राज कॉमिक्स (Raj Comics) – अनदेखा पहलू
आज बड़े दिन बाद श्री संजय गुप्ता जी [राज कॉमिक्स (Raj Comics) के स्टूडियो हेड] ने अपने फेसबुक की टाइमलाइन पर राज कॉमिक्स द्वारा आगामी आने वाली कॉमिक्स – कुत्तापंती का एक संवाद सभी मित्रों के साथ साझा किया. पहले वो संवाद पढ़ लेते है फिर बाकी की बात करते है.
कुत्तापंती (डोगा सीरीज) [D O G A]
अगर आप देखें तो संवाद चुटीला है मतलब जरुरी नहीं की इसे डोगा ने कहा हो या डोगा का कोई विलेन इसे तंज के रूप में इस्तेमाल कर रहा हो या इसका ये भी तात्पर्य हो सकता है की संजय जी किसी से कुछ सांकेतिक रूप से कहना चाहते है, पर सवाल है कौन? या ये मात्र कुत्तापंती का एक व्यंगात्मक संवाद मात्र है. मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि उसके बाद संजय जी ने एक फेसबुक मित्र से ये कहा –
इसे पढ़कर मुझे यही प्रतीत हुआ की संजय जी के मन में कुछ तो जरुर चल रहा है पर सवाल है क्या? उनकी बात भी सही प्रतीत होती है क्योंकि हमने अपने एक पुराने विज्ञापन वाले लेख में ये बात हमारे पाठकों को बताई थी की पहले राज कॉमिक्स के विज्ञापनों में तिथि घोषित की जाती थी पर अब ऐसा देखने को नहीं मिलता. बाकी एक बात और यहाँ गौर करने लायक है की जो फैन्स ये सोचते है की राज कॉमिक्स या संजय जी उनकी बात नहीं सुनते वो संजय जी द्वारा लिखी आखिरी पंक्ति जरुर पढ़े, कई बार पाठक या फैन आवेश में बह जाते है और बहोत कुछ कह भी जाते है, उन सभी से मेरी यही गुज़ारिश है की एक बार संजय जी के मनोभाव को भी समझे.
ज्यादा जानने के लिए पढ़े – कॉमिक्स के विज्ञापन
सवाल क्यों, कैसे, किसलिए, कारण?
खैर बात यहीं खत्म नहीं होती क्योंकि उसके बाद संजय जी ने तत्काल एक और संदेश अपने Facebook टाइमलाइन पर लिखा जिस पर टिपण्णी और रिएक्शन की बौछार हो गई. नीचे देखें –
जैसा की आप पढ़ सकते है, जो व्यथा कॉमिक्स प्रेमियों के मन में है कुछ वैसी ही व्यथा संजय जी के शब्दों में भी छुपी हुई है. आप खुद सोचिये जो व्यक्ति ये कहता है – “मैं कॉमिक्स हूँ“, मेरी नज़र में तो उनसे बड़ा कॉमिक्स फैन शायद ही भारत में कोई होगा. झल्लाहट, कटु शब्द और व्यर्थ की निंदा से मात्र लोगो का मन द्रवित होता है, अब सवाल कई है और ज़ाहिर है इसकी वजह भी होगी! पर 4 दशकों से कॉमिक्स प्रेमियों के दिलों पर राज कर रही राज कॉमिक्स (Raj Comics) आखिर क्यूँ आज दिक्कतों का सामना कर रही है इसका जवाब सभी पाठक चाहते है.
इसके पीछे क्या राज है? ऐसे कौन से खुलासे होंगे इससे मुझे या अन्य कॉमिक्स प्रेमियों को फर्क नहीं पड़ता! क्यों? इसका जवाब ये है की अगर आप मनुष्य योनि में जन्में है एवं आपमें संवेदनायें है तो आप संजय जी के शब्दों के मनोभाव को बखूबी समझ सकते है. आज अगर ‘कॉमिक्स बाइट‘ या अन्य कॉमिक्स प्रकाशन भी कार्यरत है तो उनके प्रेरणास्त्रोत भी श्रीमान संजय गुप्ता जी और राज कॉमिक्स (Raj Comics) जैसे ही अन्य प्रकाशन है.
एक बात और गौर करने लायक है की संजय जी ने कॉमिक्स पाठकों को अमूल्य कहा है, आप जरा उनकी सोच देखियें. कितना स्नेह और प्रेम करते है वो पाठकों एवं कॉमिक्स प्रेमियों से! यह उनके व्यक्तव से साफ़ साफ़ झलकता है.
कॉमिक्स बाइट –
मुझे जवाब नहीं चाहियें, मुझे कॉमिक्स चाहियें! और अन्य कॉमिक्स प्रसंशकों को भी कॉमिक्स ही चाहियें! मैं संजय जी से गुज़ारिश करूँगा की जो भी मुद्दे है उन पर उनकी विजयश्री हो और वो कभी चिंतित या व्यथित ना रहें. भारत के इतने बड़े कॉमिक्स प्रकाशक होने के नाते और हमारे प्रेरणा पुंज ‘संजय जी’ हमेशा अपने कार्यों में सफल हों एवं प्रसन्नचित रहें यही कामना है. उम्मीद पर दुनिया कायम है और कॉमिक्स पाठकों का भरोसा भी. ये अटल प्रेम हमेशा बना रहेगा और आने वाले पीढ़ियों में भी विस्तारित होगा.
अंत में किसी को कोई बात अगर बुरी लगी तो कॉमिक्स बाइट उसके लिए क्षमाप्रार्थी है पर कॉमिक्स प्रेमी और पाठक होने के नाते हम सबके प्रिय संजय सर का साथ बनाएं रखे, राज कॉमिक्स में विश्वास रखें. जुनून जिंदा था, जुनून जिंदा है और जुनून जिंदा रहेगा, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
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