अमर चित्र कथा – टेल्स ऑफ़ हनुमान (Amar Chitra Katha – Tales Of Hanuman)
नमस्कार दोस्तों, अमर चित्र कथा के बारे में कुछ कहना सूरज को दीया दिखाने जैसा है। बीते दशकों में हमारी तीन पीढ़ियों को वो अपने जादू से सम्मोहित कर चुके है और आज के बच्चें एवं युवा भी इसके आकर्षण से अछूते नहीं है। जहाँ पहले कला जगत के कद्दावर चित्रकार/कहानीकार उनके साथ जुड़े थे वहीँ नए दौर का लहू भी आजकल इनके नई प्रकाशित कॉमिकों में देखने को मिलता है जिसे आप हाल ही में हमारे एक पूर्व प्रकाशित लेख में पढ़ सकते हैं।
पढ़ें – वर्ल्ड आर्ट डे (अमर चित्र कथा)
आज हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर अमर चित्र कथा ने “अमर चित्र कथा – टेल्स ऑफ़ हनुमान” से एक कहानी साझा की है अंग्रेजी भाषा में; जिसे कॉमिक्स बाइट ने खास हमारे पाठकों के लिए अनुवादित किया है। इस कथा को पढ़कर आप बरबस ही “बजरंगबली” के भक्ति के आगे नतमस्तक हो जाएंगे। आज सुपर कमांडो ध्रुव के जनक श्री अनुपम सिन्हा जी ने भी हनुमान जी के भक्ति पर एक विशेष लेख लिखा हैं जिसे पढ़ने के बाद आपकी आँखों में भी अश्रु आ सकते हैं। पढ़ें – आलेख।
गायन प्रतिस्पर्धा
नारद जी को अपनी विष्णु भक्ति पर बहुत गर्व था। एक बार, वैकुंठ में गायन के दौरान, नारद जी ने विष्णु भगवान की प्रशंसा में अपने सबसे प्रभावशाली गीतों में से एक को प्रस्तुत किया। उन्हें यकीन था कि विष्णु जी उन्हें ही सर्वश्रेष्ठ घोषित करेंगे लेकिन उनके आश्चर्य की सीमा ना रही जब भगवान विष्णु ने हनुमान जी की तरफ इशारा किया जो पीछे बैठे थे और फिर विष्णु जी ने उन्हें गाने के लिए कहा।
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नारद जी चकित हुए की विष्णु जी एक वानर से गाने के लिए कह रहे थे! इसके बाद उन्होंने नारद जी से “हनुमान जी” को अपनी ‘वीणा’ भी उधार देने के लिए कहा। हनुमान जी ने अपने इष्टदेव “श्री राम” को नमन करते हुए गीत गाया और गीत के साथ वह रामभक्ति में लीन हो गए। जब गीत समाप्त हो गया, तो नारद जी गुस्से में अपनी वीणा को पुनः प्राप्त करने के लिए चले गए लेकिन आश्चर्य!! उनकी वीणा धरती पर धंस चुकी थी जिसे प्राप्त करना बड़ा ही मुश्किल प्रतीत हो रहा था। उन्होंने उसे खींच कर बाहर निकालने की भरपूर कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ।
नारद जी की कोशिश देखकर विष्णु जी मुस्कुराए और हनुमान जी को एक बार फिर से गाने के लिए कहा। हनुमान जी ने अपना गायन एक बार शुरू किया और नारद जी अब अपनी वीणा उठा सकते थे। हुआ कुछ यूँ था की हनुमान जी के गायन की भक्ति सुनकर धरा खुद पिघल गई और वीणा उसमें समा गई थी एवं सख्त हो चुकी थी। उनके दोबारा गायन के बाद वह एक बार फिर उनकी भक्ति देखकर पिघल गई और नारद जी अपनी वीणा उठा सके।
अपने अहंकार के कारण नारद जी ने हनुमान जी को कम आँका पर उनकी ‘रामभक्ति‘ देखकर उन्हें लज्जित होना पड़ा। विष्णु जी ने हनुमान जी को उन्हें क्षमा करने के लिए कहा, जिसे कोमल ह्रदय वाले “बजरंगबली” ने बड़ी ही स्वेच्छा से किया।
शिक्षा
इस कहानी से हमें काफी कुछ सीखने को मिलता है। आज अहंकार अपने शिखर पर हैं, लोग खुद को ही देवता मानने लगे हैं जबकि करने-कराने वाला आपके मस्तिष्क के उपर इस विशाल-अनंत ब्रह्मांड को चलायमान और गति प्रदान करता है। इसलिए सभी का सम्मान करें, अपने लिए एक बेहतर समाज की रचना करें, किसी को अपने से कम तो बिलकुल ना आंके क्योंकि आप भी अपने बल/धन/अहंकार से इस जीवन को प्राप्त नहीं कर सकते थे। इन्हें त्यागें और प्रेम से प्रभु के गुण गाए जैसे हनुमान जी अपने प्रभु श्री राम के लिए गाते हैं, आभार एवं हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं – कॉमिक्स बाइट!!
पोस्ट साभार: द अमर चित्र कथा स्टूडियो