राम और श्याम ने कराया – ‘शकुंतला का राजा से मिलन’
नमस्कार मित्रों, विंटेज विज्ञापनों की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए आज पेश है पार्ले पोप्पिंस (Poppins) के किरदार ‘राम और श्याम’ का बेहद पुराना कॉमिक्स ‘राम और श्याम ने कराया शकुंताला का राजा से मिलन’. जिन्हें चॉकलेट और टॉफ़ी से प्रेम है उनके लिए पोप्पिंस कोई अंजाना नाम नहीं है, मैंने खुद बहोत खरीद कर खाईं है, इन्द्रधनुषी रंगों में सजी इन गोलियों की बात ही निराली थी, इसे भारत की प्रसिद्ध कंपनी ‘पार्ले’ निकालती थीं जिसके नाम से मशहूर मुंबई के लोकल ट्रेन का स्टेशन ‘पार्ला’ भी है. इनका सबसे चर्चित उपभोग किया जाने वाला उत्पाद तो “पार्ले जी” ग्लूकोस बिस्कुट ही है लेकिन पोप्पिंस ने भी कई दशकों तक भारतीयों के मुहं में मिठास घोली. पार्ले की माने तो पोप्पिंस की शुरुवात 1960 से 1965 के बीच हुई, हालाँकि अब ये बाज़ारों में दिखाई नहीं पड़ती लेकिन पार्ले पोप्पिंस से हम लोगों की काफ़ी यादें जुडी है!
मुझे लगता है ऑरेंज सबका पसंदीदा फ्लेवर रहा होगा (मेरा तो वही था), अब जैसा मैंने आपको डायमंड कॉमिक्स विंटेज विज्ञापन के पहले लेख में बताया था, उस ज़माने में न तो टीवी की पहुँच इतनी ज्यदा थी और ना ही इंटरनेट नाम का ‘कबूतर’, विज्ञापन के लिए सबसे अच्छा माध्यम कॉमिक बुक या बाल पत्रिकाएँ हुआ करती थी, इससे बच्चे सीधे ‘टारगेट’ होते ऐसे में बड़े ब्रांड्स जैसे पार्ले ने दूसरी कंपनी से हाँथ मिलना बेहतर समझा और हम पाठकों को मिला एक बेमिसाल विज्ञापन जो ‘नंदन’ नाम की बाल पत्रिका में छापा गया था. यहाँ ‘पोप्पिंस‘ (Poppins) और ‘अमर चित्र कथा स्टूडियो‘ (Amar Chitra Katha) साथ में आये एवं ‘राम और श्याम‘ की चित्रकथा को नंदन में प्रकाशित किया, मतलब आप यहाँ पर टेक्निकल भाषा में कहूँ तो ‘ब्रांड इंटीग्रेशन’ देखिये, दो कंपनियों ने मिलकर एक तीसरी कंपनी में विज्ञापन दिया, जाहिर है पोप्पिंस की सफलता का राज़ भी यही था, सोचिये इन पत्रिकओं की पहुँच लाखों लोगों तक और दूर दराज के गावों तक थी, पोप्पिंस का मूल्य भी काफ़ी कम था (आखिरी मुझे 2 रूपए याद है), ऐसे में सफलता निश्चित थीं. अब शायद वो बात नहीं, हो सकता है तकनीक के आने के कारण बहोत कुछ लोगों की नज़रों से दूर हो चुका है और समय के साथ अब ये यादें भी धूमिल पड़ चुकी है.
पर कोई बात नहीं कॉमिक्स बाइट अब फिर से इनपर प्रकाश डालेगी, आज आप पढ़े ‘राम और श्याम’ के इस कारनामें को, हम फिर प्रस्तुत करेंगे कुछ अनोखा और ऐसा, जिसे आप देखकर ‘नोस्टाल्जिया’ को महसूस कर सके. इस इमेज को मुझे ‘क्लीन’ और इसका ‘रेस्टोरेशन’ भी करना पड़ा (जहाँ तक हो पाया) ताकि पाठक इसे आसानी से पढ़ सके, बाकि इसके सर्वाधिकार नंदन और पार्ले के साथ अमर चित्र कथा के पास सुरक्षित है.
बाकि विज्ञापन में आप देख सकते है चित्रकथा के ज्यदा पैनल नहीं है (मात्र 7), लेकिन फिर भी मनोरंजन भरपूर है (अब क्यों, कैसे का लॉजिक मत लगाईयेगा) बस आनंद लीजिये. मुझे पता नहीं कितने कॉमिक्स के पाठकों ने रैपर जमा किये और अमर चित्र कथा की कॉमिक्स मुफ्त में लीं होंगी, भई मैं तो असफल ही रहा या कहूँ तब बहोत छोटा रहा हूँगा. यहाँ पर अमर चित्र कथा (Amar Chitra Katha) की ओर से कुल 10 चित्रकथाओं के नाम प्रकाशित है जिनमे ‘शकुंतला’ का नाम भी है (मास्टरस्ट्रोक) क्योंकि कॉमिक्स के साथ साथ, राम और श्याम के विज्ञापन में भी वो दोनों ‘शकुंतला’ की मदद कर रहे है. अब बच्चों ने इसे मुफ़्त में पाने के लिए निश्चित रूप से उस दौरान बहोत से पोप्पिंस खरीदें होंगे या गाँबलिनस. लेकिन आप आज भी अमर चित्र कथा के हिंदी या अंग्रेजी कॉमिक्सें खरीद सकते है, कहाँ से? जी नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें जो सीधे आपको ‘हैलो बुक माइन’ के स्टोर पर ले जायेगा, अब पोप्पिंस खरीदने की भी जरुरत नहीं डायरेक्ट परचेस करें, आभार – कॉमिक्स बाइट!
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