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कॉमिक्स बाइट फैक्ट्स: मोक्षदा एकादशी (Comics Byte Facts: Mokshada Ekadashi)

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“गीता का सार, मोक्ष का द्वार”, जानें मोक्षदा एकादशी का पौराणिक महत्त्व। (Essence of Geeta, door to salvation, know the mythological significance of Mokshada Ekadashi.)

मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्त्व हिंदू धर्म में धर्म, कर्म और मोक्ष से जुड़ा हुआ है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की इस एकादशी का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के रणभूमि में ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ (Bhagavad Gita) का ज्ञान दिया था। इस उपदेश ने न केवल अर्जुन के संशयों का समाधान किया बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति के लिए जीवन का मार्गदर्शन भी प्रदान किया। इस एकादशी के दिन व्रत करने और कथा सुनने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अमर चित्र कथा स्टूडियो ने भी इस दिन का महत्त्व दर्शाते हुए बताया कि गीता का उपदेश जो मानव जीवन का सार है, वह इसी दिन दिया गया था। धर्म क्यों सर्वोच्च है और क्यों पूर्वजों के मोक्ष के लिए इस दिन व्रत किया जाना चाहिए, यह इस दिन के महत्त्व को और अधिक गहरा बनाता है।

Mokshada Ekadashi - Amar Chitra Katha Studio
Mokshada Ekadashi – Amar Chitra Katha Studio

महाभारत में अर्जुन और श्रीकृष्ण का संवाद (Dialogue between Arjun and Shri Krishna in Mahabharata)

महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन ने अपने सगे-सम्बंधियों को युद्धभूमि में खड़ा देखा तो उनका मन द्रवित हो गया। उन्होंने अपने शस्त्र छोड़ दिए और युद्ध करने से इनकार कर दिया। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्म और धर्म का मर्म समझाते हुए श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा,

“हे अर्जुन! कर्म करना तेरा धर्म है। अपने कर्तव्यों से विमुख होना अधर्म है। अपने स्वधर्म का पालन करना ही मोक्ष का मार्ग है।”

यह संवाद केवल अर्जुन के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानव जाति के लिए है। गीता का ज्ञान हमें यह सिखाता है कि जीवन में आने वाले संशयों और बाधाओं को दूर करने के लिए धर्म और कर्तव्य का पालन करना आवश्यक है। मोक्षदा एकादशी इसी संवाद की स्मृति दिलाती है और हमें जीवन में कर्तव्यनिष्ठा और धर्म के प्रति समर्पण की शिक्षा देती है।

Bhagavad Gita - Amar Chitra Katha
Bhagavad Gita – Amar Chitra Katha

पूर्वजों के उद्धार के साथ-साथ, इस दिन का महत्त्व कर्म और धर्म के मार्ग पर चलने में भी है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है:

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”

भावार्थ: अर्थात्, मनुष्य को केवल कर्म करने का अधिकार है, उसके फल की चिंता करना उसका धर्म नहीं है।

यह संदेश मोक्षदा एकादशी के महत्व को और अधिक बढ़ा देता है। अमर चित्र कथा स्टूडियो ने इस विशेष तिथि पर गीता के सार और पूर्वजों के मोक्ष की आवश्यकता पर प्रकाश डालकर इस दिन को और भी अधिक महत्त्वपूर्ण बना दिया है। मोक्षदा एकादशी हमें यह भी सिखाती है कि कर्म के मार्ग पर चलना ही सच्चा धर्म है और अपने पूर्वजों के प्रति कर्तव्य को निभाना हर मनुष्य का पवित्र उत्तरदायित्व है। आभार – कॉमिक्स बाइट!!

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