फिर आया बांकेलाल – राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता (Fir Aaya Bankelal – Raj Comics By Manoj Gupta)
अब लगेंगे फिर से हंसी के ठहाके “फिर हुण पाठकां दा की होउ !” जी यही कहा था श्री मनोज गुप्ता जी ने कुछ माह पहले जब बांकेलाल के नए कॉमिक्स – “फिर आया बांकेलाल” का पहला विज्ञापन साझा किया गया था। बांकेलाल के कई विस्मयकारी आवरण बना चुके और राज कॉमिक्स में गमराज को चित्रित करने वाले कार्टूनिस्ट और कॉमिक बुक आर्टिस्ट श्री प्रेम गुणावत जी के आर्टवर्क से सजी यह कॉमिक्स ठीक वैसी ही जैसे परीक्षा में पूछा गया ‘आउट ऑफ़ सिलेबस’ सवाल क्योंकि पाठक तो ‘सर्पसत्र‘ और ‘आज़ादी की ज्वाला‘ की अपेक्षा कर रहे थे लेकिन उसके साथ बांकेलाल की नई कॉमिक्स ‘सोने पर सुहागा’ वाली बात हो गई, अब तो पाठक भी कहेंगे – “वो मारा पापड़ वाले को”।
आवरण पृष्ठ बड़ा ही सुंदर बना है जहाँ बांकेलाल जंगल के राजा – बब्बर शेर यानि “सिंह” को जाल में फंसाते नज़र आ रहा है और वहीँ उसके पीछे एक दाढ़ी मूंछ वाला राक्षस भी दिखाई पड़ रहा है। कई वर्षों बाद बांकेलाल को उसके पुराने स्वरुप में देखना एक शानदार अनुभव होने वाला है। श्री जितेंदर बेदी जी के विरासत को श्री बसंत पंडा जी और श्री सुशांत पंडा जी आगे बढ़ाया और अब एक बार फिर ‘प्रेम’ नाम के हस्ताक्षर से सुसज्जित इस आकर्षक चित्रकथा को पाठक जरुर पसंद करने वाले हैं। इस कॉमिक्स का प्री आर्डर आ चुका है जिसकी जानकारी नीचे साझा की जा रही है।
विज्ञापन से यह एक ‘सिंगल शॉट’ कॉमिक्स लग रही है जिसमें कुल पृष्ठ 32 हैं और इसका मूल्य 135/- रूपये हैं। कॉमिक्स का आकार ‘सर्पसत्र’ जैसा ही है और इसके साथ 2 विंटेज पोस्टकार्ड्स बिलकुल मुफ्त दिए जा रहे हैं।
आर्डर कहाँ से करें इसकी जानकारी नीचे है –
- हैलो बुक माइन (August)
- कॉमिक्स अड्डा (Pre-Order)
- उमाकार्ट (Pre-Order)
- कॉमिक हवेली (Pre-Order)
- देव कॉमिक्स स्टोर (Pre-Order)
- अन्य सभी ऑफलाइन और ऑनलाइन पुस्तक विक्रेता
बांकेलाल की नई कॉमिक्स पाठकों के लिए खुशियों की बयार लेकर आएगी, प्रसंशकों को हंसा हंसा के लोटपोट करने की बड़ी शानदार तरकीब भिड़ाई हैं राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता ने और आशा है जैसा प्रतिसाद अभी दिख रहा है वह जरुर पाठकों के आनंद को चार ‘गुणा’ बढ़ा देगा जब कॉमिक्स की मूल प्रति उनके हाँथ में होगी, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
Sarpsatra Nagraj-Tausi | Aazadi Ki Jwala Swatantrata Senani Super Commando Dhruva