मुर्दा पार्किंग: रेस्ट इन पार्किंग (RIP)
आज बात करेंगे ‘दो गज ज़मीन‘ के अंतिम भाग की जिसका नाम है ‘मुर्दा पार्किंग‘. अगर आपने इसका पहला भाग नहीं पढ़ा तो पहले उसे जरुर पढ़े क्योंकि ये दोनों भाग आपस में जुड़े हुए है.
पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये – “दो गज जमीन: पार्किंग सर्विसेज फॉर द डेड“
इसका पहला भाग बहोत ही जबर्दस्त था, जिंदा मुर्दा ‘एंथोनी’ (Anthony) के जीवन में ‘भांजा’ नामक विलेन आ चुका था और ‘एंथोनी’, ‘इंस्पेक्टर चकरौला’ एवं ‘इतिहास’ की उसने ऐसी क्लास लगाई की सब ‘भांजा’ के आगे पानी भरते नज़र आये और अब बारी थी एंथोनी के कब्र की!
नाम: मुर्दा पार्किंग संख्या: 891, वर्ष: 1998, प्रकाशन: राज कॉमिक्स
इस कॉमिक्स का कवर भी श्री ‘धीरज वर्मा’ जी ने ही बनाया है, कहानी को जारी रखा है श्री ‘तरुण कुमार वाही’ जी ने, सहयोग किया श्री विवेक मोहन जी ने, चित्रांकन में ‘विनोद’ जी का नाम ना देख कर दुःख हुआ क्योंकि ‘दो गज ज़मीन’ का आर्टवर्क लाजवाब था, इस बार सिर्फ ‘सुरेश डीगवाल’ जी ने ही चित्रांकन किया, रंग संयोजन किया श्री ‘सुनील पाण्डेय’ जी ने और सुलेख थे श्री ‘टी.आर.आज़ाद’ के एवं संपादक थे श्री मनीष गुप्ता जी.
जैसा की आप कॉमिक्स संख्या से देख सकते है दोनों कॉमिक्स के बीच में मात्र 8 कॉमिक्स का अंतर है और तात्पर्य ये की दोनों कॉमिक्स लगातार आने वाले सेट में प्रकाशित हुई थी. इससे पाठकों को ज्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और कहानी एवं पात्रों को भी पूरा न्याय मिला क्योंकि दो भाग होने के कारण कहानी अच्छे तरीके से बुनी गई.
पेश है मुर्दा पार्किंग का शानदार कवर: आर्टवर्क – श्री धीरज वर्मा एवं साभार – राज कॉमिक्स
इसमें ‘भांजा’ एंथोनी को कब्रिस्तान से बाहर जाने का इशारा करते दिख रहा है और एंथोनी अपना ‘ताबूत’ हाँथ में उठाये उसे घूर रहा है (संलग्न नीचे).
प्लाट: मुर्दा पार्किंग से सभी रूपनगर के निवासी परेशान हो चुके है, सरकार भी ‘भांजा’ के आगे बेबस है और यहाँ तक की ‘एंथोनी’ को भी रूपनगर कब्रिस्तान से बेदखल कर दिया गया है, अब कैसे ‘एंथोनी’ भांजा के इस आतंक का समाप्त करता है यही इस कॉमिक्स में बताया गया है. इस कॉमिक्स के बाद ‘भांजा’ इस रात के फ़रिश्ते का कट्टर दुश्मन बन गया और गाहे-बगाहे दुसरे विलेन्स के साथ हमेशा कोई ना कोई जुगत भिड़ाते अक्सर देखा जा सकता था, वो एंथोनी का विरोधी बन गया कुछ वैसे ही जैसे अंग्रेजी के दो शब्द है ‘आर्क नेमेसिस’.
कहानी एवं आर्टवर्क: श्री ‘तरुण कुमार वाही’ जी ने कहानी से पूरा न्याय किया है, दो भाग में बहोत ही अच्छी कहानी बन पड़ी, साथ में इतिहास, वेनू, मरिया और जूली का आना भी अच्छा लगा, यहाँ ‘कब्रा’ का अंत हो जाता है और उसकी जगह लेता है ‘हीरा’ नामक दूसरा गुर्गा एवं उसकी पूरी टीम. एंथोनी भी अब बेघर हो चुका है और भांजा के गुंडे ‘ब़ोन बैग्स’ में मुर्दों के अवशेष रूपनगर कब्रिस्तान से उठाकर निवासियों के द्वार पर फेंक कर जा रहे है जिहोंने ‘मुर्दा पार्किंग’ का शुल्क जमा नहीं किया है. डीगवाल जी का चित्रांकन भी अच्छा रहा और हम पाठकों को पढ़ने को मिली एक बेहतरीन कॉमिक्स. अब ‘भांजा’ और उसके गुंडों का एंथोनी ने क्या हाल किया, इसके लिए आपको कॉमिक्स पढ़नी पड़ेगी. फिर क्या एंथोनी अपनी कब्र में वापस लौट पाया? भांजा मर गया या ‘जिंदा’ बचा? ऐसे ही सवालों का जवाब देती है कॉमिक्स – ‘रेस्ट इन पार्किंग’ यानि ‘मुर्दा पार्किंग’.
‘शक्ति वर्ष’ (1998) में एक से बढ़कर एक कॉमिक्स रिलीज़ हुई थी. ‘मुर्दा पार्किंग’ भी उन्हीं में से एक थी और इस सेट में आई थी एक ऐसी कॉमिक्स जिसने परमाणु की ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल कर रख दी, क्या आप पहचान पाएं? जी हाँ मैं ‘सूरमा‘ की बात कर रहा हूँ, उस पर भी प्रकाश डाला जायेगा जल्द. आप लोग स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें और पूरी सावधानी बरतें, आभार – कॉमिक्स बाइट!