प्रशंसक लाइमलाइट – युद्धवीर सिंह
मोहित शर्मा ‘ज़हन’ (Mohit Sharma): मेरठ, उत्तर प्रदेश के रहने वाले श्री मोहित शर्मा वैसे तो ‘मास्टर ऑफ़ बिजिनेस एडमिनिस्ट्रेशन’ के डिग्री धारक है, अपनी प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने आगरा से प्राप्त की और आज ‘लोएँसब्रिज’ नामक संस्था के साथ कार्यरत है लेकिन उनसे जुड़े लगभग सभी मित्र ये जानते है की वो एक कॉमिक्स प्रेमी और आला दर्जे के लेखक भी है. वर्ष 1999 में ‘कारगिल’ युद्ध के समय लिखी उनकी कविता दैनिक ‘राष्ट्रीय सहारा’ पर प्रकाशित हुई थी, उन्होंने ‘काव्य कॉमिक्स‘, ‘इंडियन कॉमिक्स फैनडम एंड अवार्ड’, ‘फ्रीलांस टैलेंट‘ की स्थापना भी की है एवं ‘अनिक प्लेनेट’ नामक डिजिटल मैगज़ीन पर कार्य भी किया है. लेखक के तौर पर उनकी 4 किताबें बाज़ारों में उपलब्ध है और ‘कुछ मीटर पर ज़िन्दगी’, ‘कलरब्लाइंड बालम’ और ‘ज़हनजोरी’ इनमें से खासे चर्चित रहें. इनके नाम पर करीब-करीब 40 से ज्यादा कविता और कहानियों का संग्रह है।
प्रशंसक लाइमलाइट – युद्धवीर सिंह (Fan Limelight – Youdhveer Singh)
बात जून 2010 की है। युद्धवीर सिंह नामक एक प्रशंसक ने राज कॉमिक्स फोरम और ऑरकुट पर एक-दो कॉमिक कम्युनिटी में कॉमिक्स पर अपने विचार, समीक्षाओं को लिखना शुरू किया। उस वर्ष और उसके बाद के 4-5 साल वे भारत की ऑनलाइन कॉमिक कम्युनिटीज़ के सबसे सक्रीय सदस्यों में से एक रहे। ऑनलाइन ब्लॉग, कॉमिक-साहित्य से जुड़े समुदायों पर वे 2018 के मई-जून तक सक्रीय रहे। इसके बाद से किसी का उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ। उसी समय उन्होंने अपने सभी फ़ोटो भी हटा लिए। एक इवेंट के पुराने प्रमाणपत्र में उनकी एकमात्र छोटी सी तस्वीर बची है।
इन 8 सालों में अनेकों कॉमिक समीक्षाओं के साथ-साथ उन्होंने इंडियन कॉमिक्स फैंडम, स्पंदन, आर्यनिस्ट आदि कुछ साहित्य-कॉमिक्स से जुड़ी पत्रिकाओं के लिए लेख भी लिखे, कॉमिक्स और किरदारों की जानकारी वाली उनकी पोस्ट और ब्लॉग आज भी पढ़े जाते हैं। यही वजह थी कि उन्हें कई ऑनलाइन कॉमिक समुदायों पर हुई वोटिंग में, उस वर्ष के – 2013 (सर्वश्रेष्ठ समीक्षक) और 2016 (सर्वश्रेष्ठ समीक्षक-ब्लॉगर) की उपाधि मिली। उस समय सक्रीय बहुत से बड़े प्रशंसकों, समीक्षकों में यह अवार्ड दो बार जीतना एक बड़ी उपलब्धि थी। साथ ही, उन्हें चित्रकारी, कलरिंग का शौक था जो कभी-कभार उनकी पोस्ट में दिख जाता था। उन्होंने लगभग 15 शार्ट और इंडी कॉमिक्स में शब्दांकन, कलरिंग का योगदान दिया।
आज ही अपनी मनपसंद कॉमिकों को मंगवाए – कॉमिक्स (हिंदी/अंग्रेजी)
इस दौरान कम जानकारी के साथ कुछ लोगों ने कहा कि मैं ही युद्धवीर सिंह हूँ। हालांकि, उनके ब्लॉग – पुराने पोस्ट और मेरी लेखनी में आप आपको काफी अंतर दिखेगा। हम दोनों में कुछ विषयों पर मतभेद भी हुए जिनके रिकॉर्ड पुरानी कम्युनिटीज़ में मौजूद हैं। साथ ही, उनकी दुर्लभ एक-दो कहानियों को अगर छोड़ दें, तो वे रचनात्मक लेखन, कविताओं (जो मुझे लिखना पसंद है) के बजाय समीक्षाओं और सामान्य लेखों को ही लिखते थे।
मैं उनसे नवंबर 2012 में, लखनऊ में मिला। कई लोगों ने उनसे फ़ोन पर संपर्क करने या मिलने का प्रयास किया, लेकिन वे अक्सर टालते रहे। एक अमृतांशु नामक कॉमिक प्रशंसक और मेरे अलावा शायद ही वे किसी से मिले हों। हाँ, फ़ोन पर ज़रूर वे मंदार जी समेत कुछ गिने-चुने लोगों से बात कर चुके थे। उनका व्यक्तित्व अंतर्मुखी ज़रूर था, लेकिन थोड़ा सहज होने के बाद उनसे आप घंटों कॉमिक्स, फ़िल्मों आदि विषयों पर बात कर सकते थे। पहले मेरी कद-काठी देखकर वे डर गए, जो उनके चेहरे से साफ़ झलका – जैसे किसी पुरानी पोस्ट या मतभेद पर मैं उन्हें पीटने आया हूँ। इस बात पर बाद में हल्का-फुल्का मज़ाक भी किया मैंने ऑनलाइन जिसका उन्होंने बुरा नहीं माना। उनको कुछ कॉमिक्स भेंट की और वापस घर आ गया। इसके बाद उनसे मिलने का अवसर नहीं मिल पाया। उन्होंने बताया था कि वे कलाकार धीरज कुमार (डीके बॉस) के घर के पास रहते थे, शायद उन्हें युद्धवीर सिंह के बारे में ज़्यादा जानकारी हो।
युद्धवीर सिंह जी, अगर आप यह लेख पढ़ रहे हैं तो आपसे यही कहना है कि आशा है कि आपका शिक्षक बनने का सपना साकार हो गया होगा। भारतीय कॉमिक्स के प्रचार-प्रसार में आपके योगदान के लिए बहुत धन्यवाद और भविष्य के लिए शुभकामनाएं!
रिफरेन्स लिंक्स (Reference Links)
Disney Pirates of the Caribbean – Beyond Port Royal: Comics Collection
काश हम भी मिल पाते इनसे। एक वक्त इनकी पोस्ट icufc पे सबसे ज्यादा पढ़ी जाती थी।
जी क्या पता इस पोस्ट को पढ़कर वो फिर से एक्टिव हो जाएँ, या कॉमिक्स की दुनिया में वापस लौट आएं.