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यादों की दराजों में रखे कॉमिक्स !!! (Yaddon Ki Daraj – Advait Sowale – Comics Kept In The Drawers Of Memories!)

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Advait Avinash Sowale [अद्वैत अविनाश सोवले (मराठी ‘सोवळे’)]: अद्वैत पुणे के रहनेवाले है । उनका बचपन विदर्भ मे गुजरा। माता पिता शिक्षा के क्षेत्र मे कार्यरत होने की वजह से बचपन से ही उन्हे पढ़ने और लिखने मे विशेष रुचि रही है। घर मे बचपन से ही किताबों का मेला रहता इसकी वजह से सिर्फ मराठी ही नहीं बल्कि हिन्दी और अंग्रेजी साहित्य मे भी उनकी रुचि बढ़ती रही। अद्वैत ने रसायनशास्त्र मे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। साहित्य मे रुचि होने के कारण उन्होने अंग्रेजी साहित्य मे स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। उनके मराठी लेख और कवितायें काफी पत्रिकाओं मे प्रकाशित हो चुकी है। उनको सूचना प्रौद्योगीकी संबधित लेख और ब्लॉग आंतरराष्ट्रीय माध्यमों मे प्रकाशित हो चुके है। पुणे मेट्रो के लिए घोष वाक्य प्रतियोगिता, विज्ञान वर्ग पहेली निर्मिति प्रतियोगिता उन्होने जीती है। पिंपरी चिंचवड स्थित रामकृष्ण मोरे नाट्यगृह के रंगमच के ऊपर उन्होने लिखा हुआ सुभाषित नक्काशीत किया गया है। अद्वैत एक कुशल अनुवादक हैं और कुछ किताबों की निर्मिति में भी उन्होंने योगदान दिया हैं और दे रहे हैं, फिलहाल वो पुणे एक सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी मे संगणक प्रणाली गुणवत्ता विश्लेषक के पद पर कार्यरत है।


नमस्कार, कॉममक्स बाइट के सभी चाहनेवालों को नमस्कार। आशा करता हूँ के आप सभी कुशल होंगे। कॉमिक्स बाइट के सभी वाचकों को धन्यवाद जिन्होंने मेरे निम्नलिखित पूर्व प्रकाशित सारे आर्टिकल्स को भरभर के प्रेम तथा प्रशंसा प्रदान की।

पढ़ें – भारतीय कॉमिक्स: साहित्य की दुर्लक्षित धरोहर और फिल्मी कॉमिक्स का यादगार सफर

हमारे कई नियमित वाचकों ने अनुरोध किया की कुछ ऐसे ही आलेख लिखे जिससे मन में भूतकाल की किसी अवधि किसी काल में जाकर पुरानी यादें ताज़ा हो जायें। तो वाचकों की इच्छा का पूरा ध्यान रखते हुए रोज कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, सूचना और प्रौद्योगिकी लेख तथा मराठी में कथा, कवितायेँ, आलेख अदि टंकित करने के लिए चलनेवाली उँगलियों को आज वाचकों के लिए कुछ यादों के झरोंखे खोलने के लिए कहां।

पढ़ें – कॉमिक्स के समकालीन: विभिन्न पहलू और यादें भाग – 1, कॉमिक्स के समकालीन: विभिन्न पहलू और यादें भाग – 2 और कॉमिक्स के समकालीन: कुछ अलग यादें भाग –३

मनोज चित्र कथा और तुलसी कॉमिक्स की सुनहरी यादें। (Golden Memories of Manoj Chitra Katha and Tulsi Comics.)

