इंद्रजाल कॉमिक्स (Indrajal Comics)
भारतीय कॉमिक्स – इंद्रजाल
कॉमिक्स की बात हो और इंद्रजाल कॉमिक्स (Indrajal Comics) का जिक्र ना हो ये मुमकिन नहीं. ‘इंद्रजाल’ का अर्थ होता है जादू या रण कौशल एवं भारत के इंद्रजाल में ये दोनों ही तत्व मौजूद थे. जादू के लिए था जादूगर “मैनड्रैक” (Mandrake) और रण कौशल के लिए था “वेताल” (The Phantom).
भारत में उस समय कॉमिक्स का चलन नहीं था, वर्ष 1964 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ग्रुप ने “बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी” के साथ मिलकर इसकी स्थापना की और भारत को सुपरहीरो अवतार के दर्शन करवाए. कॉमिक्स थी ‘फैंटम’ की कॉमिक्स “वेताल की मेखला” (The Phantoms Belt). इसके जनक थे लीजेंड ‘ली फाक’ एवं इसके अधिकार ‘किंग फीचर्स सिंडीकेट’ के पास आज भी सुरक्षित है. इसमें कुछ पृष्ठ रंगीन थे और कुछ श्वेत श्याम. फैंटम के अलावा भी किंग फीचर्स के अन्य किरदार भी यहाँ देखने को मिले जैसे – फ़्लैश गोर्डन, मेंड्रैक, बज्ज सॉयर एवं रिप किर्बी.
कुछ शुरुवाती फैंटम की कॉमिकों के बाद इंद्रजाल ने सभी किरदारों की कॉमिक्स प्रकाशित करना शरू किया. आगे चलकर जब उन्हें भारतीय किरदार की जरुरत महसूस हुई तब श्री “आबिद सुरती” जी ने इंद्रजाल कॉमिक्स के लिए ‘बहादुर’ नामक एक किरदार की रचना भी की.
बहादुर का करैक्टर बायो – पढ़ें
लोकप्रियता
इंद्रजाल भारत में खासी लोकप्रिय हुई और आज भी इसका दीवानापन इसके बंद होने के लगभग 30 साल बाद भी जारी है. इसके पहले मासिक अंक आते थे, जिसे बाद में हर 15 दिनों में कर दिया गया. उसके बाद हर हफ़्ते भी इंद्रजाल के नए अंक आने लगे. इस बात से आपको ये अंदाजा पड़ गया होगा की भारतीय कॉमिक्स प्रशंसकों को कॉमिक्स का बुखार आज से नहीं चढ़ा था. आगे चलकर, किरण कॉमिक्स, गोवरसन्स कॉमिक्स, मधु-मुस्कान, मनोज कॉमिक्स एवं डायमंड कॉमिक्स की लोकप्रियता ने इसे वापस हर 15 दिनों के अंतराल में प्रकाशित किया जाने लगा.
इंद्रजाल कॉमिक्स में पहले बस आधे पृष्ठ पर ही कॉमिक छपी होती थी और बाकी में ज्ञानवर्धक जानकारियां जिसे बाद में बदल दिया गया. 60, 70 और 80 के दशक तक इंद्रजाल ने पाठकों को बांधे रखा एवं इसका कई क्षेत्रीय भाषाओँ में अनुवाद भी किया गया. 27 सालों तक इंद्रजाल कॉमिक्स जगत में सक्रिय रही. वर्ष 1990 को इंद्रजाल की आखिरी कॉमिक प्रकाशित हुई और उसके बाद ‘देंकाली के जंगलों’ में सन्नाटा छा गया.
इंद्रजाल के कॉमिक्स किरदार और टीम
- द फैंटम (वेताल)
- मैनड्रैक
- बहादुर
- फ़्लैश गोर्डन
- रिप किर्बी
- बज्ज सॉयर
- गार्थ
- ड्रेक
- माइक नोमाड
- मिक्की माउस
- रोबिन हुड
- आर्मी स्पेशल इशू, रामायण, महाभारत एवं अन्य कॉमिक्स की कहानियों का भी समावेश रहा.
फैंटम की सबसे ज्यादा कॉमिक्स प्रकाशित की गई, उसके बाद मैनड्रैक और बहादुर. इन्हें लाखों की संख्या में छापा जाता था इसलिए आज भी आपको इंद्रजाल आसानी से दिख जाते है. हिंदी एवं अंग्रेजी के अलावा इन्हें, मराठी, तमिल, कन्नड़, मलयालम, बंगाली और अन्य प्रादेशिक भाषाओँ में अनुवादित किया गया.
इंद्रजाल कॉमिक्स के कुल 803 अंक बाज़ारों में आए और बीच में इनका क्रमांक भी बदल दिया गया. 1,2,3 से आगे चलकर ये Vol 1. #1 के प्रारूप में आने लगा जो Vol 27 तक चला.
इंद्रजाल में सभी विदेशी किरदार थे बस ‘बहादुर’ को छोड़कर. लेकिन इंद्रजाल के आवरण भारत में ही बनाएं जाते थे और कॉमिक्स का डिज़ाइन भी यहीं बनता था. कवर आर्टिस्ट के रूप में “बी गोविंद” नाम आता है उसके बाद के आवरण उनके पुत्र प्रमोद ब्रह्मनिया जी ने बनाएं, इनके अलावा आर्टिस्ट ‘शेहाब’ ने भी कई कवर्स पर कार्य किया था.
यहाँ पर इंद्रजाल के कुछ दिग्गज आर्टिस्टों के नाम दिए जा रहे है –
- ली फाक
- आबिद सूरती
- गोविंद ब्रह्मनिया
- अलेक्स रेमन्ड
- रॉय क्रेन
- वाल्ट डिज्नी
इंद्रजाल कॉमिक्स भले ही बंद हो गई हो लेकिन इसके दीवाने आज भी है और इसका जादू आज भी बरकरार है. उम्मीद है इंद्रजाल कॉमिक्स की यह जानकारी पसंद आई होगी. आभार – कॉमिक्स बाइट!!