सलाखें: जनप्रिय लेखक श्री परशुराम शर्मा जी की आत्मकथा (Salakhen – Parshuram Sharma – Sooraj Pocket Books)
एक दौर था जब नॉवेल और कॉमिक्स के लेखक दोनों वर्ग में बेहद शानदार कार्य कर रहें थे. हालाँकि दोनों प्रारूप एक दुसरे से बिलकुल भिन्न है लेकिन इन लेखकों की भाषा पर पकड़, कहानी कहने का तरीका और घटनाओं को को एक सूत्र में पिरो कर पाठकों तक पहुँचाने का जरिया जैसा नॉवेल्स ने किया ठीक उसी प्रकार कॉमिक्स ने भी किया. इन दोनों ही क्षेत्रों में अपने कार्य और नाम का का डंका बजवाने वाले जनप्रिय लेखक श्री ‘पशुराम शर्मा’ जी अब लेकर आएं है अब अपनी आत्मकथा जिसका नाम है – ‘सलाखें’.
सलाखें: जनप्रिय लेखक श्री परशुराम शर्मा जी की आत्मकथा (Salakhen – Parshuram Sharma – Sooraj Pocket Books)
पिछले कई दशकों से सक्रिय लेखन में अपनी उपस्तिथि दर्ज करा रहे लेखक श्री परशुराम शर्मा जी को शायद ही कोई पाठक हो जो ना जनता हो. लगभग 250+ से ज्यादा नॉवेल्स और कॉमिक्स बना चुके श्री परशुराम शर्मा आज भी साहित्य-फंतासी जगत में अपना योगदान कर रहें है. कहते है उम्र तो बस एक संख्या मात्र है और शर्मा सर इस बात का जीवंत उदहारण है. जब भारत में मनोरंजन के सीमित साधन थे उस दौर से वो बतौर लेखक अपनी छाप लाखों पाठकों पर छोड़ चुके है जो आज भी यथावत् बना हुआ है.
नॉवेल्स में ‘बाज़’, ‘आग’, ‘इंका सीरीज’, अगिया बेताल जैसे बेजोड़ क्राइम फिक्शन एवं हॉरर कहानियां लिख चुके श्री परशुराम शर्मा जी ने राज कॉमिक्स से लेकर कई अन्य बड़े प्रकाशकों के साथ जबरदस्त चित्रकथाएं भी प्रतुस्त की है जिनमें नागराज, भेड़िया, अंगारा, मिस्टर इंडिया और मेघदूत जैसे बेहतरीन कॉमिक्स नायक आपका मनोरंजन ‘कॉमिक्स’ प्रारूप में कर चुके है.
श्री परशुराम शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी है और लेखन के अलावा गायन, निर्देशन, संगीत और अभिनय में भी बड़े ही परिपक्व है. नॉवेल्स, कॉमिक्स, पत्रिकाएँ, फ़िल्मी पटकथा व कई धारावाहिकों में अपने कलम का जादू चलाने वाले अब अपने जीवन के करीब 50 वर्षों को समेटकर वो एक किताब के रूप में लेकर आ रहें है जिसका नाम है “सलाखें“. सूरज पॉकेट बुक्स और उसके इंप्रिंट ‘बुकमिस्ट‘ के सौजन्य से इस किताब का प्री आर्डर उपलब्ध है. जानकारी के लिए नीचे देखें –
- प्रकाशक – सूरज पॉकेट बुक्स
- लेखक – श्री परशुराम शर्मा
- किताब: सलाखें (मेरी आत्मकथा)
- बाइंडिंग: हार्डबाउंड
- पृष्ठ: 320
- प्री आर्डर मूल्य: 290/-
- शिपिंग: फ्री
- आर्डर लिंक: सूरज पॉकेट बुक्स – सलाखें (परशुराम शर्मा)
इस किताब का नाम सलाखें क्यूँ है? जैसा की लेखक स्वयं कहते है –
जिन पर मुझे बहुत भरोसा था वह भी मुझे तन्हा छोड़कर चले गए और मै उन्हे दिल की गलियों मे ढूंढता रहा सलाखों के पीछे, ऐसी कई दास्ताने हैं मेरी आत्मकथा की सलाखों में”
आप चाहें एक नॉवेल प्रेमी हैं, पुस्तक प्रेमी या कॉमिक्स के पाठक. यह किताब आपके संग्रह में जरुर होनी चाहिए. मुझे भरोसा है की कई लेखकों और रचनाकारों को यह आत्मकथा जरुर प्रेरित करेगी और खासकर श्री परशुराम शर्मा के कलम के प्रसंशकों के पास तो यह हार्डकवर जरुर होना चाहिए, आभार – कॉमिक्स बाइट!!