डायमंड कामिक्स “पुराने विज्ञापन” भाग 14 (Diamond Comics Vintage Ads)
वर्ष 1986 बस शुरू ही हुआ था एवं डायमंड कॉमिक्स पाठकों में अपनी अच्छी पहचान बना चुकी थीं। सभी किरदार प्रसंशकों में लोकप्रिय हो रहे थें और बाजार में नूतन चित्रकथा, मनोज चित्रकथा के साथ इंद्रजाल कॉमिक्स भी कई भाषाओं में प्रकाशित हो रही थीं। इनके अलावा भी कई पब्लिकेशन थें जो सुपरमैन और बैटमैन की चित्रकथाओं को लगातार प्रकाशित कर रहें थे। शायद मनोरंजन के साधन तब आज के जैसे उपलब्ध नहीं थें वर्ना हिंदी कॉमिक्स का जो पतन वर्ष 2000 के बाद हुआ था वह काफी पहले हो जाता लेकिन बात सिर्फ मनोरंजन की ही नहीं हैं बल्कि इन चित्रकथाओं से समाज में अच्छा संदेश देने की भी और इस कार्य को कार्टूनिस्ट प्राण जी ने बखूबी अंजाम दिया क्योंकि कई चित्रकथाओं में दोयम दर्जें की कहनियाँ और चित्र उनके पतन का कारण खुद ही थें। डायमंड कॉमिक्स में प्राण जी का आगमन और पब्लिकेशन की लोकप्रियता का बढ़ता ग्राफ इस बात का धोतक था इन चित्रकथाओं के पात्र ना सिर्फ बालक-बालिकाओं तक अपितु उनके परिवार के अन्य सदस्यों तक भी पैठ बना रहे थें।
चाचा चौधरी और साबू का हंथौड़ा भी ऐसी ही कहानी थी जहाँ साबू अपने डील-डौल के अनुसार ही एक हंथौड़े का निर्माण कराता हैं एवं जैसे की विज्ञापन में साफ़ देखा जा सकता हैं की उसे वो पहाड़ तोड़ने में इस्तेमाल करने वाला हैं। इस कॉमिक्स को एकल अंक में या किसी डाइजेस्ट में पाठकों ने जरुर पढ़ा होगा और इस चित्रकथा ने उन्हें गुदगुदाया भी होगा। बीते कई दशकों से चाचा चौधरी भारत के जनमानस के बीच रचा-बसा हुआ हैं और आज भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई हैं। इस विज्ञापन में “पिकलू” का भी जिक्र है जिसे मासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित करने की बात कही गई। दर्शाई गई चाचा चौधरी की इलस्ट्रेशन भी लाजवाब हैं। इसके पहले चाचा चौधरी और उड़ने वाली कार प्रकाशित हो चुकी थीं जिसमें चाचाजी के साथ बिल्लू भी नजर आ चुका था।
जनवरी 1986 में प्रकाशित कॉमिकों की जानकारी –
- पिंकी की पूसी
- ताउजी और चांदी का किला
- मोटू-पतलू और अंगूठी का हंगामा
- पलटू और भयानक ड्रैगन
- पिकलू और जम्बो की सालगिरह
- अंकुर और ड्रैकुला का बदला
लम्बू-मोटू की ड्रैकुला श्रृंखला अभी हाल ही में डायमंड कॉमिक्स और उमाकार्ट के सौजन्य से प्रकाशित की गई हैं और कई पुस्तक विक्रेताओं के पास इनकी प्रतियाँ उपलब्ध हैं। अंकुर की कॉमिक्स में ड्रैकुला की चित्रकथा निरंतर प्रकाशित की जाती थीं और बाद में इसे पूरी कॉमिक्स के स्वरूप में कई बार लाया गया। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें हमारा एक विस्तृत लेख – डायमंड कॉमिक्स ड्रैकुला श्रृंखला – क्रोनोलॉजिकल आर्डर
3D कॉमिक्स के क्षेत्र में भी लगातार डायमंड कॉमिक्स के नए अंक प्रकाशित हो रहे थें जिन्हें हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में छापा जा रहा। डायमंड कॉमिक्स की पहचान उसका ‘लोगो’ ही था जो कॉमिक्स को एक रॉयल लुक देता था, बाद के वर्षों में उसे कमल के फूल से बदल दिया गया लकिन पुराने पाठकों के दिलों में तो आज भी वही पुरानी डायमंड कॉमिक्स ही बसी हैं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!