कॉमिक्स विश्लेषण – ‘आवाज की तबाही’ – सुपर कमांडो ध्रुव (Comics Analysis – ‘Awaj Ki Tabahi’ – Super Commando Dhruva)
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ब्रजेश कुमार शर्मा (Brajesh Sharma): ब्रजेश जी महासमुंद जिले के निवासी है और इनकी आयु 31 वर्ष है। पेशे से वो पत्रकार है यानि की प्रेस रिपोर्टर और उन्हें हॉलीवुड की फ़िल्में देखना, गाने सुनना और कंप्यूटर में गेम्स खेलना प्रिय है। उन्होंने 5-6 साल की उम्र से ही कॉमिक पढ़ना शुरू कर दिया था। 2001 के आसपास से जब दुकानों पर कॉमिकसें मिलनी कम हो गई और छोटे शहरों में उपलब्ध नहीं हो पातीं थीं तो कई सालों तक कॉमिक्स से उनका साथ छूट गया लेकिन सोशल मीडिया से जुड़ने के बाद कई कॉमिक्स फैन ग्रुप्स के बारे में पता चला और कॉमिक्स प्रेम एक बार फिर जाग गया जो अब भी जारी है।
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कॉमिक्स विश्लेषण – ‘आवाज की तबाही’ – सुपर कमांडो ध्रुव (Comics Analysis – ‘Awaj Ki Tabahi’ – Super Commando Dhruva)
वैसे तो ध्रुव की बहुत सारी कॉमिक्स जबर्दस्त लगीं लेकिन ध्रुव की शायद ये कॉमिक्स ही सबसे पहली पढ़ी थी और कॉमिक्स भी इतनी जबर्दस्त थी कि दिलोदिमाग पर छा गई। इसे प्रकाशित किया था ‘राज कॉमिक्स‘ ने और इसके लेखक और चित्रकार हैं भारत के प्रसिद्ध कॉमिक बुक क्रिएटिव श्री ‘अनुपम सिन्हा‘ जी। आइए देखें, ‘आवाज की तबाही’ में दीवाना बनाने वाली कौन सी बातें थीं।
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राज कॉमिक्स
सुपर कमांडो ध्रुव
हमारा फेवरेट हीरो, जो अपनी फाइटिंग स्किल्स और दिमाग को उस लेवल पर ले गया है, जहां उसे ‘सुपर कमांडो’ के नाम से जाना जाने लगा है। बिना किसी सुपर पॉवर के भी वो किसी मायने में सुपर पॉवर वाले हीरोज से कम नहीं है। महामानव, चण्डकाल से लेकर कई शक्तिशाली सुपरपॉवर वाले सुपरविलेन्स को उसने धूल चटाई है। वो जो दिखने में एक साधारण लड़के जैसा ही दिखता है लेकिन वो उतना ही असाधारण है, जितना कि हुआ जा सकता है।
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राज कॉमिक्स
उसने अपना जीवन मानवता की रक्षा और सेवा करने के लिए समर्पित कर दिया है। निर्दोष लोगों को बचाने वो हंसते-हंसते अपनी जान खतरे में डाल देता है और ऐसे-ऐसे कारनामों को अंजाम देता है कि सांसें थम सी जातीं हैं। दिल धड़कना भूल सा जाता है।
वो है सुपर कमांडो ध्रुव!“
ध्वनिराज
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ध्रुव का एक शक्तिशाली सुपरविलेन, जिसने आवाज की शक्ति का उपयोग करके ऐसा खतरनाक हथियार हासिल कर लिया था, जिसके सामने पूरी की पूरी पुलिस फोर्स भी बेबस हो जाती थी। ध्वनिराज का भी अपना ही स्वैग था, उसकी कॉस्ट्यूम, अल्ट्रासोनिक गन, हर चीज ने दीवाना बना दिया था। ध्रुव की ‘रोग गैलरी’ का एक बेहद जबर्दस्त सुपरविलेन है ध्वनिराज।
बाद में ‘मैंने मारा ध्रुव को’, ‘कालध्वनी’ आदि कॉमिक्सों में भी ध्वनिराज का अपीयरेंस देखने को मिला है।
आपको सच बताऊं, सुपरमैन की ‘मैन ऑफ स्टील’ में जब जनरल जॉड दुनिया भर के टेलीविजन्स वगैरह का ब्रॉडकास्ट इन्टररप्ट कर पृथ्वीवासियों को धमकी देता है, वहां मुझे ‘आवाज की तबाही’ का वो सीन याद आ गया था, जब ध्वनिराज इसी तरह टीवी पर ब्रॉडकास्ट बीच में इन्टररप्ट कर राजनगर पर हमला करने की धमकी देता है।
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कर्कश
