मनोज कॉमिक्स: क्या लौटेगा पुराना दौर?
Manoj Comics: भारत के कॉमिक्स जगत में कॉमिक्स पब्लिकेशन तो कई सारी आई लेकिन ख्याति के अनुरूप लम्बी दौड़ में सिर्फ कुछ नाम ही बने रहे, इंद्रजाल कॉमिक्स, अमर चित्र कथा, डायमंड कॉमिक्स, राज कॉमिक्स, तुसली कॉमिक्स के साथ साथ जो पिछले कुछ दशकों से कॉमिक्स पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है वो है मनोज पब्लिकेशन (मनोज पॉकेट बुक्स) की मनोज कॉमिक्स. हालाँकि मनोज कॉमिक्स छपना वर्ष 2003-04 के आस पास बंद हो चुकी है लेकिन उनके कहानी कहने के तरीके और आर्टवर्क के कारण आज भी प्रासंगिक और संग्रहणीय है. मनोज कॉमिक्स ने 80 के दशक से अब तक अपना आकर्षण बरकरार रखा है और हजारों कॉमिक्स प्रेमी आज भी मनोज कॉमिक्स खोजने की जुगत में भिड़े रहते है. मनोज कॉमिक्स कई प्रारूपों में छपी थीं, बड़े आकार, चित्रकथा या डाइजेस्ट के रूप में.
मनोज कॉमिक्स के निन्मलिखित वर्गीकरण है –
- मनोज चित्र कथा (Manoj Chitra Katha): आकार – बड़ा एवं मध्यम, पृष्ठ – 30-32
- मनोज कॉमिक्स जनरल (Manoj Comics General): आकार – मध्यम, पृष्ठ – 30-32
- मनोज कॉमिक्स डाईजेस्ट (Manoj Comics Digest): आकार – मध्यम, पृष्ठ – 60-64
- मनोज कॉमिक्स विशेषांक (Manoj Comics Visheshank): आकार – मध्यम, पृष्ठ – 60-64
- मनोज कॉमिक्स सुपर विशेषांक (Manoj Comics Super Visheshank): आकार – मध्यम, पृष्ठ – 75-90
पहली मनोज कॉमिक्स का नाम था ‘साहसी सिंदबाद’ जो मनोज चित्रकथा के नाम से आई थी, उसके बाद हजारों की संख्या में कॉमिक्स कई दशकों तक छपते रहे, वर्ष 1992 में मनोज कॉमिक्स ने शायद सबसे ज्यदा कॉमिक्सें छापी थी (लगभग 365, मतलब हर दिन के हिसाब से एक कॉमिक्स). मनोज कॉमिक्स ने भूत-प्रेत, जादू -टोना, तंत्र-मंत्र, डार्क टेल्स, लोक कथा, राजा-रानी, कमांडो, जादुई विचित्र लोक कथायें और सुपर हीरो वाली शैलियों में कई कॉमिक्सें प्रकाशित की. इनके कई खास किरदार भी बड़े प्रचलित और प्रसिद्ध थे जैसे –
- आक्रोश
- राम-रहीम
- सागर-सलीम
- कर्नल कर्ण
- हवालदार बहादुर
- क्रूकबांड
- इंद्र
- तूफ़ान
- महाबली शेरा
- काला प्रेत
- अमर अकबर
- अंकल चार्ली
- विस्ध्वंस
- त्रिकालदेव
- जटायु
- युगांधर
- कागा
- अजगर
- इंस्पेक्टर मनोज
- कान
- महानयक किड्स
- शेरबाज़
- सिकंदर
- विनोद-हामिद
- शार्क
- विनाश
- टोटान
राम रहीम और हवालदार बहादुर इनके प्रधान उत्पाद यानि की स्टेपल प्रोडक्ट थे. इनकी कॉमिक्सें हांथो हाँथ बिक जाती थी, साथ में राजा रानियों वाली कहानियों की भी अच्छी खासी मांग थी, मनोज पब्लिकेशन से कई आर्टिस्ट जुड़े हुए थे उनमे से कुछ प्रमुख कलाकारों के नाम थे –
- श्री प्रताप मुल्लिक – कवर आर्टिस्ट
- श्री सी एम विटंकर – कवर आर्टिस्ट
- श्री अंसार अख्तर – लेखक
- श्री बिमल चटर्जी – लेखक
- श्री हुसैन जामीन – चित्रकार
- बेदी सर – चित्रकार
- कदम स्टूडियोज – चित्रकार
- चंदू सर – चित्रकार
- श्री विनय प्रभाकर – लेखक
- श्री संदीप सुमन – चित्रकार
- नाजरा खान जी – लेखक
- बिट्टू – चित्रकार
- श्री संदीप गुप्ता – संपादक
भारत में कॉमिक्स का सुनहरा दौर 1986 से लेकर वर्ष 2001-02 तक रहा, क्योंकि तब तक सभी बड़े कॉमिक्स प्रकाशक समय से कॉमिक्स छाप रहे थे और ये भारत के कोने कोने तक पहुँच भी रही थी, लोकप्रियता का पैमना ये था की गली मुहल्लों में कॉमिक्स लाइब्रेरीज़ जगह जगह विराजमान हो चुकी थीं, इन सब पब्लिकेशन्स में से किसी एक कॉमिक को छांटना दूभर कार्य था लेकिन मनोज कॉमिक्स के आर्टवर्क और कवर्स के कारण इनकी सुंदरता कई गुना बढ़ जाती थी एवं कॉमिक्स प्रेमियों को इन्हें अलग करने में आसानी होती थी.
