पुराने टी.वी. विज्ञापन(राज कॉमिक्स) भाग-1: सुपर कमांडो ध्रुव – किरीगी का कहर
मित्रों आज चर्चा करेंगे राज कॉमिक्स के पुराने टीवी विज्ञापनों की, यू टयूब की खाक छानने के बाद बड़ी मुश्किल से ३-४ टीवी विज्ञापन मिले या शायद इतने ही प्रकाशित किये गये थे राज कॉमिक्स द्वरा, अब इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है पर 90 के दशक में टीवी पर अपने पसंदीदा सुपर हीरोज को देखना एक शानदार एहसास था. वैसे यू टयूब पर फैन मेड काफी सारे विडियोज उपलब्ध है लेकिन ऑफिशियली कुछ ही विज्ञापन उस समय दिखे थे, क्योंकि तब यू टयूब उपलब्ध था ही नहीं, और ना ही भारत में एनीमेशन की इतनी समझ थी लोगों को.
यहाँ टीवी से मतलब दूरदर्शन से है (एक खुशखबरी – रामायण दोबारा आने वाला है टीवी पे? 28 मार्च से सुबह शाम 9 बजे, अपने परिवार के साथ देखिए, क्योंकि मै भी देखने वाला हूँ और नब्बे के दशक की दीवानगी को महसूस कीजिये). लेकिन राज कॉमिक्स काफी आगे की सोच रखने वाली पब्लिकेशन है, उन्होंने अन्य संसाधनों को बहोत पहले ही समझ लिया था जैसे के व़ी सी पी / व़ी सी आर, क्योंकि राज कॉमिक्स ने 1988 से लेकर 2002 तक बिक्री के कई रिकॉर्ड तोड़े और कई अन्य कीर्तिमान स्थापित किये, तो एनीमेशन में मार्केटिंग के उद्देश्य से थोडा सा व्यय करना उन्हें उस समय मुनासिब लगा होगा जो बेशक एक दूर की कौड़ी थी पर बिलकुल सही रणनीति भी, एक दौर वो भी आया जब दुसरे पब्लिकेशन हाउसेस के बीच काफी पर्तिस्पर्धा भी देखने को मिली (उसपे भी बात करेंगे किसी और पोस्ट पर) पर शायद राज कॉमिक्स ने प्रयोगधर्मिता का बेहतर इस्तेमाल किया और आज भी मनोरंजन के चौथे दशक में कार्यरत है.
सबसे पहला विज्ञापन जो मुझे याद है मैंने सुपर कमांडो ध्रुव के कॉमिक्स “किरीगी का कहर” का देखा, पडोसी के घर कलर टीवी पर हमने वीसीआर पर अक्षय कुमार की “मोहरा” मूवी लगाई थी, जैसे ही आधी फिल्म ख़तम हुई अचानक से टीवी पर एक एनीमेशन दिखाई दिया, उस ज़माने में फिल्म जब आधी हो जाती तब बहोत से विज्ञापन विराम के बाद दिखाए जाते, क्योंकि कलर टीवी सबके घरों में नहीं था तो सब लोग बड़े चाव से उन विज्ञापनों को भी देखते (जैसे एक मेंढक जैसे चीनी का मच्छर खाता हुआ विज्ञापन जो की “आल आउट” का था{बहोत ही बेहूदा}) और साथ में दुसरे विज्ञापन भी, पर इस एनीमेशन (तब कार्टून कहते थे, अब सब सयाने हो गए है) की बात निराली थी, लाल कपड़ों में दौड़ता एक इंसान (निंजा पता था, “हिमगिरी के वीर” का नाम सुने है की नहीं पर कॉमिक्स थोड़े ही न पढ़े थे, ही ही ही), हाँ तो लाल कपड़ों में दौड़ता हुआ इंसान अपने तलवार के एक भरपूर वार से पूरे पेड़ को काट देता है, और तब अपनी मोटर साइकिल पर सामने आता है सुपर कमांडो ध्रुव (ग्रैंड मास्टर रोबो विशेषांक की बदौलत हम इन्हें पहले से ही जानते थे) और उसे रुकने की हिदायत देता है, तब किरीगी अपने दुसरे वार में उसकी मोटर साइकिल के भी दो टुकड़े कर देता है और ध्रुव को कूद के अपनी जान बचानी पड़ती है, इसी के बाद एक भर्राती आवाज में सुनाई पड़ता है “राज कॉमिक्स में पढ़िए सुपर कमांडो ध्रुव का – किरीगी का कहर”.
