बुल्सआई प्रेस – ज़ालिम मांझा ओरिजिंस (Bullseye Press: Zalim Manjha Origins – Pre-Order)
ज़ालिम मांझा के उत्पत्ति की अनकही दास्तान – बुल्सआई प्रेस प्रस्तुत करते हैं ज़ालिम मांझा ओरिजिंस। (The Untold Story of Zalim Manjha’s Origin – Bullseye Press Presents Zalim Manjha’s New Issue Now Available on Pre-Order.)
नमस्कार मित्रों, बंगलुरु कॉमिक कॉन की धमाकेदार शुरुवात हो चुकी हैं और बुल्सआई प्रेस प्रकाशन ने इस बड़े इवेंट के लिए खास तैयारियाँ भी की है। ड्रैकुला के पहले अंक को बोनस कंटेंट के जहाँ फिर से प्रकाशित किया जा रहा है वहीँ ज़ालिम मांझा का तीसरे अंक का अनावरण भी खास बेंगलुरु कॉमिक कॉन में किया गया है। ज़ालिम मांझा बुल्सआई पब्लिकेशन का एक स्थापित पात्र है जिसे पाठकों का काफी प्रेम मिला है। बढ़िया आर्टवर्क और शानदार कहानी इसके चित्रकथाओं की ‘यू एस पी’ कही जा सकती है। पैरानोर्मल और डार्क स्टोरीलाइन, बुल्सआई प्रेस के रीडर्स पर अपनी छाप छोड़ने में सफल रही है और उम्मीद है इसका तीसरा अंक भी इसकी एकरूपता को बरकरार रख पाएगी। कॉमिक कॉन के साथ-साथ इसके ऑनलाइन प्री-ऑर्डर भी बुल्सआई प्रेस की वेबसाइट और पुस्तक विक्रेताओं के पास उपलब्ध हो चुके है।
ज़ालिम मांझा – ओरिजिंस को हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया जाएगा एवं इसकी मूल्य दर 349/- से लेकर 399/- के बीच में रखें गए हैं, अधिक जानकारी के लिए पाठक उनके वेबसाइट ‘बुल्सआई प्रेस’ पर विवरण देख सकते हैं। सभी अंकों पर 10 प्रतिशत की छूट भी दी जा रही है और कॉमिक्स में कुल 48 पृष्ठ है जिन्हें ग्लॉसी पेपरबैक फॉर्मेट में छापा जाएगा। इस बार कॉमिक्स के आवरण बहोत ही शानदार बनाएं गए है खासकर अंग्रेजी संस्करण के।
ज़ालिम मांझा के अंक 3 – स्टोरी प्लाट (Zalim Manjha Origins – Story Plot)
अत्यधिक कुशल, प्रामाणिक जादूगरों और तांत्रिकों की हत्याएं हो रहीं हैं। पुलिस को मिले सुराग उन्हें मांझा के दरवाज़े पर ले आते हैं। मांझा के अनुसार, इन हत्याओं की जड़ें 16वीं सदी के केरल के ज़मोरिन युग से जुड़ी हुई हैं। बुल्सआई प्रेस पेश करते हैं माइकल मांझा उर्फ ज़ालिम मांझा के उत्पत्ति की कहानी । ज़ालिम मांझा भाग ३ – बैंगलोर कॉमिक कॉन में रिलीज़ हो रही है!!
- लेखक : सुदीप मेनन
- कला : दीपजॉय सुब्बा
- रंगसज्जा : तौहीदुल इकबाल संपद
- कवर/वेरिएंट कवर : दीपजॉय सुब्बा, कायो पिगड़ो, तादाम ग्यादु
- कवर रंगसज्जा : तौहीदूल इकबाल संपद, प्रदीप सहरावत
Order : Bullseye Press