नागराज: प्रथम 5 कॉमिक्स (Nagraj – First 5 Comics)
नमस्कार दोस्तों, जब से राज कॉमिक्स ने ‘नागराज’ के प्रथम 5 कॉमिकों को मिला कर एक संयुक्त संस्करण निकालने की बात की है तभी से मेरी इच्छा थी की आप सभी लोगों तक इसके बारे में जानकारी मुहैया कराई जाए. जहाँ तक मैं समझता हूँ हम सभी ने इन्हें अपने जीवनकाल में कभी ना कभी इन कॉमिक्स को पढ़ा है, कुछ लोगों के कलेक्शन में भी ये कॉमिक्स ज़रूर होंगी, कभी लाइब्रेरी से किराए पर लेकर या कभी पुनर्मुद्रित होकर बुकस्टाल से होती हुई ये पाठकों तक पहुंची होगी, लेकिन आज भी कई पाठक इन बेहतरीन कॉमिकों से दूर है और अब श्री संजय गुप्ता जी इन्हें दुबारा पाठकों तक पहुँचाना चाहते है और वो भी एक संग्राहक अंक के रूप में. तो आईये देखते है क्या खास है नागराज के इन प्रथम 5 कॉमिक्स में…!!
नागराज (Nagraj)
नागराज की प्रथम कॉमिक्स और “राज कॉमिक्स की दुर्लभ खोज“. श्री जगदीश पंकज जी के आवरण से सुसज्जित, श्री परशुराम शर्मा जी के कलम से निकली एक दहकती कहानी और ‘कॉमिक्स जगत के पितामाह’ श्री प्रताप मुल्लिक जी के जादुई कूंची से बनाई हुई एक अद्भुद नाग बालक ‘नागराज‘ के पहली कहानी. इसका दूसरा आवरण (पुनर्मुद्रित) श्री प्रताप मुल्लिक जी द्वारा बनाया गया था और संपादन था श्री मनीष चन्द्र गुप्त जी का.
नागराज की कब्र (Nagraj Ki Kabra)
नागराज की दूसरी कॉमिक्स, जहाँ नागराज अपराधियों से टकराने और आतंकवाद को नेस्तोनाबूत करने के अपने पहले मिशन पर निकल पड़ता है. कॉमिक्स के पहले आवरण पर कार्य किया है भारतीय कला जगत के जाने माने कलाकार श्री संजय अष्टपुत्रे जी ने, दूसरा पुनर्मुद्रित आवरण बनाया है श्री प्रताप मुल्लिक जी ने. पृष्ठों का चित्रांकन भी अष्टपुत्रे जी का था और कथा थीं श्री परशुराम शर्मा जी की. संपादन का कार्य एक बार फिर श्री मनीष चन्द्र गुप्त जी ने ही किया था.
आर्ट: संजय अष्टपुत्रे जी आर्ट: प्रताप मुल्लिक जी
नागराज का बदला (Nagraj Ka Badla)
अपने कब्र से बाहर निकल आया नागराज और अब उसका एक ही लक्ष्य था असम के माफिया बॉस “बुलडॉग” का खात्मा..!! क्या वह अपने लक्ष्य को भेदने में सफल हुआ? नागराज सीरीज की तीसरी कड़ी इसी ‘प्लाट’ के आस पास घूमती है. बाकी की पूरी टीम वही है जिन्होंने दूसरी कॉमिक्स पर कार्य किया था. आवरण और चित्रकार – श्री संजय अष्टपुत्रे जी, कहानी – श्री परशुराम शर्मा जी, संपादन – श्री मनीष चन्द्र गुप्त जी और दूसरा पुनर्मुद्रित आवरण द्वारा श्री प्रताप मुल्लिक जी.
आर्ट: संजय अष्टपुत्रे जी आर्ट: प्रताप मुल्लिक जी
नागराज की हॉगकॉग यात्रा (Nagraj Ki Hong Kong Yatra)
नागराज निकल चुका है अपने आतंकहर्ता वाले रूप में विश्व आतंकवाद का सफाया करने के लिए और उसका अगला पड़ाव है हांगकांग जहाँ ‘सिल्वरलैंड’ की राजकुमारी है मुसीबत में…!! क्या नागराज राजकुमारी ‘ताकाशी’ की मदद कर पाया? इस बार भी कॉमिक्स पर कार्य करने वाली टीम पुरानी ही थी. आवरण – श्री जगदीश पंकज जी और चित्रकार – श्री संजय अष्टपुत्रे जी, कहानी – श्री परशुराम शर्मा जी, संपादन – श्री मनीष गुप्ता जी और दूसरा पुनर्मुद्रित आवरण बनाया था श्री प्रताप मुल्लिक जी ने.
आर्ट: जगदीश पंकज जी आर्ट: प्रताप मुल्लिक जी
नागराज और शांगो (Nagraj Aur Shango)
सिल्वरलैंड पर छाया है एशियाई बदमाश ‘चांगो’ का राज्य, वहीं सिल्वरलैंड का सेवक ‘शांगो’ एक ग़लतफ़हमी के कारण बन जाता है नागराज की जान का दुश्मन..!! राजकुमारी ताकाशी का क्या हुआ? क्या सिल्वरलैंड ‘चांगो’ के पापों से मुक्त हो पाया..? पुरानी टीम का जादू बरकरार रहा इस पांचवी कड़ी में भी. आवरण – श्री जगदीश पंकज जी और चित्रकार – श्री संजय अष्टपुत्रे जी, कहानी – श्री परशुराम शर्मा जी, संपादन – श्री मनीष गुप्ता जी और दूसरा पुनर्मुद्रित आवरण बनाया था श्री प्रताप मुल्लिक जी ने.
आर्ट: जगदीश पंकज जी आर्ट: प्रताप मुल्लिक जी
इसके अलावा भी राज कॉमिक्स ने नागरज और सुपर कमांडो ध्रुव की प्रथम कॉमिक्स “सिल्वर जुबली अंक” के रूप में निकाली थी जो बड़े साइज़ में थी और बड़ी ही संग्रहणीय है. इस बाबत जानकारी आपको हमारे यू ट्यूब चैनल से भी मिल जाएगी. पेश है ‘Silver Jubilee Edition‘ पर हमारा खास वीडियो.
इन प्रथम आवरण वाले अंक, पुनर्मुद्रित हुए प्रताप जी के आवरण वाले अंक, सिल्वर जुबली अंक के अलावा भी डाइजेस्ट के रूप में भी इन्हें प्रकाशित किया गया था जिनमें से आज कई ‘आउट ऑफ़ स्टॉक’ है.
नागराज डाइजेस्ट – 1 नागराज डाइजेस्ट – 2
अब जो संयुक्त संस्करण का ‘संग्राहक अंक’ आएगा उसका आवरण बनाया है श्री अनुपम सिन्हा जी ने और उसके बारें में सम्पूर्ण जानकारी आपको हमारे दुसरे पोस्ट पर मिल जाएगी, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
पढ़ें – नागराज: संयुक्त संस्करण ‘एक झलक’ (Nagraj: Collectors Edition (‘A Glance’)
बहुत ही बढ़िया जानकारी। पुराने आवरण चित्र काफी बढ़िया थे
Thanks Prashant Ji, Yes Purane covers ki baat hi alag thi.