ड्रैकुला – कॉमिक्स इंडस्ट्री का सबसे डरावना खलनायक
ड्रैकुला (Dracula) का कॉमिक्स इतिहास (Comics History of Dracula)
ड्रैकुला के बारे अब क्या कहूँ, वर्ष 1897 में आयरिश लेखक ‘ब्रैम स्टोकर’ ने एक भूतहा फिक्शनल किरदार “काउंट ड्रैकुला” की रचना की और उस किरदार को केंद्र में रखकर एक हॉरर नॉवेल लिखा. ट्रांसल्वेनिया से इंग्लैंड तक में फैले इस गाथा में उसका खूनी टकराव प्रोफ़ेसर ‘वैन हेल्सिंग’ और उसके कुछ साथियों से होता है. ड्रैकुला एक ‘वैम्पायर’ ही है या वैम्पायरों का सरताज जो मानवों के खून पर आश्रित है और क्योंकि ड्रैकुला एक कॉपीराइट फ्री करैक्टर है तो कई लेखकों ने इस किरदार पर अपना हाँथ आजमाया एवं इससे साहित्यिक, पल्प, गल्प, डरावनी कहानियों ने जन्म लिया जिसका सफलतापूर्वक रूपांतरण, ग्राफ़िक नॉवेल, कॉमिक्स, नॉवेल, फिल्मों, टीवी और थिएटर पर किया गया.
कॉमिक्स (Comics)
ड्रैकुला ‘कॉमिक्स’ वर्ग का भी पसंदीदा रहा है, लगभग हर बड़े पब्लिकेशन ने ड्रैकुला पर काम किया है. कॉपीराइट फ्री और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध होने के कारण सभी कॉमिक्स पब्लिकेशन हाउसेस ने अपनी कहानियों में ड्रैकुला को उचित स्थान दिया और पाठकों को भी बेहतरीन कहानियों से रूबरू होने का मौका मिला. पाश्चत्य कॉमिकों से लेकर भारतीय कॉमिक्स प्रकाशकों ने इसे तरजीह दी है एवं पाठकों को मिली बेमिसाल और बेजोड़ कहानियां.
विदेशी कॉमिक्स – मार्वल कॉमिक्स और डिटेक्टिव कॉमिक्स में ड्रैकुला कई बार दिख चुका है. ड्रैकुला की ‘सामान्य’ कहानियां (जिन्हें कई पब्लिशर्स ने अपने हिसाब से प्रकाशित किया) जहाँ वो खून पीने वाले पिशाच के रूप में दिखाई देता है को छोड़ दें तो वो अन्य बड़े कॉमिक्स पब्लिकेशन में अलग ही कथा लिए दिखता है, हालाँकि हर जगह उसकी शक्तियों को अलग अलग बताया गया है लेकिन उसकी हैवानियत और दहशत को बरकरार रखा गया है. सुपरमैन से लेकर स्पाइडर-मैन तक ड्रैकुला से भिड़ंत कर चुके है और ड्रैकुला को हर कॉमिक्स में बेहद शक्तिशाली दिखाया गया है. बहोत सारे कॉमिक्स पब्लिकेशन ‘ड्रैकुला’ के उपर कॉमिक्स निकाल चुके है और अभी भी उसका प्रयोग लगातार किया जा रहा है.
भारतीय कॉमिक्स – ‘डायमंड कॉमिक्स’ से लेकर ‘राज कॉमिक्स’ तक और ‘मनोज कॉमिक्स’ से लेकर बुल्सआई प्रेस तक जिन्होंने हाल ही में घोषणा कर ये बताया की उनकी भी ड्रैकुला पर कॉमिक्स जल्द ही भारतीय बाज़ार में आने वाली है. यहाँ ड्रैकुला लम्बू – मोटू से भिड़ा, नागराज और ध्रुव से भी उसे पटखनी मिली, मनोज कॉमिक्स में तो सभी नायकों को एक साथ आना पड़ा उसे रोकने के लिए और अब देखेंगे की बुल्सआई प्रेस क्या अनोखा प्रयोग करती है इस किरदार के साथ.