जब हम हिंदी कॉमिक्स जगत की बात करते हैं तो हमें जो किरदार याद आते हैं उनमे प्रमुख हैं चाचा चौधरी, पिंकी, बिल्लू, रमन, चन्नी चाची, पिकलू, पलटू, अंकुर, ताऊ जी, मोटू पतलू, लंबू मोटू, मोटू छोटू, छोटू लंबू, चाचा भतीजा, मामा भांजा महाबली शाका, फौलादी सिंह, सागर सलीम, राम रहीम, राजन इक़बाल, चाचा चतुरी, बांकेलाल, छुटकी, सुपर कमांडो ध्रुव, अंडेराम डंडेराम, नागराज, अग्निपुत्र अभय, फैंटम, क्रुकबॉन्ड, दाबू। इनके अलावा भी कुछ ऐसे चरित्र हैं जो बहोत ही कम कॉमिक्स जगत में आये हैं। चाचा चक्रम, जासूस चक्रम, अटकल पटकल,नानाजी, चाचा चंपकलाल ऐसे कुछ नाम हैं। और भी कई नाम हैं मगर उन किरदारों को कभी और किसी आलेख में देखेंगे। तो इस श्रृंखला में हम ऐसे कुछ कॉमिक्स की यादों को ताजा करेंगे जो किसी चरित्र या किसी श्रृंखला से बंधे नहीं हैं।

हम सभी के जीवन में यादें कई मायने रखती हैं। मैं जब बारहवीं कक्षा में गणित के वर्ग के लिए जाता था तो रास्ते में क़िताबों की एक दुकान थी। उस दुकान के मालिक को शायद केवड़े की अगरबत्ती पसंद थी। जब भी वहां से गुजरते तो वो खुशबु आती थी। आज भी जब केवड़े की अगरबत्ती की खुशबु आती हैं तो वो दुकान नजर के सामने आ जाती हैं और वो वक्त भी। आज हम मैगी, पिज़्ज़ा, कोल्ड्रिंक के साथ वेबसिरिज का सीजन देखते हैं। उनदिनों हम भेलपुरी, चिवड़ा खाते खाते कॉमिक्स पढ़ते थे। ऐसी अनगिनत यादें हम सब की हैं। जैसे ऊपर बताया के इस श्रृंखला में हम ऐसे कुछ कॉमिक्स की यादों को ताजा करेंगे जो किसी चरित्र या किसी श्रृंखला से बंधे नहीं हैं तो एक नजरियें से सोचो तो वो रेयर, दुर्लभ कॉमिक्स हैं। आप ने कभी वो पढ़े होंगे और आपकी उससे जुडी कोई यादें होगी तो हमारे साथ जरूर साझा करे। इस श्रृंखला में आज तीन कॉमिक्स की बात करेंगे। 

सफेदपोश भेड़िया – मनोज चित्र कथा

Safedposh Bhediya - Manoj Chitra Katha
Safedposh Bhediya – Manoj Chitra Katha

कॉमिक्स १९९०-९१ वर्ष में की हैं। डॉक्टर हरीश बत्रा नमक वैज्ञानिक कहानी के केंद्र में हैं। जिन्होंने देश के लिए कुछ अनूठा अविष्कार किया हैं। एक विदेशी एजेंट उस अविष्कार को पाने के लिए पहले हरीश का अपहरण करता हैं तथा बाद में हरीश से वो काम करवाने के लिए उसे मजबूर करता हैं। जब हरीश उसे इन्कार करता है तो देशद्रोही हरीश की माँ सुमित्रादेवी का अपहरण करता हैं। एक तरफ ये चल रहा होता हैं तो दूसरी और देश की ख़ुफ़िया सुरक्षा संस्था एक ऑफिसर अमर खन्ना को हरीश बत्रा को छुड़ाने और असली देशद्रोही का पर्दाफाश करने के काम पर नियुक्त किया जाता हैं। कॉमिक्स की कथा, दृश्य और चित्र कालानुरूप हैं। कथा काम किरदारों के बिच होकर भी पढ़नेवालों को बाँधे रखती हैं। सुरक्षा संस्था के प्रमुख का नाम वरधान दिखाया हैं जो हमें डॉन (१९७८) फिल्म के एक चरित्र से प्रभावित लगता हैं।

