जन्मदिन विशेष – गुलशन राय – डायमंड कॉमिक्स के पुरोधा! (Birthday Special – Gulshan Rai – Founder of Diamond Comics!)
कॉमिक बुक लीजेंड और भारतीय कॉमिक्स उद्योग के अग्रदूत – गुलशन राय! (Birthday Of Comic Book Legend and Pioneer of Indian Comics Industry – Gulshan Rai!)
‘डायमंड कॉमिक्स’ (Diamond Comics), यह नाम सुनते ही मन में कार्टूनिस्ट प्राण कृत ‘चाचा चौधरी’, ‘बिल्लू’, ‘पिंकी’, ‘फौलादी सिंह’, ‘राजन-इक़बाल’ और रमन जैसे ना जाने कितने पात्रों की चेहरे आपके ज़ेहन में कौंध जाते होंगे। अस्सी के दशक से थोड़े पहले शरू हुआ था डायमंड कॉमिक्स का कारवां और इसके कर्ता थे श्री गुलशन राय जी, उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर शरूवात की एक ऐसे प्रकाशन की जिससे भारत का बच्चा-बच्चा वाकिफ़ हुआ और वर्तमान में भी इनके द्वारा प्रकाशित ये पात्र बेहद प्रसिद्ध है। गुलशन जी ने उस दौर में बदलती हवा को पहचाना था, तब मनोरंजन के नाम पर काफी बाल पत्रिकाएं प्रकाशित होती थीं जैसे चंदामामा, चंपक, नंदन और लोटपोट एवं कॉमिक्स प्रकाशन के साथ नाम जुड़ा था ‘इंद्रजाल कॉमिक्स’ का!
ऐसे में कई भारतीय प्रकाशक इस नए वर्ग में अपनी जगह तलाश रहे थे लेकिन उसे अपने कर्मठ निर्णयों से आगे बढ़ाया सिर्फ गुलशन जी ने। कई बड़े कार्टूनिस्ट और चित्रकार कॉमिक्स में एक बड़ा मौका खोज रहे थें और उनके मार्गदर्शक बने स्वयं गुलशन राय जी। थोड़े सख्त मिजाज़ और अपनी शर्तों पर कार्य कराने वाले गुलशन जी के बारे में कार्टूनिस्ट नीरद जी ने क्या खूब वर्रण किया है की जब वो ‘डायमंड कॉमिक्स के ऑफिस कार्य के लिए पहुंचे तो गुलशन जी ने उन्हें बहुत अच्छे तरीके से डायमंड कॉमिक्स में चित्रकार का कार्यभार दिया और बाजार में चल रहे मेहनताने से अधिक भी’। एक अंजाने शहर में किसी बड़े भाई का होना और नीरद जी के शब्दों में गुलशन जी के प्रति उनके प्रेम, स्नेह और सदभावना को दर्शाता है। यही नहीं कार्टूनिस्ट श्री सुखवंत कलसी जी और कॉमिक बुक आर्टिस्ट श्री अनुपम सिन्हा जी ने भी अपने शुरवाती दिनों में डायमंड कॉमिक्स के लिए काफ़ी कार्य किया है। गुलशन जी ने डायमंड कॉमिक्स का साम्राज्य बनाया और इसे कई भाषाओँ में प्रकाशित करके भारत के कोने-कोने तक पहुँचाया। पिछले वर्ष ही एक लम्बी बीमारी के चलते गुलशन जी कॉमिक्स जगत और दुनिया को अलविदा कह गए लेकिन उनके द्वारा दी गई यादें एक हमारे एक पूरे पीढ़ी के मन में विधमान है। यह सब उनके दूरदृष्टि के कारण ही संभव हो पाया! आज कॉमिक्स जगत को चाहिए की ‘अमर चित्र कथा’ के संस्थापक ‘अंकल पै’ और राज कॉमिक्स के महामानव ‘राज कुमार गुप्ता’ के साथ-साथ डायमंड कॉमिक्स के अग्रदूत गुलशन राय जी को भी याद करे क्योंकि उनके योगदान के बिना भारतीय कॉमिक्स का यह इतिहास अधूरा है।
गुलशन जी को प्रकाशन में लगभग 50 वर्षों का अनुभव था और यह बात डायमंड कॉमिक्स की सफलता से साफ़ झलकती भी है। नॉएडा, उत्तर प्रदेश में स्तिथ अपने प्रकाशन से उन्होंने ना सिर्फ कॉमिक्स अपितु ग्यारह प्रादेशिक भाषाओँ में बच्चों की पत्रिकाएँ, महिलाओं की पत्रिकाएँ, पॉकेट बुक्स, धार्मिक पुस्तकें, धर्मग्रंथ, स्वयं सहायता पुस्तकें और भी बहुत कुछ प्रकाशित किया है। गुलशन जी’ अपने बचपन से ही मेधावी छात्र रहे और प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल से करने के बाद उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध डी.ए.