अंकुर और गोगो – डायमंड कॉमिक्स पुराने विज्ञापन भाग – 21 (Ankur Aur Gogo – Diamond Comics Vintage Ads)
बच्चों की मासिक बाल पत्रिका में डायमंड कॉमिक्स का विंटेज विज्ञापन! (Ankur’s Vintage Advertisement in Monthly Children Magazine!)
‘डायमंड कॉमिक्स’ (Diamond Comics) में अंकुर का हमेशा अलग महत्व रहा है। प्राण जी की कॉमिक स्ट्रिप और साथ में डायमंड कॉमिक्स के अन्य पात्रों की टुकड़ों में प्रकाशित होती नई कहानियाँ इसका मुख्य आकर्षण था। अंकुर बाल पत्रिका मात्र एक मनोरंजन का स्त्रोत्र ही नहीं अपितु विज्ञान से जुड़ी अनोखी जानकारियों का वह पुलिंदा था जो बच्चों को खेल-खेल में कई तथ्य समझाने का माद्दा रखता था। इसका सारा श्रेय भारत में विज्ञान को सरल भाषा में दूर-दूर पहुँचाने वाले श्री आईवर यूशियल को जाता है जिन्होंने इस पत्रिका के माध्यम से स्कूल में बोझिल लगने वाले एक विषय को मनोरंजक बना कर पेश किया। आज भले ही कॉमिक्स की संख्या लाखों से हजारों में आ चुकी है लेकिन उसके प्रति अविभावकों का रवैया आज भी उदासीनता भरा है। विश्वास करें जिन्होंने सन 2000 के पहले इन्हें पढ़ा है या इससे जुड़े है उनके विज्ञान की जानकारी आज के बच्चों से बेहतर होगी।
“हर नन्हें मुन्ने की पहली पसंद” – कार्टूनिस्ट प्राण का ‘अंकुर’, अंकुर का महान विशेषांक – ‘अंकुर और गोगो‘। ऐसे विज्ञापन अब देखने को नहीं मिलते। कॉमिक्स की जानकारी के साथ साथ डायमंड बुक्स के नए अंकों के विवरण वहां रहते थे और ये आश्चर्य करने वाली बात है की तब डायमंड ने कंप्यूटर की जानकारी के लिए ‘कंप्यूटर प्रोग्रामिंग कोर्स’ नामक किताब प्रकाशित की थी। वैसे भी डायमंड कॉमिक्स के सभी पाठक इस बात से वाकिफ़ है की “चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज़ चलता है“।
अंकुर और गोगो के साथ दिसम्बर 1986 में प्रकाशित अन्य डायमंड कॉमिक्स भी इस सेट में थीं और उनका मूल्य था 4/- रुपये। क्रिकेट, जुडो-कराटे और बाल पाठकों के नॉलेजबैंक की जानकारी भी यहाँ देखने को मिली थीं।
डायमंड कॉमिक्स के अन्य कॉमिक्स की सूची (Diamond Comics List)
- अंकुर और गोगो
- लंबू मोटू और डॉक्टर अफलातून
- फ़ौलादी सिंह और जहरीला षड्यंत्र
- पलटू और मंजू उस्ताद
- चाचा भतीजा और कातिल मशीन
- पिकलू और लकड़ी के चोर
फौलादी सिंह के कॉमिक्स भी उस दौर में बहुत लोकप्रिय रहे क्योंकि जो विज्ञान और ब्रम्हांड की बातें अंकुर के विज्ञान स्तंभ में की जाती थी उनका प्रयोग डॉक्टर जॉन और फ़ौलाद अपनी कहानियों में करते थे। विज्ञान, फंतासी, देशभक्ति और शौर्य का अनोखा संगम था फौलादी सिंह जो आज के युग की भी जरुरत है। आशा है पाठक फिर से कभी इन चित्रकथाओं से रूबरू हो पाएं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!