कॉमिक्स समीक्षा: चाचा चौधरी और राका का आतंक (डायमंड टून्स) – (Comics Review – Chacha Chaudhary Aur Raka Ka Aatank – Diamond Toons)
चाचा चौधरी और राका का यह टकराव वर्षों पुराना हैं। कंप्यूटर से भी तेज़ दिमाग के खिलाड़ी – चाचा चौधरी एवं जुपिटर ग्रह के निवासी साबू ने अपने जीवन में इससे खूंखार और भयानक शैतान से शायद कभी मुकाबला नहीं किया था। डायमंड कॉमिक्स के सौंवें अंक में इसने अपना पदार्पण किया और डाकू ‘राका’ पाठकों में बेहद लोकप्रिय हो गया। कार्टूनिस्ट प्राण ने बहुत ही सोच समझ कर इसकी रचना की होगी और इसे आप डायमंड कॉमिक्स के हर शतकीय पारी (अंको) में देख पाएंगे। अगर चाचा चौधरी दमदार हैं तो राका भी किसी से कम ना था, साबू को कड़ी टक्कर देने वाला इकलौता अपराधी था राका जिसने वैधराज चक्रमाचार्य की अद्भुद दवाई पी और अमर हो गया। हर बार राका चाचा चौधरी के बिछाए शिकंजे से बाहर निकल जाता और उत्पात मचाता, अब क्या एक बार फिर दुनिया में बरसेगा राका का कहर!!
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कॉमिक्स समीक्षा: चाचा चौधरी और राका का आतंक (डायमंड टून्स) – (Comics Review – Chacha Chaudhary Aur Raka Ka Aatank – Diamond Toons)
कई वर्षों बाद राका को एक बार फिर से कॉमिक्स में देखना बड़ा ही आनदं देता हैं, यह फीलिंग वह लोग बड़े ही आराम से समझ सकते हैं जो डायमंड कॉमिक्स और चाचा चौधरी के साथ बड़े हुए हैं और आज भी फुर्सत के क्षणों में इन्हें पढ़ते हैं, निहारते हैं और अपना पुराना बचपन टटोलते हैं। इसे पढ़कर आपकों शायद कार्टूनिस्ट प्राण जी के कॉमिक स्ट्रिप याद ना आयें लेकिन अगर चाचा चौधरी और राका एक साथ हो तो भाई इसे हम जैसे कॉमिक्स प्रेमी तो शायद ही छोड़ पायें। प्राण साहब ने इतने शानदार किरदार गढ़ें हैं की कोई भी इनका दीवाना बन जाएगा। आज वह महापुरुष हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने पात्रों और उनकी चित्रकथाओं के माध्यम से वो अजर-अमर हैं।
कहानी (Story)
नमस्कार दोस्तों, आज बहुत दिन बाद डायमंड टून्स द्वारा प्रकाशित एक नई कॉमिक्स पड़ी जिसका नाम हैं “चाचा चौधरी और राका का आतंक“। कहानी की शुरुआत होती है डॉन धमाका सिंह से, जहां वह एक वैज्ञानिक – तांडव के साथ भारत में तैयार किए हुए एक सेटेलाइट उपग्रह को तोड़ने की मंशा रखता है और अंततः उसमें सफल भी होता है। वह सेटेलाइट का टुकड़ा टूटते हुए आकाश में कहीं विलीन हो जाता है और उसमें एक परछाई नजर आती है, इसके कुछ टुकड़े समुद्र में भी गिरते हैं और वहां पर एक विशालकाय प्राणी की छाया दिखाई पड़ती है।
अब कहानी वापस आ जाती है पृथ्वी पर फिर से जहां पर डॉन धमाका सिंह और उसका साथी तांडव अपने कुटिल चालों से भारत में आतंक फैलाने की कोशिश करते हैं एवं साथ उसका साथ देता है फाइनेंसर सेठ मायापत्ती और अंडरवर्ल्ड डॉन बारूदपाशा। तांडव के साथ यह लोग एक बायोवेपन “मरोना वायरस” का छिड़काव करना चाहते हैं जिससे भारत के लोग सर्दी, खांसी, बुखार और साँस की अन्य बीमारियों के शिकार हो जाएंगे एवं उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाएगी, इससे कुछ लोगों की मौत भी हो सकती थी। इसके पीछे का उद्देश्य ‘बारूदपाशा’ की अपनी फार्मा कंपनियों के उत्पादों को महंगे दामों में बेचना और बाद में मरोना वायरस की दवाई बेचकर भी अपने जान पहचान के मित्रों द्वारा मोटा मुनाफ़ा कमाने को लेकर थी।