वी स्कूल से अपनी पूर्ण शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से भैतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री भी पूरी की और बाद में पारिवारिक व्यवसाय यानि की पुस्तक के प्रकाशन से जुड़ गए। गुलशन जी को विश्व के कई मंचों पर पुरस्कारों से भी नवाजा गया जिसमे “बिजनेस इनिशिएटिव डायरेक्शन्स, मैड्रिड, स्पेन से उत्कृष्टता और बिजनेस प्रतिष्ठा के लिए अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता शिखर सम्मेलन पुरस्कार; इंटरनेशनल बायोग्राफ़िकल सेंटर, कैम्ब्रिज, इंग्लैंड से वर्ष का अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर पुरस्कार; राष्ट्रीय शिक्षा एवं मानव संसाधन विकास संगठन से भारतीय उद्योग रत्न पुरस्कार; वर्ल्ड कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ बिज़नेस ह्यूस्टन, अमेरिका की ओर से वर्ल्ड बिज़नेस लीडर अवार्ड, इसके अलावा WHO की WHO हिस्टोरिकल सोसाइटी, अमेरिका की ओर से मान्यता और अभिनंदन” भी प्रमुख रहे।
अपने कौशल और कार्यकुशलता से उन्होंने कॉमिक्स को एक ब्रांड में तब्दील किया जिसकी आज भी कई कॉमिक्स पाठक कामना करते है। च्युइंग गम, टॉनिक, कलर्स, मैगज़ीन से लेकर च्वयनप्राश तक के साथ डायमंड कॉमिक्स मुफ्त में दी जाती थी। उनके कई टाई-अप्स थे जिसे डायमंड कॉमिक्स में विज्ञापनों के रूप में भी देखा जा सकता था। दो वर्ष पहले तक इसी दिवाली के उपलक्ष्य में उन्होंने ‘दिवाली देव’ नामक कॉमिक्स को प्रकाशित किया था और चीसबर्गर कॉमिक्स की पहली कॉमिक्स ‘प्रोफेसर अश्वत्थामा’ का भी पहला संस्करण डायमंड कॉमिक्स ने ही प्रकाशित किया था। यह उनकी दूरदर्शिता ही कही जाएगी की भारत में सुपरमैन, बैटमैन, स्पाइडर-मैन और जेम्स बांड जैसे विदेशी कॉमिक बुक पात्रों के लाइसेंस वर्शन वो खुद अमेरिका से लेकर आए और उसे हिंदी एवं अन्य भाषाओँ में अनुवादित कर पाठकों तक पहुँचाया। इंद्रजाल कॉमिक्स के नब्बें के दशक में बंद होने के बाद उन्होंने फैंटम और मैनड्रैक के डाइजेस्ट भी डायमंड कॉमिक्स के बैनर से लगभग डेढ़ दशक तक प्रकाशित किए।
गुलशन जी का सपना थी की भारत कॉमिक्स के क्षेत्र में उन्नति करे, यहाँ प्रगति हो। उनका मानना था कि भारतीय कॉमिक बुक क्रिएटर हर चीज़ के बेहतरीन मिश्रण के साथ बेहतरीन दिमागों का एक बेजोड़ समूह हैं जो भारतीय सामग्री से हमारा अपना कॉमिक्स यूनिवर्स इतना शक्तिशाली बना दें कि विदेशी मीडिया के घरानों को व्यापक भारतीय संदर्भ में अप्रासंगिक बना दिया जाए। हालाँकि मार्वल स्टूडियोज जैसे निर्माताओं ने आज अपना खुद का सिनेमेटिक यूनिवर्स बना कर भारतीयों के घरों में अपनी जगह बना ली है लेकिन वह दिन दूर नहीं जब कुछ वर्षों बाद हमारे खुद के बनाए देशी पात्र लोगों के मुंह-जुबां पर होंगे। गुलशन जी को इस बात का विश्वास था और हमें भी यह लगता है की एक दिन ऐसा ज़रूर होगा। जीवन में एक कमी ज़रूर खलेगी की गुलशन जी से कभी मुलाकात ना हो सकी लेकिन उनका सानिध्य समय-समय पर संदेशों से कॉमिक्स बाइट को प्राप्त होता रहा। अब गुलशन जी के जाने के बाद ‘डायमंड कॉमिक्स’ में उनकी जगह उनके सुपुत्र श्री अंशुल वर्मा जी ने ली है और वो डायमंड कॉमिक्स को अपने प्रयासों से आगे ले जा रहे है। हमारा मानना है गुलशन जी का आशीर्वाद सदैव इस भारतीय कॉमिक्स इंडस्ट्री में बना रहेगा। उनका जन्मदिन भी नवम्बर माह में ही आता है और कॉमिक्स बाइट और समस्त कॉमिक्स जगत की ओर से उन्हें जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं। सर आप जहाँ भी रहे, आप तक हम लोगों की प्रार्थनाएं पहुचें, आभार – कॉमिक्स बाइट से मैनाक बेनर्जी!!
Chacha Chaudhary Comics In English Set of 2 Best and Rare Comics