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सत्यजीत रे की याद में: फेलूदा के जनक और एक अमर विरासत (Remembering Satyajit Ray: Creator of Feluda and a Timeless Legacy)

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भारतीय सिनेमा और साहित्य को नया आयाम देने वाले महान कलाकार — फेलूदा और प्रोफेसर शोंकू के रचनाकार सत्यजीत रे को श्रद्धांजलि। (A tribute to the genius who shaped Indian cinema and literature – Satyajit Ray, the creator of Feluda and Professor Shonku.)

सत्यजीत रे के बारे में (About Satyajit Ray)

जन्म: 2 मई 1921
निधन: 23 अप्रैल 1992
पेशा: फ़िल्म निर्देशक, लेखक, चित्रकार, पटकथा लेखक, संगीतकार
प्रसिद्धि: मानवीय संवेदनाओं से भरपूर सिनेमा
प्रमुख पुरस्कार: भारत रत्न, दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, ऑस्कर ऑनरेरी अवॉर्ड (1992)

Satyajit Ray - The Man Who Knew Too Much - Barun Chandra
Satyajit Ray – The Man Who Knew Too Much – Barun Chandra

अपू ट्राइलॉजी (Apu Trilogy) — जिसने भारत को विश्व सिनेमा के मानचित्र पर लाया:

  1. पथेर पांचाली (1955)
  2. अपराजितो (1956)
  3. अपुर संसार (1959)

इन फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। इन्हें हॉलीवुड में भी संभाल कर रखा गया है और जैक स्नाइडर जैसे निर्देशक आज भी उन्हें अपनी प्रेरणा मानते है।

सत्यजीत रे द्वारा रचित लोकप्रिय पात्र (Popular Characters Created by Satyajit Ray)

सत्यजीत रे न केवल निर्देशक थे, बल्कि बच्चों के साहित्य और विज्ञान कथा के भी बेहतरीन लेखक थे। उन्होंने कई कालजयी पात्र रचे जिनमें दो सबसे चर्चित रहे:

Killers in Kathmandu - Feluda Mysteries
Killers in Kathmandu – Feluda Mysteries

1. फेलूदा (प्रदोष चंद्र मित्र) – Feluda (Pradosh Chandra Mitra)

कोलकाता का एक होशियार जासूस जो अपनी बुद्धिमत्ता, अवलोकन क्षमता और मार्शल आर्ट के लिए जाना जाता है।
कहानियाँ उनके चचेरे भाई टॉप्से द्वारा सुनाई जाती हैं, और उनके साथ लेखक मित्र लालनमोहन गांगुली (जटायु) भी रहते हैं।

पहली कहानी: फेलूदार गोइंदागिरी (1965)

लोकप्रिय पुस्तकें:

  • सोनार केल्ला (The Golden Fortress)
  • जय बाबा फेलूनाथ
  • बादशाही अंगूठी
  • कैलाशे केलेंकारी
  • बॉक्सो रहस्य
Professor Shanku O U.F.O
Professor Shanku O U.F.O

2. प्रोफेसर शोंकू (Professor Shonku)

एक वैज्ञानिक और आविष्कारक, जिनकी कहानियाँ उनकी डायरी की शैली में लिखी गई हैं। वे रहस्यमयी घटनाओं और उन्नत तकनीकों की खोज करते हैं।

पहली कहानी: ब्योमजत्रीर डायरी (1961)

लोकप्रिय पुस्तकें:

  • वन दोज़ेन शोंकू
  • शोंकू और हरिनाभिषार
  • शोंकू और रोबू
  • शोंकू और फ्रेंकनस्टीन
  • शाबाश प्रोफेसर शोंकू

कॉमिक्स और ग्राफिक रूपांतरण (Comics and Graphic Adaptations)

सत्यजीत रे ने कई पुस्तकों और ‘संदेश’ पत्रिका के लिए स्वयं चित्र बनाए। ‘संदेश’ पत्रिका को उनके दादा उपेन्द्रकिशोर रे चौधुरी ने शुरू किया था और सत्यजीत रे ने 1961 में पुनर्जीवित किया। हालांकि उन्होंने परंपरागत कॉमिक्स नहीं बनाए, लेकिन उनकी कहानियाँ खासकर फेलूदा पर आधारित कई कॉमिक्स और ग्राफिक नॉवेल बनाए गए:

  • फेलूदा कॉमिक्स (आनंद पब्लिशर्स और पेंगुइन इंडिया) – सोनार केल्ला और बादशाही अंगूठी जैसी कहानियों पर आधारित
  • प्रोफेसर शोंकू ग्राफिक नॉवेल्स – युवाओं के लिए विज्ञान कथा की कहानियाँ

रे की सिनेमाई विरासत और जैसलमेर (Ray’s Cinematic Legacy and Jaisalmer)

Sonar Kella - Jaisalmer Fort
Sonar Kella – Jaisalmer Fort

रे की फिल्मों की खासियत थी भावनात्मक गहराई और भारतीय जीवन की सादगी। पथेर पांचाली से लेकर चारुलता तक, उनकी कहानियाँ आम जीवन की असाधारण झलक देती हैं। सोनार केल्ला में फेलूदा की यात्रा ने सिर्फ एक रहस्य नहीं खोला, बल्कि जैसलमेर को एक सांस्कृतिक धरोहर बना दिया। आज भी भारत भर से लोग इस “गोल्डन सिटी” को देखने आते हैं, ‘रे की कहानी से प्रेरित होकर’। यह आश्चर्यजनक है कि एक फिल्म की कल्पना दशकों बाद भी पर्यटन को प्रभावित करती है।

एक भावनात्मक किस्सागो (An Emotional Storyteller)

सत्यजीत रे की सबसे बड़ी ताकत थी मानवीय भावनाओं की अभिव्यक्ति। उनके पात्र हँसते हैं, रोते हैं, गलतियाँ करते हैं और बदलते हैं, जैसे कि दर्शक स्वयं। अपूर्व की परिपक्वता हो या फेलूदा की बौद्धिक विजय, हर कहानी दिल से जुड़ती है। वह एक दुर्लभ दृष्टा थे जो साहित्य, चित्रकला, सिनेमा और संगीत को एक साथ बुन सकते थे। आज हम केवल उनके जन्मदिन को नहीं, बल्कि उस अमर संसार को भी याद करते हैं, जो उन्होंने रचा, एक कहानी, एक पात्र के ज़रिए। फेलूदा के जनक और उनकी अमर विरासत को हमारा नमन। आभार – कॉमिक्स बाइट!!

पढ़े: प्रोफेसर शोंकू (बांग्ला) कॉमिक्स करैक्टर बाय सत्यजीत रे

Feluda @ 50

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