धोखा धड़ी – तुलसी कॉमिक्स

Dhokha Dhadi - Tusli Comics
Dhokha Dhadi – Tusli Comics

कुछ कहानियों का अंदाज़ा उसके शीर्षक मात्र से ही आ जाता हैं। ‘धोखाधड़ी’ इस कॉमिक्स की कथा का भी ऐसा ही हैं। मगर यहाँ एक बात जरूर रखना चाहूंगा। जैसे कुछ कहानियों में अलग मोड़ आता हैं और जिसमे कभी कभी उसकी अगली कड़ी भी होने की सम्भावना सी लगती हैं, ये कहानी भी कुछ उसी अंग से जाती हैं। विश्वजीत अपने दोस्तों के साथ हर साल की तरह छुट्टियां मनाने अपने पुश्तैनी हवेली में जाता हैं। जब वो सब हवेली में मस्ती करते हैं तब एक जख्मी इंसान वहां आता हैं और मदद की गुहार लगाता हैं। उसके पीछे कुछ खतरनाक गुंडे लगे हुए होते हैं। वो उसके पास की एक डायरी जिसमे एक सोने की मूर्ति की जानकारी दी हैं, उस डायरी को विश्वजीत को देता हैं। बाद में जैसे तैसे वहां से बचकर निकल जाता हैं। विश्वजीत और उसके दोस्त और दूसरे गुंडे भी उस मूर्ति को हासिल करने की कोशिश कर देते हैं। बाद में कहानी में अलग ही मोड़ आता हैं जो काफी दिलचस्प हैं। पात्रों का चित्रांकन अलग और अच्छा हैं। सभी पात्रों को थोड़ा और निखारना चाहिए था। तुलसी कॉमिक्स प्रकाशन की एक अच्छी पेशकश थी। थोड़ी विस्मृति से गयी हुई ये कॉमिक्स हैं। शायद कॉमिक्स बाइट के वाचकों कुछ याद आ जाये।

किस्मत के रंग – तुलसी कॉमिक्स

Kismat Ke Rang - Tulsi Comics
Kismat Ke Rang – Tulsi Comics

कॉमिक्स की कहानियाँ मनोरंजन के लिए होती हैं साथ ही अगर बच्चो को कुछ सिख भी मिल सके तो अच्छा लगता हैं मगर ‘किस्मत के रंग’ इस कॉमिक्स की कहानी एक अलग वर्ग में आती हैं। इसमें कुछ खास मनोरंजन हैं या रोचक घटनाएँ हैं या कुछ सिख है, ऐसा बिलकुल नहीं। दो अलग राज्य के राजकुमार तथा राजकुमारी एक दूसरे से प्यार करते हैं। राजकुमारी के पिता महाराज अपने राजपुरोहित को उस राजकुमार के लिए अपनी बेटी का प्रस्ताव लेकर भेजते हैं। वहां पर कुछ अपशकुन होता हैं और उसकी वजह से राजपुरोहित राजकुमारी का विवाह राजकुमार को दूसरे भाई से तय कर के आते हैं। ये सुन राजकुमार राज्य छोड़ निकल जाता हैं। राजकुमारी शादी को तैयार तो हो जाती हैं पर वो अपने प्रियतम के याद में डोली में ही हीरा खाकर मर जाती हैं। इधर राजकुमार को जंगल में वनदेवी उसे कुछ अलग कार्य करना हैं ऐसा बताकर उससे एक महत्वपूर्ण कार्य करवाती हैं। अलग अलग कहानियों को जोड़कर एक कहानी बनाने का प्रयास किया गया हैं मगर तीन अलग कॉमिक्स बनते तो कुछ अच्छा सेट बन सकता था। कहानी में चित्रांकन ठीकठाक हैं। पात्रों के चेहरे पर के भावों थोड़ा और अच्छा करना चाहिए था।

तो ये तीनों और कोई एक कॉमिक्स आपने पढ़ा होगा तो अपनी यादों को ताजा करे। अगली कड़ी में कुछ और कॉमिक्स के बारे में बात करेंगे।

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ACK Assorted Pack of 50

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A passionate comics lover and an avid reader, I wanted to contribute as much as I can in this industry. Hence doing my little bit here. Cheers!

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