गोथम कॉमिक्स: बैटमैन इशू #16 – “विंग्स”
बैटमैन DC Comics का बेहद ही ‘डार्क’ किरदार है, उसकी कहानियों में अँधेरा और बदनसीबी का आलम दिखाई पड़ता है. उसके कुछ किरदार हमेशा किसी चुनौती या कुछ बुरा ‘होने या घटने’ की संभावना से ग्रसित दिखते है. खुद बैटमैन(Batman) अपने माता पिता को याद कर (जिनकी हत्या बचपन में ही हो चुकी है), एक चमगादड़ जैसी पोशाक पहने गोथम शहर को अपराधियों से मुक्त करता फिरता है. उसका बस एक ही उसूल है – अपराध एवं बुराईयों का खात्मा. बैटमैन की कहानियों का दुःख और मार्मिकता आपको झंझोड़ कर रख देगी.
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भारत में विदेशी किरदार तो काफी समय से प्रकाशित होते रहे है, लेकिन जब गोथम कॉमिक्स (Gotham Comics) ने भारत में कदम रखा तो इन कॉमिकों को एक नया आयाम मिला. ग्लॉसी पन्नों पर बड़े आकर में इन्हें पढ़ने का मज़ा ही अलग था. इससे चित्रों को अच्छी गहराई मिलती थीं और संवाद भी अच्छे से दिखाये जा सकते थे. ऐसी ही एक कॉमिक्स है जिसकी संख्या है #16 – बैटमैन और इसे प्रकाशित किया गया है ‘गोथम एंटरटेनमेंट ग्रुप (U.S.)’ द्वारा एवं इस कहानी का नाम है – विंग्स (Wings).
- स्टोरी – चक डिक्सन
- लेटर्स – विली स्चुबेर्ट
- आर्ट – कुइकुए अल्कटेना
- कलर – डिजिटल कैमलियन
- एडिटर – आर्ची गूड्विन
बैटमैन को क्रिएट किया था – ‘बॉब केन‘ ने और भारत में इस कॉमिक्स का मूल्य था 35 रूपए. कुल पृष्ठ थे 60 और इसे अंगेजी भाषा में प्रकाशित किया गया था.
द मैन बैट
गोथम शहर में एक शातिर अपराधी गैंग ने उत्पात मचा रखा है जो अपने आपको को ‘रिज रनर्स’ (छज्जों या चोटी पर दौड़ने वाले धावक) भी कहते है. इन्होने बैटमैन को कई दफ़ा धूल चटाई है और हर बार ये बैटमैन की आँखों में मिट्टी डालकर बच निकलते थे. दूसरी ओर एक युवा वैज्ञानिक अपनी रिसर्च लैब में ‘चमगादड़ों’ पर गहन अध्यन कर रहा है, उसका नाम डॉ ‘किर्क लैंगस्टॉर्म’ है एवं उसका उद्देश्य ‘चमगादड़’ की श्रवण शक्ति का इस्तेमाल मानवता की भलाई के लिए करने के उपर है जिस से बहरेपन का दंश झेल रहे लोगों का कुछ भला हो सके. वो खुद भी इसे भोग रहा है और इस अवसाद के कारण उसका कई बार अपनी गर्लफ्रेंड डॉ ‘फ्रान्सिन एवलिन ली’ से झगड़ा भी होता है. कुछ बदलते समीकरणों के कारण उसे उस प्रयोगात्मक सीरम का उपयोग खुद पर करना पड़ता है और वो बन जाता है ‘द मैन बैट‘
कहानी में कई रोचक मोड़ है, ‘रिज रनर्स’ का बैटमैन को छकाना बेहद उम्दा है. डॉ किर्क का खुद में होते परिवर्तन को समझना और उसका कोई उपाय ना मिलना बहोत मार्मिक है, डॉ फ्रान्सिन का उसके लिए प्रेम और बिछड़ने का दर्द भी आपको ये सोचने पर मजबूर करता है की वाकई जब जीवन में कोई राह ना दिखें तो क्या करें. ‘बैटमैन’ का ‘द मैन बैट’ से टकराव भी बहोत अच्छा बना है और कैसे डॉ फ्रान्सिन एवं बैटमैन उसे रोकते है ये बताते हुए कहानी का अंत किया गया है.
कहानी में एक बात जो मुझे अच्छी लगी की बैटमैन चाहता है की अपराधियों में उसका खौफ़ हो ताकि अगर वो कभी अपराध करने की भी सोचें तो उन्हें बैटमैन का डर रहे. ये डर वाकई में होना चाहियें चाहे वो बैटमैन का हो या कानून का क्योंकि अपराध एक ऐसा दलदल है जिसके कोई थाह नहीं है और एक बार इस दुनिया में आने के बाद वापसी बड़ी ही मुश्किल है.
आर्टवर्क और संवाद
कॉमिक्स को बेहतरीन बनाते है उसका आर्टवर्क और उसके फ्रेम एवं पैनल में किया गया संवाद. विंग्स भी आपको कहीं निराश नहीं करती और कुछ संवाद तो बड़े दर्द में डूबे दिखाई पड़ते है, डॉ किर्क के अवसाद का भी अच्छा चित्रण किया गया है. बैटमैन के एक्शन सीक्वेंस भी अच्छे है और मैन बैट को बहुत खूंखार दिखाया गया है. हालाँकि इतनी डार्क और उलझी हुई कहानी का सकारात्मक पक्ष ये निकलता है की कई बार जब आप कठनाइयों में फंसे हो और उनसे निकलने का कोई रास्ता ना दिखे तो हो सकता है कोई दोस्त, प्रेयसी, माता-पिता या कोई अन्य आपके लिए साक्षात भगवान के रूप में आए और आपको उस मुसीबत से बाहर निकाल दें, हिम्मत मत हारिये और सभी चुनौतियों का डटकर सामना कीजिये.
अंत में यही कहूँगा की गोथम कॉमिक्स ने भारत में कई पाठकों को इन किरदारों की बेहतरीन कहानियां दी है, फिर मिलते है किसी अन्य गोथम कॉमिक्स के साथ. “एक हार से कुछ नहीं बदलता और एक जीत से भी नहीं”, ये बस आपकी मनोदशा पर चोट करती है, इसलिए जीवन में B+ रहें और हमारे लेख पढ़े, खुश रहे, स्वस्थ रहें. आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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