एक कॉमिक्स के नैतिक कर्तव्य
कॉमिक्स के नैतिक कर्तव्य (Moral deeds of a comics)
मित्रों पिछले दिनों एक घटना से मन बहोत द्रवित हो गया जब पता चला की केरल में एक मादा हाथी को ‘अपराधिक प्रवत्ति और मानसिक विक्षिप्ता’ से ग्रस्त कुछ लोगों ने आनानास फल के अंदर बम डाल कर खिला दिया, भूख से व्याकुल मादा हाथी ने वह फल खाया और बम में रखे बारूद के कारण जब वह फटा तो मादा हाथी निचला जबड़ा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. दर्द में व्याकुल मादा हाथी को जब कुछ ना सूझा तो वह छटपटाते हुए एक तालाब में जा घुसी ताकि उसे अपने घावों में हो रहे जलन से मुक्ति मिल सके, शायद भगवान भी उसका दर्द और विलाप सह ना सका और मादा हाथी को अपने पास बुला लिया. बाद में जब वेट डॉक्टर्स द्वारा उस मादा हाथी का पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला, चोट एवं फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई लेकिन एक और हृदयविदारक सच ये सामने आया की वो ‘गाभिन’ थी और उसके पेट में उसका छोटा बच्चा भी था. जो तस्वीरें सोशल मीडिया में घूमी वो वाकई में अच्छे अच्छे मनुष्य का दिल झकझोर सकती है. यही नहीं इस घटना के कुछ दिन पहले हिमाचल प्रदेश में भी किसी ‘गाय’ को बम खिला दिया गया जिससे उसका भी मुंह बुरी तरीके से टूट गया और वहां जख्म बन गया, अब कई बार मैं सोचता हूँ ऐसे हैवानों के लिए क्या सजा होनी चाहिये? क्या कानून इन्हें इनके असली अंजाम तक पहुंचा पायेगा? या इन्हें चाहिये इनकी टक्कर की दरिंदगी टपकाने वाला कोई इंसान जो इन “अपराधियों और अपराध को ‘हल’ नहीं करता बल्कि जड़ से उखाड़ फेंकता है!”.
एक कलाकार की खास बात यही होती है क्योंकि प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष हम सभी लोग कानून और समाज के तंत्र में बंधे हुये है, लेकिन एक लेखक अपनी कलम से और चित्रकार अपने कूंची से कुछ ऐसा सृजन कर सकते है जो इस समाज पर और वहां छुपे बैठे इन घातक अपराधियों पर चोट करे, हो सकता है इन्हें देखकर किसी की अवधारणा बदले और यह एक प्रकार से अपने अंदर पनप रहे ‘रोष’ को प्रकट करने का सही माध्यम भी है. कुछ ऐसा ही प्रयास किया है आर्टिस्ट श्री ‘रितिन सरोहा’ जी ने और श्री ‘प्रतिक भारद्वाज’ जी ने. इस घटना पर उन्होंने ‘राज कॉमिक्स’ (Raj Comics) के करैक्टर ‘डोगा‘ (Doga) को लेकर 2 पृष्ठ की कॉमिक्स(Comics) प्रकाशित की है जो समाज में पनप रही बुराई पर कड़ा प्रहार करती है और कुछ वैसा ही नज़ारा पेश करती है जो एक उदहारण देने के लिए बहुत जरुरी है!
पेश है 2 पृष्ठ की कॉमिक्स और उससे जुड़ी कुछ जानकारियाँ –
- पोस्ट का कवर आर्ट बनाया है श्री ‘रॉकी एम‘ जी ने, वो पहले भी सोनू सूद वाले आर्टिकल में सोनू सूद जी को ‘नागराज’ के रूप में दिखा चुके है! (एडिट्स – मैडक्लिक्स)
- इस चित्रकथा के चित्रकार है श्री ‘प्रतीक भारद्वाज‘ जी.
- चित्रकथा में सुलेख लिखे है श्री ‘रितिन सरोहा‘ जी ने.
नोट: ये कॉमिक्स प्रशंसकों द्वारा किया गया प्रयास है, इसका कोई व्यवसयिक उद्देश्य नहीं है.
समाज में हो रही बुराईयों के प्रति कुछ कॉमिक्स के सजग और सच्चे पाठक अपने होनहार प्रयासों से इस नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे है और आशा करता हूँ आगे भी निभाते रहेंगे. डोगा हिंसा करता है लेकिन सिर्फ उनपर जहाँ हिंसा की जरुरत होती है और जिन्हें कोई और भाषा समझ में नहीं आती. निरीह पशुओं से लेकर छोटे बालक/बालिकाओं पर आये दिन ऐसे समाचार आते है की लगता है यही कलियुग का अंत है. इस पोस्ट का आशय भी किसी प्रकार की हिंसा में लिप्त होना नहीं है लेकिन अपने आस पास जब ऐसी घटनाएँ होती है तो खून उबाल मार ही देता है. कॉमिक्स इसलिए एक बेहतर साधन भी है अपनी भावनाओं को प्रकट करने और समाज में जागरूकता लाने का, आप क्या कहते है?
अंत में यही कहूँगा, जहाँ तक जरुरी है अपने आस पास के लोगों को सजग कीजिये और ऐसी किसी मुश्किल की घड़ी में कानून की मदद लीजिये, एक आव़ाज से बहोत फर्क पड़ता है, हज़ारों सैनिको के कदमताल से दीवारें कांप जाती है, एकता में शक्ति है उसका उपयोग करें. कॉमिक्स हम सभी को एक मंच पर लाती है उसका सही इस्तेमाल होना चाहिए. प्रतीक जी और रितिन जी का एक बार फिर से सहृदय धन्यवाद, जुड़े रहिये कॉमिक्स बाइट से, आभार!