डायमंड कॉमिक्स (Diamond Comics)
डायमंड कॉमिक्स में ‘ड्रैकुला’ वर्ष 1981 में पहली बार दिखा, जैसा की मेरे कुछ बेहद जुनूनी और काबिल कॉमिक्स कलेक्टर मित्र बताते है की उस समय इस कॉमिक्स ने सफलता के नए आयाम गढ़ दिये थे. राका अगर अपराधियों का बादशाह है तो ड्रैकुला भी शहंशाह से कम हैसियत नहीं रखता. लम्बू-मोटू डायमंड कॉमिक्स के काफी पुराने किरदार है और ड्रैकुला के साथ ही उनकी कॉमिक्स – ‘लम्बू-मोटू की ड्रैकुला से टक्कर‘ प्रकाशित हुई थी जहाँ ‘ड्रैकुला’ पाठकों को पहली बार नज़र आया था. इसके बाद तो ड्रैकुला के साथ जबरदस्त टक्कर हुई लम्बू मोटू की और वो उनकी कई कॉमिकों में नज़र आया. ‘लम्बू-मोटू और नर्क का ड्रैकुला‘ और अन्य कॉमिक्स में ड्रैकुला का कहर लगातार जारी रहा जहाँ लम्बू, मोटू, इंपेक्टर अंकल और ऋषि भुवन उससे टक्कर लेते रहे. डायमंड कॉमिक्स के ड्रैकुला का कोई अस्तित्व नहीं था और ये किसी के भी शारीर को धारण कर सकता था. आप सोच भी नहीं सकते कितनी डार्क और कसावट वाली कहानियाँ लिखी गई थी आज से करीब 40 साल पहले. डायमंड कॉमिक्स में भी इन्हें सीरीज़ में निकला गया और उन कॉमिकों के नाम नीचे प्रतुस्त है –
- लम्बू-मोटू की ड्रैकुला से टक्कर (Lambu-Motu Aur Dracula Se Takkar)
- लम्बू-मोटू और नर्क का ड्रैकुला (Lambu-Motu Aur Nark Ka Dracula)
इसके अलावा भी ‘मासूम ड्रैकुला‘ सीरीज़ है जहाँ एक नन्हें मासूम को ड्रैकुला अपना प्यादा बना लेता है और उससे हैरतअंगेज हत्याकांड करवाता है, ड्रैकुला अन्य डायमंड कॉमिक्स के किरदारों के साथ भी नज़र आ चुका है और हम इस लिस्ट को आगे भी और अपडेट करेंगे. यहाँ पर एक और तथ्य आपको बता दूँ की डायमंड कॉमिक्स में ड्रैकुला का नाम, ब्राउन ड्रैकुला बताया गया है और उसका चेहरा बड़ा ही विभित्स एवं शारीर के नाम पर एक सर्प जैसा धड़ दिखाया गया है.
मनोज कॉमिक्स (Maonj Comics)
मनोज कॉमिक्स या मनोज चित्र कथा से शुरवात हुई थी एक भयानक कहानी की जो लोगों के खून से लिखी गई थी. मनोज चित्र कथा में पहली बार ‘ड्रैकुला’ भूतमहल नामक कॉमिक्स में दिखा जहाँ डबल सीक्रेट एजेंट ००१/२ राम-रहीम इस भयानक पिशाच से टक्कर लेते दिखाई पड़ते है. लेकिन कहानी बस एक ही टक्कर में खत्मः नहीं होती, यह पूरे 7 कॉमिक्स की श्रृंखला है ‘ड्रैकुला’ के उपर और मनोज कॉमिक्स के सबसे सफलतम कॉमिक्स श्रृंखला में इसका शुमार होता है. इसकी भयानकता का आलम ये था की इन कॉमिक्स में खून खराबा लगभग हर दुसरे पृष्ठ पर दिख जाता था. राम रहीम को मनोज कॉमिक्स के अन्य नायकों की सहायता लेनी पड़ी पर फिर भी ‘ड्रैकुला’ मर नहीं सकता और हर बार वो वापस आ जाता है. मनोज कॉमिक्स के ड्रैकुला सीरीज़ में निम्नलिखित कॉमिक्स थीं –
- भूतमहल (Bhootmahal)
- ड्रैकुला बालक (Dracula Balak)
- ड्रैकुला की वापसी (Dracula Ki Wapsi)
- ड्रैकुला दिल्ली में (Dracula Dilli Me)
- फिर आया ड्रैकुला (Fir Aaya Dracula)
- ड्रैकुला का प्रेतजाल (Dracula Ka Pretjaal)
- ड्रैकुला आया मौत लाया (Dracula Aaya Maut Laya)
इनमें से दो कॉमिक्स ऐसी है जिनमें राम-रहीम नहीं है लेकिन कहानी की निरंतरता बनी हुई है. बचपन में इस सीरीज़ को पढ़ना वाकई में एक डरावना सपना था. प्रत्येक कॉमिक्स के कवर बेमिसाल बने थे.
