“ब्रेकिंग द फोर्थ वाल” – (Breaking The Fourth Wall)
“ब्रेकिंग द फोर्थ वाल” – (Breaking The Fourth Wall)
नमस्कार दोस्तों, आजकल एक टॅपिक बहुत प्रचलन में है जिसका नाम है “फोर्थ वाॅल ब्रेक” करना!!
इसको सबसे पहले मैंने डेडपूल नामक फिल्म में देखा था जब डेडपूल दर्शकों से सीधे स्क्रीन से बात करता है, मतलब वह मूवी में सीधे-सीधे अपने दर्शकों से संवाद स्थापित करता है। तब से यह बिंदु काफी ज्यादा प्रचलन में आ गया कि आज के कैरेक्टर या किरदार जो फिल्म या कॉमिक्स में है, वो दर्शकों से सीधी बातचीत करके अपना एक कनेक्शन स्थापित करते हैं और इसे ही अंग्रेजी में फोर्थ वाॅल ब्रेक करना कहते हैं!!
एक्चुअली यह एक आभासी हवा की दीवार होती है जो हमारे और उस चलचित्र (फिल्म या कहूँ कॉमिक्स में भी) बीच में हैं और उस दीवार के पार पर अपने जो दर्शक हैं उनसे मुखातिब होते हुए फिल्म, कॉमिक्स या वेबसीरीज का जो किरदार हैं वह उनसे संवाद स्थापित करता हैं और दंतकथाओं में ऐसे ही फोर्थ वाॅल ब्रेक करना होता है। मार्वल की हालिया प्रकाशित वेब सीरीज ‘शी हल्क’ में भी जो मुख्य किरदार ‘शी हल्क’ का है, वह भी दर्शकों से सीधे सीधे संवाद करती है जब तो वह अपने भाई हल्क के साथ ट्रेनिंग कर रही होती है।
तो आजकल देखने में ये आ रहा है कि जब किरदार ऐसा करते हैं तब उनका अपने पाठक या दर्शक वर्ग से एक अलग कनेक्शन बनता है। मेरे मित्र श्री हेमेंद्र सिंह जी ने भी हालिया एक बहुत बढ़िया आर्टिकल लिखा था इसके ऊपर जो जासूस बबलू पर था, कहानी के अंत में वो पाठकों से अपने विचार साझा करता है। मधु मुस्कान काॅमिक्स के अंदर इसे दर्शया हैं चित्रकार और फनकार कॉमिक बुक आर्टिस्ट श्री हुसैन ज़ामिन जी ने, जो बड़े कमाल के कॉमिक्स क्रिएटिव हैं और उन्होंने बहुत से पुराने प्रकाशनों एवं शानदार कामिकों पर कार्य भी किया हैं।
इसी कड़ी में अगर बात करूं तो मेरे द्वारा हालिया पढ़ी गई कॉमिक्स ‘राज रहमान’ जिक्र भी यहाँ जरुर होगा एवं जिसका रिव्यू बहुत जल्द काॅमिक्स बाइट के ब्लॉग पर भी आएगा। इस कॉमिक्स के प्रकाशक हैं बुल्सऑई प्रेस और कॉमिक्स में उनका एक किरदार है ‘रहमान’ जो सीधे पाठकों से बात करता है एवं कॉमिक्स में घटित हो रही है एवं अपने आसपास की घटनाओं का वर्णन करता है। उन फ्रेम्स में ये किरदार पाठकों को बताता है कि वहां क्या छानबीन-खोजबीन हो रही है।यह तरीका काफी अलग है स्टोरीटेलिंग का और मैं आपको बता रहा हूं जब ऐसा कुछ होता हैं तो पाठक भी उस कहानी का हिस्सा बन जाते हैं, उसे महसूस कर पाते हैं कि यह सब कैसे हो रहा है।
मतलब कहानी चल रही है और कहानी के बीच में ही सीधे आप से रूबरू होते हुए वह जो किरदार है आपसे बात भी कर रहा है। आजकल काफी प्रकाशन इसका इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह बात मैं आपसे क्यों कर रहा हूं? इसलिए की अगर मैं अपनी बात करूं तो पहले मैंने ऐसा कुछ देखा या पढ़ा तो ज़रूर होगा पर मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था ‘फोर्थ वाॅल ब्रेक’ करना किसे कहते हैं! मुझे ये अभी पता चला है मतलब कुछ साल पहले ही (डेडपूल फिल्म के बाद)। फिर सबसे पहले ये मैंने कहाँ देखा? और तब मेरी नजर पड़ी राज कॉमिक्स पर! यहां पर प्रकाश डालना चाहूंगा ‘श्री अनुपम सिन्हा जी’ के कार्य पर। तब तो हम बच्चे थे, हमें इतना ज्ञान नहीं था ना पता कि यह सब क्या होता हैं लेकिन राज कॉमिक्स में “सुपर कमांडो ध्रुव” के पहले अंक ‘प्रतिशोध की ज्वाला’ में सुपर कमांडो ध्रुव भी कहानी के अंतिम पृष्ठ पर पाठकों से सीधे संवाद स्थापित करता है और अपनी अगली कहानी एवं किरदार के बारे में पाठकों को बताता है। यह देखना बड़ा आनंद देता है कि ‘क्या बात है यार’!! मतलब समझ में नहीं आता कि कितने आगे की सोच रखते थे यह सभी आर्टिस्ट जो आज के दिन भी उतने ही एक्टिव है एवं बहुत काम भी कर रहे हैं।
सोच कर देंखें एक बार नहीं अपितु उसके बाद – ‘आदमखोरों का स्वर्ग और स्वर्ग की तबाही’ में भी श्वेता पाठकों से अंतिम फ्रेम में बात करती है और उसके बाद मौत का ओलंपिक नामक काॅमिक्स में भी ध्रुव पाठकों से बात करता है और लोगों को भविष्य में होने वाले टकराव का संकेत देता हैं।भारत के काॅमिक बुक आर्टिस्टों को मेरा नमन हैं जो वक्त से काफी आगे की सोच रखते थें। अपने विचार हमें टिप्पणी करके अवश्य बताएं, आभार – काॅमिक्स बाइट!!