद होने का एक बड़ा कारण रहा की दुकानें और लाइब्रेरीज़ भी इनके दायरे में आ गई एवं जैसे ही सप्लाई कम हुई डिमांड भी घट गई (ये रिवर्स इम्पैक्ट कहलाया, क्योंकि मार्केटिंग में इसका उल्टा ही दिखता है) हालाँकि हालत ‘बद से बदतर’ 2010 के बाद ही हुए जब बंद हुए पब्लिकेशन की कॉमिक्सें भी बाज़ार से गायब हो गई और इन दुकान वालों के पास कुछ बेचने के लिए कुछ न बचा, अब कॉमिक्स भी कम संख्या में छप रही थी, कुछ पब्लिकेशन बस मात्र ‘रीप्रिंट’ कर रहें थे और नए पब्लिकेशन अभी पैर जमा ही रहे थे, रही सही कमर ‘Marvel’ और ‘DC’ की फिल्मों ने तोड़ दी एवं अंग्रेजी ‘ग्राफ़िक नॉवेल्स’ का जबरदस्त विस्तार हुआ (अमेज़न का बड़ा हाँथ है इसमें) जिस कारण दुकानवालों ने अपनी दुकान समेट ली और कुछ लोग अन्य व्यवसाय में कूद पड़े. इसे ही अंग्रेजी में ‘माइग्रेशन’ कहते है. स्मार्टफ़ोन से लेकर गेमिंग तक सबने भारत की कॉमिक्स इंडस्ट्री को प्रभावित किया.

कॉमिक्स की पुरानी दुकान
साभार: कॉमिक्स ग्रुप

पाश्चत्य देशों में ऐसा नहीं है, वहाँ कॉमिक्स को लेकर काफी पहले से जागरूकता थी और जहाँ टेक्नोलॉजी बदली वहाँ बदलाव भी देखा गया. भारत में भी डायमंड कॉमिक्स और राज कॉमिक्स ने काफी प्रयोग किये शायद इसीलिए ये अभी भी सक्रिय है लेकिन बाकी सभी पब्लिकेशन धीरे धीरे बंद हो गई. पाश्चत्य देशों में बाकायदा कॉमिक्स के बड़े बड़े ‘स्टोर्स’ होते है. जहाँ आप अपने पसंद की कॉमिक्स खरीद सकते है. यहाँ नोवेल्टी से लेकर एक्शन फिगर्स तक उपलब्ध होते है लेकिन कोरोना के कारण उन्हें भी अपनी कार्यशैली बदलनी पड़ी, मैंने खुद फेसबुक लाइव पर कई स्टोर्स को कॉमिक्स की बिक्री करते देखा पर ये नाकाफी रहा क्योंकि कोरोना पूरे विश्व में फैल चुका था.

आर्टिस्ट: जिम ली (बैटमैन) और मार्क सिल्वेस्त्री (वॉल्वरिन)

तब इमेज कॉमिक्स के फाउंडर और DC Comics के ‘CCO’ श्री ‘जिम ली’ ने अपने एक अन्य आर्टिस्ट मित्र के साथ एक ऑक्शन की शुरुवात की जिसमें कॉमिक्स आर्टिस्ट ऑक्शन करेंगे और बिडर अपनी पसंद का या उनके द्वारा बनाया गया स्केच खरीद सकेंगे. इस ऑक्शन से जमा की गई धनराशी ‘कॉमिकबुकयूनाइटेडफण्ड‘ को जाएगी जिससे मुश्किल में फंसे कॉमिक्स बुक स्टोर वालों की मदद हो सके और वो अपने खर्चे वहन कर सकें, इस पहल से काफी बड़े बड़े नाम जुड़ चुके है जिनमे इमेज कॉमिक्स के ही एक अन्य को-फाउंडर श्री ‘मार्क सिल्वेस्टरी’ का नाम भी शामिल है. इस उपक्रम भारत से भी योगदान दिया गया, कॉमिक बुक आर्टिस्ट श्री ‘धीरज वर्मा’ जी ने फेसबुक लाइव के जरिये इस पहल के बारे में अपने पाठकों को बताया और डोनेशन का आग्रह भी किया.(अधिक जानकारी के लिए देखें – कॉमिक्स बाइट न्यूज़).

विदेशों में कॉमिक बुक आर्टिस्ट किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं है और उनके एक पुकार में कई पाठकों ने इस पहल में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और ये अभी भी लगातार जारी है. भारत में जब दुकानें बंद हो रही थी या कहूँ अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी, तब ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला क्योंकि हमारे यहाँ ऐसी कोई व्यवस्था है ही नहीं. रही बात आर्टिस्टों की तो यहाँ भी फैन्स बंटे हुए है, किसी को खास पब्लिकेशन पसंद है तो कोई पुराने दौर में खोया है, कोई आज भी ‘नोस्टाल्जिया’ में जी रहा है. उपर कही गई बातें आपको कड़वी लग सकती है लेकिन बात सोलह आने खरी है और रही सही कसर पूरी पाईरेसी ने कर दी, हम भले ही उस सुनहरे दौर की घंटो बातें कर लें लेकिन सबको पता है वो लौट के नहीं आयेगा जब तक हम खुद उसे सुधारने का बीड़ा नहीं उठाएंगे. खैर माहौल इतना भी ख़राब नहीं है, यहाँ भारतीय आर्टिस्ट बड़े आसानी से किसी भी फैन्स से मुखातिब हो जाते है और बड़े ही ‘डाउन टू अर्थ’ है. हैलो बुक माइन और एमआरपी बुक शॉप जैसे पहल का कॉमिक्स प्रेमियों ने दिल से स्वागत किया और कई कॉमिक्स पब्लिकेशन के खुद के ऑनलाइन पोर्टल ‘एक्टिव’ है. मुझे उम्मीद है की सभी कॉमिक्स प्रेमी एक साथ खड़े हो और जैसा उत्साह ‘नागराज जन्मोत्सव’ में दिखा था फैन्स का, कुछ कुछ वैसा ही जुनून आज इंडस्ट्री को भी चाहिये, हम लोग ‘जिम ली’ सर जैसा कुछ तो कर नहीं सकते लेकिन ज्यादा से ज्यादा हार्ड कॉपी खरीद कर इस इंडस्ट्री को सपोर्ट जरुर करें.

कॉमिक्स बाइट – जुनून जिंदा है

शायद अब वो दुकानें हमें फिर ना दिखें लेकिन हमें हिम्मत नहीं हारनी है, चाहे कोई आपको बच्चा कहे या इस शौक को बचकाना, आप डटे रहिये और कदम पीछे न हटाएं क्योंकि जुनून जब तक हद पार ना करे वो नज़र नहीं आता, समझदारी से और सलीके से उसे बड़ा कीजिये और अपने आस पास के क्षेत्र में इस पहल को बढ़ावा दीजिये, आज ‘बीज’ डालेंगे तभी वो ‘पौधा’ बनेगा और आगे जाकर फलदायक ‘पेड़’ भी, आभार – कॉमिक्स बाइट!

Comics Byte

A passionate comics lover and an avid reader, I wanted to contribute as much as I can in this industry. Hence doing my little bit here. Cheers!

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