कॉमिक्स समीक्षा: हत्या करूँगा मैं – भोकाल – राज कॉमिक्स – (Comics Review – Hatya Karunga Main – Bhokal – Raj Comics)
मित्रों आज बात करेंगे राज कॉमिक्स के ऐसे किरदार की जिसने पाठकों का पिछले कई दशकों से भरपूर मनोरंजन किया हैं। माननीय संजय गुप्ता जी के दिमाग की उपज, कदम स्टूडियोज के आर्टवर्क से सजा, महागुरु के आशीर्वाद से फलीभूत, पुरातन काल का महाबली, मित्रों के लिए शीश कटाने वाला, अपने कर्मो के लिए प्राणों की आहुति देने वाला, जिसने महारावण जैसे पापी का सर्वनाश किया, जिसकी मदद को स्वयं हनुमानजी आए और उसका पग पग में साथ दिया, वो और कोई नहीं बल्कि उस सदी का महानतम महायोद्धा, तंत्र और तलवार का धनी – “भोकाल” कहलाया!!
कॉमिक्स समीक्षा: हत्या करूँगा मैं – भोकाल – राज कॉमिक्स – (Comics Review – Hatya Karunga Main – Bhokal – Raj Comics)
विकास नगर के राजा ‘विकासमोहन’ की हत्या हो चुकी हैं और इस अपराध का मुख्य आरोपी हैं ‘भोकाल’। जिसने विकासनगर और उसके वासियों को अपना माना, अपने मित्रों के साथ वहां की सुरक्षा के लिए रुका एवं परीलोक का त्याग किया! महाराजा विकासमोहन सबसे प्रिय सखा, रानी मोहिनी का भरोसेमंद सिपाहसलार, राजकुमारी श्वेता और राजकुमार अंकित के सबसे पसंदीदा ‘भोकाल चाचा’ एवं विकासनगर के रखवाले ‘भोकाल’ (Bhokal) आखिर क्यूँ हो गया राजा विकासमोहन के खून का प्यासा? एक ऐसी खरतनाक गुप्थी जिसमें हर किसी ने भोकाल को चीख-चीख कर कहते सुना हैं की राजा विकासमोहन की ‘हत्या करूँगा मैं‘!!
कहानी (Story)
कुछ दिनों पहले विकासमोहन ने ‘तुरीन’ की हत्या करने का प्रयास किया था जिसे भोकाल ने अपने बाहुबल से विफ़ल कर दिया एवं वह उस षड्यंत्र के जड़ तक भी पहुंचा। गुस्से से लाल-पीले भोकाल को जब इसके पीछे कबीले के सरदार और राजपुरोहित से राजा विकासमोहन का नाम सुनाई पड़ा तब वो उन्हें मारने सीधे उनके शयनकक्ष जा पहुंचा, लेकिन! भोकाल ने उन्हें मारा नहीं क्योंकि यह सभी लोग उसके अपने जो थें, पर अपने मित्र के इस धोखें को भोकाल और तुरीन सह ना सके और वो दोनों विकासनगर छोड़ने का निर्णय लेते हैं। रात्रि में भोकाल उठ कर कहीं निकल जाता हैं और तुरीन जब उसे बाद में खोजती हैं तो कुछ पहर बाद भोकाल अपने कक्ष में सोया नजर आता हैं पर उसके कपड़ों पर ख़ून के धब्बें भी दिखाई पड़ते हैं जो पहले नहीं थें।
विकासनगर में मचा हैं हाहाकार क्योंकि हो चुकी महाराजा ‘विकासमोहन’ की हत्या! शक की सुई भोकाल की ओर हैं क्योंकि उसने ही एक दिन पहले विकासमोहन को जान से मारने की कोशिश की थीं। प्रातः होते ही विकासनगर के सैनिक भोकाल को बंदी बना लेते हैं जिसके कारण तुरीन का दिल भी बैठ जाता हैं। इसी समय रानी रसिया, महर्षि गोजोबाजो और तिल्ली भी तुरीन से मिलने पहुँच जाते हैं। यह सब घटनाक्रम इतने तेज़ी से घटता हैं और कुछ गलतफहमियों के कारण ऐसी परिस्तिथि बनती हैं की दरबारियों से लेकर शहरवासी तक भोकाल को ही महाराजा विकासमोहन की हत्या का दोषी मानते हैं। पर क्या यही सच हैं और अगर हाँ तो क्यूँ एक इंसान को इस बात का बिलकुल भरोसा नहीं की उसका मित्र ऐसा कार्य कर सकता हैं! क्या लोग वो नहीं देख पा रहें जो वो देख सकता हैं जिसे आम मनुष्य अपनी नज़रों से नहीं देख सकता! क्या रहस्य हैं इस हत्या क्या? क्या भोकाल को सजा हुई? किसने रचा ये खेल जिसमें उलझ कर ये सभी पात्र अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहें हैं? जानने के लिए पढ़ें “हत्या करूँगा मैं“।
टीम (Team)
वर्ष 1996 राज कॉमिक्स के इतिहास के सबसे सफलतम वर्षों में से एक कहा जाएगा। नागराज इयर 1996 में बहुत कुछ घटित हो रहा था और उसके पीछे थीं राज कॉमिक्स की एक जबरदस्त टीम! हत्या करूँगा मैं के कहानीकार हैं श्री संजय गुप्ता, चित्र हैं कदम स्टूडियोज के और इसके संपादक हैं श्री मनीष गुप्ता। कहानी बेहद कसावट से लिखी गई हैं और तेज़ रफ़्तार से भागती हैं, चित्र बेहद ही सुंदर हैं और कोई भी पाठक इसे पढ़कर कदम स्टूडियोज का प्रशंसक बन जाएगा। जैसे की आप उपर देख सकते हैं कॉमिक्स के आवरण में भी भोकाल महाराजा विकासमोहन को तलवार घोंपता दिखाई पड़ रहा हैं और रानी मोहनी इस हौलनाक द्रश्य को देखकर चीख रही हैं। लाजवाब चित्रकारी और रंग-सज्जा का कौशल!
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : राज कॉमिक्स (Raj Comics)
पेज : 32
पेपर : मैट/ग्लॉसी मिक्स
मूल्य : 100/- रुपये (हिंदी)
कहां से खरीदें : राज कॉमिक्स यूनिवर्स (Raj Comics Univesre)
निष्कर्ष (Conclusion)
इतना सब पढ़ने के बाद भी आप हमारा निष्कर्ष पढ़ना चाहते हैं! ‘हत्या करूँगा मैं’ भोकाल सीरीज़ की एक बेहतरीन कॉमिक्स हैं जिसमें षड्यंत्रों और रहस्यों का ऐसा जाल बुना गया हैं जिसमें भोकाल जैसा महारथी भी अपना सुध-बुध खो बैठता हैं। एक शानदार उदहारण जहाँ आपकों अपने सच्चे दोस्तों की अहमियत पता चलती हैं। एक्शन, ड्रामा और षड्यंत्रों से भपूर इस कॉमिक्स को पाठक बिलकुल भी छोड़ नहीं सकते। पठनीय और कलेक्टर्स के लिए संग्रहणीय। शानदार, बेमिसाल – भोकाल!!