कॉमिक्स बाइट ‘वन शॉट’ रिव्यु: पूजा एक्सप्रेस – शक्ति – राज कॉमिक्स (Comics Byte ‘One Shot’ Review: Pooja Express – Shakti – Raj Comics)
पूजा एक्सप्रेस: शक्ति और नारी शक्ति का शानदार संगम – राज कॉमिक्स समीक्षा! (Pooja Express: Shakti aur Nari Shakti ka Shandaar Sangam – Raj Comics Review!)
“पूजा एक्सप्रेस – शक्ति” (Pooja Express – Shakti), एक 32 पृष्ठों की दमदार वन-शॉट कॉमिक्स, जिसे राज कॉमिक्स ने ‘नागराज एक्शन इयर’ में प्रस्तुत किया था। दिखने में साधारण कहानी लगती है पर वास्तव में यह एक अद्भुत मेल है, “नारी सशक्तिकरण, मातृत्व की भावना और सुपरहीरो एक्शन” का। इस कहानी को लिखा है लेखक तरुण कुमार वाही जी ने, चित्रांकन किया है स्वर्गीय धीरेज वर्मा जी ने, इंकिंग की है राजेन्द्र धौनी जी ने, सुलेख एवं रंग सुनील पाण्डेय जी के है और साथ ही सहयोग है श्री विवेक मोहन जी का।

एक कहानी की पटरियों पर!
चम्बल के बीहड़ों में दौड़ने वाली चंबल एक्सप्रेस जो बदनाम है ‘डकैतों’ की लूट और आतंक के कारण। आज इन्हीं के डर से ट्रेन ड्राइवर ‘भीमसिंह’ ट्रेन चलाने से मना कर देता है क्योंकि हाल ही में हुई लूटपाट एवं हत्याओं से वह भयभीत है, लेकिन तभी स्टेशन मास्टर साहब के पास पर आती है “पूजा”, एक साहसी लोको पायलट, जो एक माँ भी है, विधवा भी! सिंगल पैरेंट, लेकिन आत्मविश्वास से भरपूर। कहानी आगे बढ़ाती है रामगढ़ से, जहां से ट्रेन रवाना होती है, साथ में पूजा का नन्हा बेटा भी होता है जो अपने अकेलेपन और माँ के साथ समय व्यतीत करने की जिद के कारण इस सफर पर है। पर जैसे ही ट्रेन अपने गंतव्य यानि की चंबल क्षेत्र से गुजरती है तब ट्रेन पर डाकू हमला कर देते हैं। सी.आर.पी.ऍफ़ के जवानों की एक एडिशनल बोगी होते हुए भी मुकाबला कमजोर पड़ जाता है, और जब डाकुओं का सरदार इंजन पर हमला करता है तो एक पूजा चीख पड़ती है!
पूजा की चीख पर, शक्ति का आगमन होता है (शक्ति प्रकाश की गति से कहीं भी पहुँच सकती है*) वह गर्जना करती है – “निर्भय हो जाओ, शक्ति आ चुकी है।” फिर होती है एक जबर्दस्त टक्कर जहां एक्शन, इमोशन और नारीत्व का संगम दिखाई देता है। शक्ति न केवल पूजा की मदद करती है, बल्कि पूरे ट्रेन को डाकुओं के आतंक से मुक्त कराने में साहयता भी करती है, पर बीहड़ के डाकुओं हराना क्या इतना आसान है? पढें राज काॅमिक्स के पूजा एक्सप्रेस में!
खलनायक ‘गोरा’ का एक संवाद गहरी छाप छोड़ जाता है – “जब गोरा गुटका खा कर आता है तो लोगों के चेहरे आतंक से काले पड़ जाते है, हा हा हा”।
टीम: कला और प्रस्तुति
स्व. धीरेज वर्मा जी का आर्टवर्क इस कॉमिक्स को भावनात्मक गहराई और दृश्यात्मक भव्यता देता है। आवरण विशेष रूप से शानदार है जो शक्ति के क्रोध का विस्फोट दर्शाता है और पुरुषों से उसकी नफरत को। तरुण कुमार वाही जी ने सीमित पृष्ठों में भी कहानी में संतुलन और भावनात्मक वजन बनाए रखा है। सहायक पात्र भी आपको पसंद आते हैं। कैलीग्राफी और रंग-संयोजन अच्छा है – “जिंग, बैंग, च्यूम, धायं” जैसे शब्दों के साथ ट्रेन का बैकड्राप और घोड़ों का उसका पीछा करना, धुआंधार एक्शन की गवाही देता है।
जरूरी सन्देश:
पूजा एक्सप्रेस सिर्फ एक सुपरहीरो की कहानी नहीं है, यह आज की महिला की कहानी है – ‘जो माँ भी है, योद्धा भी और सबसे बढ़कर इंसान भी’। साथ ही यह कॉमिक्स हमें ये भी याद दिलाती है कि खतरे हमेशा बीहड़ों में नहीं होते, वो हमारे आस-पास भी होते हैं जैसे फिल्म ‘Kill’ में दर्शाया गया है एवं समय के अपराधी भी बदल चुके है, इसकी समीक्षा Comics Byte के पिछले लेखों में मिलती है। आप उसे पढ़ सकते है।
पढ़े: फिल्म समीक्षा – किल (Movie Review – KILL)
निष्कर्ष:
पूजा एक्सप्रेस एक ऐसी कॉमिक्स है जो संग्रहणीय है, खासकर उन पाठकों के लिए जो एक्शन के साथ-साथ संवेदनशीलता और सामाजिक सन्देश की तलाश में हैं। राज कॉमिक्स की एकमात्र सुपरहीरोइन शक्ति की मौजूदगी इसे और खास बनाती है। क्या आपने पूजा एक्सप्रेस पढ़ी है या अब पढ़गें? हमें टिप्पणी में अवश्य बतांए, आभार – काॅमिक्स बाइट!!
