लेबर डे पर विशेष – भेड़िया की कॉमिक्स “गुलामों की घाटी” का रिव्यू (Special on Labour Day – Review of Bhediya’s Comics “Gulamon Ki Ghati”.)
गुलामी के खिलाफ भेड़िया की अनोखी जंग – ‘गुलामों की घाटी’। (Bhediya’s unique fight against slavery – ‘Gulamon Ki Ghati’.)
लेबर डे के मौके पर एक ऐसी कहानी याद आती है जिसमें स्वतंत्रता और समानता की लड़ाई जंगल के भीतर लड़ी जाती है। राज कॉमिक्स के लोकप्रिय पात्र भेड़िया की कॉमिक्स “गुलामों की घाटी” में इस विषय को रोमांचक अंदाज़ प्रस्तुत किया गया है।
कहानी की शुरुआत होती है भेड़िया और फूजो बाबा के जंगल भ्रमण से, जहाँ वे गुरुराज भाटिकी के जाने के बाद जंगल में फैली शांति की बात कर रहे होते हैं। परंतु जंगल, जैसा कि भेड़िया जानता है, कभी भी पूरी तरह शांत नहीं होता। अचानक ही एक भालू उन दोनों पर हमला कर देता है। भेड़िया अपने अनुभव और ताकत से उसे जल्दी काबू में कर लेता है, लेकिन यह भालू साधारण नहीं था! उसके शरीर पर आभूषण थे, और व्यवहार में कुछ अजीब सी कठोरता।फूजो जब उससे पशु भाषा में बात करने की कोशिश करता है तो वह बस इतना कहता है – “गुलामों की घाटी” और फिर एक तेज़ चीख़ के साथ शांत हो जाता है।

भेड़िया को यह वाक्य चौंकाता है – असम के जंगलों में गुलामी? और वो भी भेड़िया के होते हुए, यह असंभव है! वह इस रहस्य को जानने के लिए घाटी की ओर बढ़ता है। घाटी में उसका सामना होता है एक विशाल ‘वालरस’ नामक जानवर से जो बर्फीले प्रदेशों में पाया जाता है और जैसे ही वह उससे संघर्ष करता है, एक सफेद किरण भेड़िया को बचा लेती है। यह किरण थी रानी ‘विनाशिनी’ की, जो कि एक रहस्यमयी जादूगरनी थी और पूरे क्षेत्र की मालकिन बन बैठी थी। उसने वहां जानवरों और मनुष्यों को अपना गुलाम बना लिया था, जिनमें पुरुष मुख्य थे जो उसके लिए खेती-बाड़ी करते थे और अपनी सुरक्षा के लिए उसने लड़कियों की एक सेना तैयार कर रखी थी।

रानी के पास थे तीन खतरनाक अंगरक्षक और वह चाहती थी कि भेड़िया भी उसका गुलाम बन जाए। परंतु भेड़िया न कभी झुका है और न ही कभी उसने अन्याय को सहा है। वह उसके जादू के सामने भी अंततः डट जाता है और शुरू होती है संघर्ष की असली लड़ाई जो वहां के जानवरों और मनुष्यों से जुड़ी आज़ादी की थी। क्या भेड़िया इन गुलामों को रानी के चंगुल से छुड़ाकर घाटी में शांति स्थापित कर पाया? यह जानने के लिए आपको पढ़नी होगी राज कॉमिक्स की यह शानदार प्रस्तुति – गुलामों की घाटी।

कॉमिक्स की कहानी लिखी है तरुण शर्मा ने, चित्रांकन किया है दिवंगत धीरज वर्मा ने और इनकिंग की है जसवंत सिंह नार ने। धीरज वर्मा की कला हमेशा से बेजोड़ रही है और उनके बनाए भेड़िया को आज तक कोई टक्कर नहीं दे पाया। कवर आर्ट भी बेहद आकर्षक है और इसे दोबारा राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता ने रीप्रिंट किया था। कॉमिक्स ‘वन शॉट’ है और एवरेज से कहीं बेहतर है, वैसे भी जंगलों का परिदृश्य एवं भेड़िया का चित्रांकन इसे खास बना देता है। अगर आपने यह कॉमिक्स पढ़ी है यो अपने विचार हमसे ज़रूर साझा करें, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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