बाल दिवस – छोटी छोटी मगर मोटी बातें – शक्तिमान (Children’s Day – Choti Choti Magar Moti Baten – Shaktimaan)
राष्ट्रीय बाल दिवस पर शक्तिमान का संदेश (Empowering Children with the Wisdom of Shaktimaan)
नमस्कार मित्रों, 14 नवम्बर को देश ‘बाल दिवस’ यानि की ‘चिल्ड्रेन्स डे’ के रूप में मनाता है और कॉमिक्स बाइट के सभी पाठकों और देश के सभी बच्चों को इसकी हार्दिक शुभकामनाएं। भारत का सबसे प्रसिद्ध और चर्चित सुपरहीरो का किरदार निभाने वाले अभिनेता श्री मुकेश खन्ना जी ने भी अपने शुभकामनाएं और विचार इस अवसर पर प्रशंसकों से साझा किए जिससे कॉमिक्स बाइट भी इत्तेफाक रखता है। जिस तरीके से बच्चों की शारीरिक सक्रियता आजकल दिन बा दिन कम होती जा रही है और स्मार्टफ़ोन का ‘स्क्रीन टाइम’ बढ़ता जा रहा है वो बेशक आज अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। बाल दिवस के खास मौके पर आपके अपने नायक ‘शक्तिमान‘ (Shaktimaan) ने भी अपने सकरात्मत्क संदेश के माध्यम से इसे उठाया है और सभी लोगों को ‘बाल दिवस’ पर इस प्रण दोहराना चाहिए और बच्चों की अन्य भौतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए। शक्तिमान के इस संदेश से याद आता है उनका शक्तिमान धारावाहिक का वो खंड जहाँ मुकेश जी बच्चों से सकारात्मक और नैतिक बातें किया करते थें, क्या आपको याद है शक्तिमान कि ‘छोटी छोटी मगर मोटी बातें‘!
शक्तिमान का संदेश (Shaktimaan’s Message)
१४ नवंबर चिल्ड्रेंस डे मनाया जाता है हमारे देश में। मैं कुछ समय तक चिल्ड्रेंस फ़िल्म सोसाइटी का चेयरमैन रह चुका हूँ। उस ओहदे से, मेरी अपनी तरफ़ से और ख़ास तौर पर बच्चों के सुपर हीरो शक्तिमान की तरफ़ से मैं आज की यूथ को कुछ नसीहत देना चाह रहा हूँ। जो आज के परिपेक्ष में बहुत ज़रूरी है। वो ये है कि इतना खेलों, पढ़ो कि आपके पास मोबाइल फ़ोन और सोशल मीडिया के लिए लिमिटेड टाइम रहे। जितना हो सके मोबाइल से दूर रहो। ये आपको वर्चुअल यानी काल्पनिक दुनिया की ओर ले जाता है जो वास्तविक दुनिया से कोसों दूर है और ये आपके लिए अच्छा नहीं है। शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से, इसलिए चिल्ड्रेंस डे की ढेर सारी शुभ कामनाएँ। मनाएँ यार दोस्तों, भाई बहन और परिवार के संग। ना कि मोबाइल फ़ोन और सोशल मीडिया के संग।
हम भी मुकेश जी द्वारा कही बातों से पूर्णतः सहमत है और वाकई में आज खेलों में भारत ने जो प्रगति की है वो बहुत ही शानदार है और उन्नति की ओर अग्रसर भी। जीवन में संतुलन बेहद ज़रूरी है चाहे वो पढ़ाई में हो, खेल में हो या मनोरंजन में जैसे टीवी देखने या स्मार्टफ़ोन पर सोशल मीडिया चलाने में। अगर कहीं भी इसमें कुछ घट-बढ़ गया तो जैसे ‘तराजू’ भार बढ़ने के कारण एक ओर से तिरछी हो जाती है ठीक वैसे ही जीवन भी हो सकता है। बाल दिवस के मौके पर इस सोच को अपने परिवार, मित्रों और पड़ोसियों के साथ साझा करें एवं एक अच्छे नागरिक का फ़र्ज़ निभाएं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!