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कर्कश के तो कहने ही क्या! सारे मोंस्टर्स में कर्कश मुझे सबसे जबर्दस्त मोंस्टर्स में से एक लगा। हालांकि उसका अपियरेंस छोटा था पर वो उतने में ही छा गया था। किसी भी चीज को वो केवल छूकर ही धूल में मिला देता था। वो न कुछ कहता था, न कुछ सुनता था। वो बस एक तबाही की मशीन था। बल्कि मशीन कहना गलत होगा। वो एक ऐसा जीव था, तबाही जिसके इशारों पर नाचती थी (आखिर ऐसे ही तो ‘आवाज की तबाही’ के कवर पेज पर ध्रुव और ध्वनिराज के साथ जगह नहीं पा गया था न!)।
ध्रुव अपने दिमाग के बल पर कर्कश को रोक लेता है वरना वो राजनगर की तबाही (ऊप्स! दूसरी कॉमिक्स का नाम) का ऐसा मंजर दिखाता, जैसा राजनगरवासियों ने कभी नहीं देखा होगा।
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फास्ट पेस्ड स्टोरी
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‘आवाज की तबाही’ की स्टोरी बेहद फास्ट पेस्ड है। खासतौर पर लास्ट में जब ध्रुव अपनी बाइक पर ध्वनिराज के अड्डे की ओर रवाना हो जाता है। एक साथ घटनाएं तेजी से घटने लगती हैं। वो ध्वनिराज का मूर्ति को तोड़कर ध्रुव पर हमला करना, ध्रुव का बाइक का अगला पहिया उठाकर उससे मूर्ति के टुकड़ों को छितरा देना, अल्ट्रासोनिक किरणों के वारों से बचते हुए ध्रुव का आगे बढ़ना, ध्वनिराज द्वारा पुल तोड़ देना, फिर ध्रुव का पुल की रेलिंग पर बाइक चलाकर (ओ माई गुड गॉड!) पार हो जाना, ध्वनिराज द्वारा रास्ता तोड़ देना, फिर ध्रुव का पहाड़ी को दीवार की तरह इस्तेमाल करते हुए उस पर बाइक चलाना, खाई में गिरते समय ध्रुव द्वारा रोप वे का सहारा लेना, फिर रोप वे ट्रॉली का गिरना और ध्रुव द्वारा ट्रॉली में बैठे बच्चों की जान बचाने अपनी जान खतरे में डाल देना, सब कुछ एक तेज रफ्तार हॉलीवुड फिल्म की तरह था।
हिंदी कॉमिक्सों में इतनी फास्ट स्पीड की कहानी मैंने कई साल बाद (करीब दो दशक बाद) ध्रुव की ही एक दूसरी सीरीज ‘बालचरित’ में ही पढ़ी है। ‘बालचरित’ में इमोशनल वेटेज भी जबर्दस्त है। सच बताऊं तो मुझे ‘बालचरित’ के इतने जबर्दस्त होने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। पहले दिन रात में मैं सारे 6 पार्ट लेकर पढ़ने बैठा तो ‘हंटर्स’ और ‘फ्लैशबैक’ तो पहले दिन पढ़ लिए, फिर अगले दिन ‘नो मैन्स लैंड’, ‘फीनिक्स’, ‘डेड एंड’ और ‘एंडगेम’ पढ़ डालीं। यानी दो दिन में करीब 600 पेज पढ़ डाले।
साइंस फैक्ट
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‘आवाज की तबाही’ हमारी वैज्ञानिक सोच को जगाती है। शुरुआती कैप्शन ही हमारे दिमाग में कई वैज्ञानिक सवाल उठाता है। क्या सचमुच आवाज इतनी शक्तिशाली हो सकती है कि चीजों को नष्ट कर दे? हथियार की तरह इस्तेमाल की जा सके? ध्वनि क्या होती है? अल्ट्रासोनिक क्या होता है? ‘आवाज की तबाही’ ही नहीं, ध्रुव की अन्य कॉमिक्सों में भी हमें इस तरह की वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाले तथ्य देखने को मिलते हैं।
स्टोरी, चित्रांकन, रंग सज्जा हर मामले में ‘आवाज की तबाही’ मास्टरपीस है। पोस्ट काफी लंबी हो गई है। अब इसे विराम देता हूं, इससे पहले आपके अंदर का ध्रुव भी जाग जाए और आप भी ध्रुव की तरह मन में सोचने लगें- ‘हे भगवान! इसकी चांय-चांय से अच्छी तो ध्वनिराज की अल्ट्रासोनिक गन ही थी’।
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