राज कॉमिक्स (Raj Comics)
भारत के सारे बड़े कॉमिक्स पब्लिकेशन हाउसेस में राज कॉमिक्स का नाम भी शुमार होता है, तो ड्रैकुला इनसें दूर कैसे रह सकता था. इसके पहले भी आर्टिस्ट श्री ‘अनुपम सिन्हा’ जी वैम्पायर वाले कोण को एक बार पाठकों के समक्ष ला चुके थे. जहाँ ध्रुव पोखरण में परमाणु परिक्षण के दौरान कुछ रहस्मयी शक्तियों से टकरा जाता है लेकिन वहां ड्रैकुला से उसकी टक्कर नहीं होती बल्कि वैम्पायर ही उससे टकराते है. बाद में जब ड्रैकुला राज कॉमिक्स में आया तब यहाँ पर पहले ड्रैकुला की मुठभेड़ होती है सुपर कमांडो ध्रुव से, फिर वो अगली बार टकराता है नागराज और एंथोनी से, मरने के बाद जब वो फिर उठ खड़ा होता है तब नागराज और ध्रुव दोनों मिलकर उसे रोकते है और अंत में शक्ति, परमाणु, डोगा सभी को मैदान में कूदना पड़ता है. यहाँ भी ड्रैकुला को बेहद शक्तिशाली दिखाया गया है और ‘ड्रैकुला सीरीज़‘ राज कॉमिक्स के सर्वोत्तम कॉमिक्स श्रृंखला में से एक है. कुल 4 कॉमिक्स में ये अपने गंतव्य तक पहुँचती है और कॉमिक्स के नाम नीचे दिए गय है –
- ड्रैकुला का हमला (Dracula Ka Hamla)
- नागराज और ड्रैकुला (Nagraj Aur Dracula)
- ड्रैकुला का अंत (Dracula Ka Ant)
- कोलाहल (Kolahal)
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कही अनकही
ड्रैकुला मर नहीं सकता, चाहे डायमंड कॉमिक्स हो, मनोज कॉमिक्स हो या राज कॉमिक्स. हर जगह बस उसका शारीर नष्ट होता है लेकिन उसकी पैचाशिक प्रेतात्मा को मुक्ति नहीं मिलती, उसने कई मजलूमों पर जुल्म ढाएं है और वो मरकर दोबारा जिंदा होता रहता है. शायद यही इसकी नियति है इसलिए इंसान को सदा अच्छे कार्य में ही मन लगाना चाहियें, बुरे कर्मों का नतीजा बुरा ही होता है चाहें आप इसकी कितनी ही पैरवी क्यूँ न कर लें. अच्छे कर्म से ही मनुष्य सद्गति को प्राप्त करता है.
ड्रैकुला एक काल्पनिक किरदार है लेकिन पूरे विश्व में शायद ही कोई कोना हो जहाँ उसे कोई जनता ना हो. जल्द मिलेंगे ड्रैकुला की अगली कड़ी के साथ जो है मनोज कॉमिक्स में प्रकाशित हुई – ‘भूतमहल‘. तब तक के लिए आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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क्रेडिट्स: दुर्लभ कॉमिक्स कवर, श्री ‘हेमेन्द्र सिंह’ जी और कॉमिक्स पब्लिकेशन हाउसेस.
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Yeh comics jab bhi print aaye please batayega
Ji zarur. Hamare facebook page se jud jayen. Sari updates milti rahengi aapko.
What is the date when Diamond Hindi Comics will be available? Thank you.
Tentatively by end of the month.