दूसरी ओर चाचा चौधरी और साबू डिफेंस एक्सपो में शामिल होते हैं और देश के डिफेंस को मजबूत करने के लिए क्या नए नए उपकरण बनाए जा रहे हैं, उसकी तस्दीक करते हैं। वहां पर कुछ वेपंस को लूटने का प्लान डॉन धमाका सिंह और उसकी गैंग भी बनाती है लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि वहां पर साबू खुद सिक्योरिटी इंचार्ज था जो धमाका सिंह और उसकी गैंग की तबियत से पिटाई लगाता है एवं उसे उठाकर समुद्र में फेंक देता है।
समुद्र के बाहर एक महामानव की आकृति निकलती है जो और कोई नहीं बल्कि राका ही था और धमाका सिंह राका को अपने साथ बारूदपाशा के अड्डे पर ले जाता है, बीच में राका अपना आतंक का जलवा भी दिखाता है और कई लोगों को मार देता है। बारूदपाशा के अड्डे पर उसे ‘बादशाह’ करके बुलाया जाता है क्योंकि राका जो था वह पहले भी डाकुओं का बादशाह था। मरोना वायरस से पूरे शहर पर छिड़काव कर दिया जाता है और इसमें राका की मदद ली जाती हैं, जो कि अजर अमर है और उसका काम ही आतंक फैलाना है। वह यहां पर सब का सरदार बन जाता है और उसकी मंशा यही थी कि कैसे भी करके लोगों में आतंक फैलाया जाए और अपने परम शत्रु ‘चाचा चौधरी एवं साबू’ से अपना बदला लिया जाए।
मरोना वायरस के माहौल का जायजा लेते हुए प्रधानमंत्री का टेलीफोन चाचा चौधरी को आता है और वह उनसे चर्चा करके लॉकडाउन लगाने की हिदायत देते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना भी सभी के लिए अनिवार्य हो जाता हैं। इन सब की घोषणा के बाद इसका इलाज ढूँढ़ने के लिए चाचा चौधरी जंगल में जाते हैं जहां के वैधराज चक्रामाचार्य के पड़-पौत्र ‘स्वामी चमत्कार’ उन्हें मिलते हैं और वह उनके ज्ञान से इस खतरनाक विषाणु को नष्ट करने की काट एवं विधि भी उनसे साझा करते हैं। साबू और चाचा चौधरी एवं भारत सरकार, इसे सभी गांवों-शहरों और वहां के लोगों तक पहुंचाते हैं। बाद में प्रधानमंत्री ‘चाचाजी’ को धन्यवाद देते हैं और चाचा चौधरी एवं साबू ,’राका’ को पकड़ने निकल जाते हैं जहां उनका टकराव होता हैं एक बार फिर शैतान की मूरत राका से! अब आगे क्या हुआ यह तो आपको कॉमिक्स पढ़कर ही पता चलेगा।
संक्षिप्त विवरण (Details)
प्रकाशक : डायमंड टून्स
पेज : 48
पेपर : नार्मल
मूल्य : 100/-
भाषा : हिंदी एवं अंग्रेजी
कहां से खरीदें : अमेज़न
निष्कर्ष (Conclusion)
कॉमिक्स की कर बात करूं तो राका को देखकर आपको प्राण जी की याद जरुर आएगी। चाचा चौधरी की कॉमिक्स तो वैसे भी प्रिंट हो ही रही थी चाहे डायमंड की पुरानी कॉमिक्स हो या फिर डायमंड टून्स की। कॉमिक्स के आर्टिस्ट का कार्य बहुत बढ़िया है और आपको आनंद आ जाएगा, शायद आपको बचपन का स्वाद ना मिलें लेकिन कहानी अच्छी है और नए जमाने को ध्यान में रखकर लिखी गयी हैं। डाकू की जगह डॉन कर दिया गया हैं एवं धमाका सिंह भी पहले जैसा ही हैं। यहाँ भाषा में काफी सुधार की जरूरत है क्योंकि लिखे जा रहे शब्दों से काफी त्रुटियां हैं जो आपका पढ़ने का मजा खराब कर देती हैं। इसे दुरुस्त किया जाना चाहिए। आर्ट बेहतर है, अन्य कॉमिक्स के मुकाबले काफी अच्छा बनाया गया है लेकिन कुछ पृष्ठ प्रिंट में काफी हल्के प्रतीत होते हैं जो आँखों में खटकते हैं। बाकी कॉमिक्स की कहानी अच्छी हैं और इसका मूल्य 100/- रूपये है, जो कॉमिक्स के लिए वाजिब मालूम पड़ता हैं। हाँ, गुणवत्ता को सुधारने की गुंजाइश काफी है और उम्मीद करता हूं कि अगर ये लेख कभी डायमंड टून्स या श्री निखिल प्राण जी तक पहुंचे तो वह बेशक इन चीजों पर ध्यान दें, क्योंकि इन्हें बच्चे भी पढ़ते हैं। लेकिन जब चित्रकथा में चाचा चौधरी हो, साबू हो और राका भी हो तो कॉमिक्स प्रशंसकों को और क्या चाहिए?
Unboxing: Chacha Chaudhary Aur Raka Ka Aatank
New Comics in Hindi (Set of 5 Comics) : Chacha Chaudhary Raka’s Terror