मनोज कॉमिक्स में कॉमिक्सों के नाम भी बड़े अनोखे होते थे, जैसे मुझे त्रिकालदेव की एक कॉमिक्स का नाम याद है जिसका शीर्षक था – “छील दो संतरा” और युगंधर की कॉमिक्स का नाम था – “चावल का दाना”. ऐसे अनोखे और लुभावने नाम सुनकर पाठक बरबस ही इन कॉमिक्सों को खरीद लेता था. हालाँकि राम रहीम की सारी कहानियां देश भक्ति से ओत प्रोत होती थी, इन्हें पढ़कर आपका देशप्रेम हिलोरें मारने लगता था, ये कहानियां आज भी उतनी ही अनूकूल है, एक समय तो मनोज कॉमिक्स की ‘ड्राकुला’ सीरीज ने कॉमिक्स जगत में तहलका मचा दिया था, मुझे विश्वास है आज भी इनके अंक ‘फ्रैक्शन ऑफ सेकंड्स’ की गति से बेचे जा सकते है. राम रहीम के शीर्षक ‘लाल तेरे अलबेले’ और ‘तिरंगे के कसम’ जैसे कॉमिक्सों के नाम अपने आप में ‘ऑयकोनिक’ है.
आज मनोज कॉमिक्स ढूढने से भी नहीं मिलती और कई कॉमिक्स पाठक एवं प्रसंशक इनसे अछूते है. डायमंड कॉमिक्स अभी भी प्रिंट होती है, राज कॉमिक्स भी गाहे बगाहे छप रही है (पुरानी कॉमिक्स का भी ठीक ठाक स्टॉक उपलब्ध है), तुलसी कॉमिक्स के रीप्रिंट अधिकार लेकर कॉमिक्स इंडिया ने इतिहास के गर्त से ‘अंगारा’, ‘जम्बू’ और ‘बाज़’ जैसे किरदारों को फिर से जीवनदान दिया लेकिन मनोज कॉमिक्स ने अभी भी दिन का उजाला नहीं देखा, हाल ही में ‘हेल्लो बुक माइन’ नामक वेब पोर्टल (कॉमिक्स के क्रय विक्रय हेतु) के संस्थापक श्री मनोज गुप्ता जी ने एक बात कही थी की क्या मनोज कॉमिक्स को दोबारा प्रिंट किया जाये?, उनके फेसबुक ग्रुप पर अनेक पाठकों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया और बढ़ चढ़ कर कॉमिक्सों की डिमांड भी रखी, कॉमिक्स बाइट के अनुरोध पर उन्होंने बताया की अभी कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, क्योंकि मनोज पब्लिकेशन में उनकी बातचीत है तो ऐसे ही कॉमिक्स के ऊपर चर्चा हुई और क्या पता भविष्य में क्या होने वाला हो. भई मैं तो काफी आशावादी हूँ और भारत में कॉमिक्स को उसका उचित स्थान दिलाने में हमेशा प्रयासरत रहूँगा, क्या पता हम पाठकों को “हवालात में सड़ाने के लिए कोई आतुर हो!”
अब बातें काफी हो चुकी है, एक उद्गोष हो जाये ‘जय देवेन्द्र’ का, क्या पता हमारा ये उद्गोष दिल्ली तक पहुँच जाये, उम्मीद करता हूँ ये लेख भी आपको पसंद आया होगा, आभार – कॉमिक्स बाइट!
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zaroor honi chahiye…..
Bhai desperate for Manoj Chitra katha and indrajal comics… even Madhu muskan was such Fun..
All these need to be reprinted and preserved for sure…
Absolutely Dhiraj Ji, We’re also looking forward to Manoj Publication. Hope to see them 2021, who knows? They might be reading our comments. Industry needs our support, keep reading, keep sharing. 🙂
काश तुलसी कॉमिक्स की तरह मनोज कॉमिक्स भी रीप्रिंट हों।
Ji, shayad aapki baat bhagwan sun le. Wait for 2021. It’s going to full of nostalgia for comic book lovers.