करैक्टर बायो – चाचा चौधरी
चाचा चौधरी: दिवंगत प्राण कुमार शर्मा जी ने भारत को चाचा चौधरी के रूप में एक ऐसा सुपर हीरो दिया जिसकी किसी ने अपेक्षा भी नहीं की थी, एक लाल पगड़ीधारी, अपने हाँथ में एक डंडा(लाठी या छड़ी) लिए बेहद खूंखार अपराधियों की भी छुट्टी इतने आसानी से कर देता था की जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती (और करे भी क्यों ना, भाई चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज़ चलता है), इसमें उनका साथ देता जुपिटर निवासी साबू (जिसके गुस्सा होने से ज्वालामुखी फट पड़ता है) और उनका पालतू कुत्ता राकेट जो निहायती तेज़ है, उनकी पत्नी बीनी का भी जिक्र जरुरी है क्योंकि जो किसी से नहीं डरता वो पत्नी से बहोत डरता है एवं टिंगू मास्टर (कितनी ही कहानियों में चाचा चौधरी ने टिंगू मास्टर से बड़े अलबेले काम कराये है).
चाचा चौधरी के बदमाशों के नाम भी बड़े मजाकिया थे जैसे डाकू गोबर सिंह और उसका छर्रा डाकू धमाका सिंह लेकिन दुश्मनी तो सिर्फ राका ने ही निभाई, जितने बार भी चाचाजी साबू की मदद से उसे कैद करते, वो कोई न कोई तिकड़म लगा कर निकल जाता (राका मर नहीं सकता, उसने वैधराज चक्रमाचार्य की दवाई पी रखी है जिससे वो अब अमर हो चुका है).
सन 1971 में चाचा चौधरी की आगमन “लोटपोट” नामक बाल पत्रिका में हुआ और आज लगभग 50 वर्ष बाद भी किरदार की लोकप्रियता बराबर बनी हुई है. डायमंड कॉमिक्स ने किरदार की लोकप्रियता को सही मंच प्रदान किया और चाचाजी कब पूरे भारत के चाचा बन गए पता भी न चला, किरदार का देसीपन, सरलता, दिमागी दांव पेंच का पैनापन हमारे चाचाजी को “सर्वश्रेष्ठ” बना देता है! उनकी कहानियां आपको गुदगुदाती है, हंसाती है और सही गलत का भेद भी बताती है, प्राण सर के जाने के बाद भी आज उनके द्वारा बनाई ढेरों कॉमिक्स के छपाई का कार्य जारी है और हमेशा रहेगा. भारतीय कॉमिक्स जगत के इतिहास में चाचाजी की अमिट छाप है, एक मध्यमवर्गीय देसी सुपर हीरो जिसका पूरा भारत दीवाना था. प्राण सर को उनकी इस कालजयी कृति के लिए हमारी पूरी टीम की ओर से सादर नमन.
उम्मीद करता हूँ ये अनुभाग (सेक्शन) आपको पसंद आया होगा, आभार – कॉमिक्स बाइट!
Pingback: कॉमिक्स बाइट फैक्ट्स: चाचा चौधरी की रजत जयंती (वर्ष 1994) - Comics Byte