पडोसी के यहाँ हमने पहले भी काफी फ़िल्में देखी थी तो समझदार थे, फोरवर्ड का और रीप्ले करने का पूरा संज्ञान था, मम्मी का डर था दिल में लेकिन ध्रुव की दीवानगी में वो भी निकल गया, दीदी (जिनका घर था) उनसे मैंने जिद की एक बार और दिखा दीजिये प्लीज, प्लीज दीदी प्लीज, अब बच्चों को कौन मना करता है भला, दो तीन बार देखा बाकायदा और संतुष्टि के बाद दिमाग में बस उसी विज्ञापन का ख्याल घूमता रहा, मोहरा के गाने अच्छे थे और फिल्म भी ब्लाक बस्टर लेकिन हमारे लिए तो “किरीगी का कहर” ही रियल ब्लाक बस्टर था, वो दिन बहोत यादगार था क्योंकि उसी दिन मैंने पडोसी के घर के फेंसिंग (तब दीवारें नहीं होती थी) से अपने घर के सामने वाले मैदान में पिताजी को पैदल आते देखा, क्योंकि फिल्म अकसर दोपहर के खाने के बाद लगती थी तो अब शाम हो चली थी, पिताजी के पीछे हमारे यहाँ घर के बाग बगीचे का काम करने वाला आदमी – “छोटेलाल” जी अपने सर पे एक बड़ा सा बक्सा लिए चला आ रहा था, मैंने दूर से ही ताड़ लिया ये तो कलर टीवी है (भई ब्लैक एंड वाइट पहले से ही था), जब घर पहुंचे और बक्सा खोला तो उसमे “सलोरा” का टीवी सेट था, क्या कहूँ बड़ा ही यादगार दिन था वो.
खैर मैं बात कर रहा थे किरीगी के कहर के विज्ञापन की और एक-डेढ़ साल बाद मुझे वो विशेषांक बिलासपुर के बुधवारी बाज़ार से प्राप्त हुआ (बिलासपुर के बारे में और पढने के लिए आगे क्लिक करे –>….यहाँ) जो मुझे मेरी छोटी मौसी ने खरीद के दिया था, शब्द शायद कम पढ़ जायेंगे इतनी तारीफ कर सकता हूँ मैं इस कॉमिक्स की, अनुपम सर के बेजोड़ रचनाओं में से एक है “किरीगी का कहर” और इसके सारे किरदार “लार्जर देन लाइफ” (अंग्रेजी की कहावत, समझने के लिए गूगल कर लें क्योंकि अब लिख नहीं पाएंगे, हे हे हे).
नीचे यू टयूब लिंक दे रहा हूँ, थोड़ी अपनी दिमागी नसों को दौड़ाइए और उस खुश मिज़ाजी वाले दौर का आनंद उठाईये.
कुछ शब्द: देखों यारों, मैं भी देख रहा हूँ की आप लोग पोस्ट पढ़ रहे है, पसंद भी कर रहे है, इस बात के लिए दिल से हार्दिक धन्यवाद पर कोई पोस्ट शेयर नहीं कर रहा है, ऐसा क्यों? मित्रों हमें और बल दीजिये ताकि हम आपके लिए और भी बेहतर कंटेंट ला पाएं, तो फिर से कहूँगा – अगर ये पोस्ट आपको पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों, ग्रुप्स, फेसबुक और अन्य सोशल टच पॉइंट्स पर ज्यदा से ज्यदा शेयर करे, हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे और कोई अन्य जानकारी आपके पास हो तो हमे कमेंट सेक्शन में मेंशन करिये, आभार – कॉमिक्स बाइट!
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