कॉमिक्स बाइट संस्मरण – कछुआ महल – भोकाल – राज कॉमिक्स (Comics Byte Memoirs – Kachua Mahal – Bhokal – Raj Comics)
भोकाल सीरीज़ की शानदार कॉमिक्स ‘कछुआ महल” का संस्मरण – राज कॉमिक्स (Comics Byte Memoirs – Kachua Mahal – Bhokal – Raj Comics)
कछुआ महल – Raj कॉमिक्स (Kachua Mahal – Raj Comics): भोकाल सीरीज की इस कहानी के साथ बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं। मुझे आज भी याद हैं जब पिताजी को हमारे क्षेत्र से बाहर कुछ कार्य था। पापा और मैं उनकी हीरो मेजेस्टीक पर बैठे और बुढ़ार को चल पड़े, जो कि हमारे घर से लगभग आठ किलोमीटर दूर था। अपने कोल माईन्स के किसी मित्र के यहाँ वो मुझे ले गए और कुछ फाईल वगैरह लेकर वह कार्य वहां समाप्त हुआ। अब बुढ़ार गए और गुप्ता चाट भंडार की चाट ना खाई तो भई आपका वहां जाना बेकार ही हैं। दो चाट की प्लेट सफाचट करते हुए ‘दो और प्लेट’ घर के लिए पैक करवा लिए। माँ और बहन का ख्याल भी तो रखना हैं की नहीं?
अब मेरा फूरा फोकस काॅमिक्स पर आ चुका था जिसे पापा भी तुरंत भांप गए। हम दोनों आनंद बुक डीपो की ओर चल पड़े जो बुढ़ार की ही नहीं हमारे पूरे क्षेत्र की सबसे बढ़िया किताब की दुकानों में से एक थीं और जहां काॅमिक्स, मैगजीन और स्कूल की सभी बुक्स भी मिल जाया करती थीं। वहां के मालिक मेरी बुआ के क्लासमेट थें और पापा के स्कूल जूनियर। दुकान पर पहुंचते ही हंसी-ठहाको का सिलसिला चल निकला, चाय भी आई पर मुझे नहीं मिली। अंकल मुझे देखकर मुस्कुराएं और काॅमिक्स का बंडल मेरी ओर सरका दिया। तब तक अनुपम जी द्वारा रचित शाकूरा का चक्रव्यूह और नागराज का अंत मेरे हाथ लग चुकी थी पर जहर, नागपाशा और खजाना अभी भी कोसों दूर थीं। नजर बस नागराज को ही तलाश रही थीं पर हमारा ‘हरा’ महानायक इस बार मेरी किस्मत में नहीं था।
अंकल ने मेरा कौतूहल देखते हुए अंदर से एक और बंडल मंगवाया। कसम से उस बंडल को देखते ही ऐसी खुशी मिलती थीं जो आज के दो-ढाई हजार के संग्राहक संस्करणों में भी नहीं हैं। खैर नगराज तो ना मिला पर दिखा भोकाल!! क्या आवरण, अद्भुत। कदम स्टूडियोज के आर्टवर्क ने मुझे पहली नजर में ही मोहित कर लिया। एक बड़ा सा चट्टानी किरदार एक लड़की पर घूंसे बरसा रहा हैं (जो की सलोनी हैं) और महाबली भोकाल अपनी ढाल से उसका सर फोड़ रहा हैं (इसे आप उपर देख सकते हैं) और पीछे बेहद ही नाटकीय ‘बौना भोकाल’ का विज्ञापन (उसकी भी कहानी है मगर वो किसी और दिन)।
कछुआ महल काॅमिक्स के साथ पहली बार मैंने ट्रेडिंग कार्ड वाली नाॅवेल्टी देखी। मैं हतप्रभ था कि मैगनेट स्टीकर, पाॅप अप स्टीकर और पेपर स्टीकर के अलावा, अब कुछ नया भी आ रहा हैं जिसमें नायकों का पूरा ‘कैरेक्टर बायो’ भी दिया गया था हाँलाकी “फिर आया नागदंत” जो नागराज की राज कॉमिक्स विशेषांक थीं, उसके साथ पहली बार एक प्लास्टिक की स्केल मिली थीं पर ये ट्रेडिंग कार्ड कुछ अलग ही चीज थीं। कॉमिक्स का मूल्य 16/- रूपये था जो इस खाकसार की जेबखर्चे से काफी बड़ा था, फिर शुरू हुआ पिताजी के मान-मनौवल का दौर जो कि 5 मिनट चला और इस प्रकार मुझे मिली मेरी भोकाल की दूसरी डाइजेस्ट – कछुआ महल, पहली यादगार कॉमिक्स विशेषांक थीं “भोकाल की तलवार”!! जानता हूँ इनके बीच में और भी विशेषांक आएं थे पर वो अपने छोटे कस्बे तक पहुँच नहीं पाते थें।
भोकाल राज कॉमिक्स का बहुत ही अंडररेटेड किरदार हैं। उसकी कहानियां शानदार हैं और कदम स्टूडियोज के आर्ट के कारण एक अलग ‘एपील’ करती हैं। कुछआ महल में सब कुछ हैैं, जैसे भोकाल के दोस्त और अनकी मित्रता, अपने राज्य के प्रति उसकी प्रतिबद्धता, अपनों के लिए स्नेह और एक महाबली के सारे गुण।
भोकाल एक महान महानायक क्यों हैं ये आपको काॅमिक्स के अंतिम पृष्ठों से ज्ञात होता हैं। यहां पर पर आपको नजर आते हैं कुछ नए और अनोखे किरदार एवं साथ ही भोकाल का चिर प्रतिद्वंदी ‘फूचांग’ भी। कुछआ महल कहीं भी निराश नहीं करती और आपके ‘काॅमिक्स डाईट’ का बहुत ही शानदार आहार दिखाई पड़ती हैं। आज जब तबीयत खराब हुई और मन से भोकाल की कोई क्लासिक्स काॅमिक्स पढ़ने की इच्छा जागी तब सीधे कछुआ कवच का ही ध्यान आया और पन्नें पलटते हुए मन उड़ चला मेरे गाँव ‘अमलाई’ की ओर जहाँ मेरे परिवार एवं कॉमिक्स की सुनहरी यादें बसी हैं। बाकी मौलिक संस्करण बेहद शानदार था जबकि पुन: मुद्रण में काफी खामियां दिखाई पड़ी लेकिन राज कॉमिक्स की पूरी टीम को हार्दिक शुभकामनाएं जिसमें खासकर लेखक संजय गुप्ता जी और आर्टिस्ट दिलीप कदम जी ने इस चित्रकथा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। बहरहाल बाकी विवरण की चर्चा फिर कभी अब विदा लेता हूँ, आभार काॅमिक्स बाइट!!