परम्परा कॉमिक्स (Parampara Comics)
“परम्परा, प्रतिष्ठा और अनुशासन” ये एक समय बहोत ही प्रचलित और प्रसिद्द ‘संवाद’ था हिंदी सिनेमा का, वर्ष 1993 में ‘परम्परा’ नामक फिल्म भी आई थी और उसी दौर में जीवित थी एक कॉमिक्स पब्लिकेशन जिसका नाम था ‘परम्परा कॉमिक्स‘ (Parampara Comics), जैसा की वो दावा भी करते थे – “रहस्य, रोमांच व मनोरंजन से भरपूर – परम्परा कॉमिक्स”.
परम्परा कॉमिक्स नब्बे के शुरुवाती दौर की पब्लिकेशन थी और अन्य कॉमिक्स प्रकाशकों की तरह इनका ‘हेड ऑफिस’ भी दिल्ली में ही स्थित था. ‘परम्परा पब्लिकेशन’ और ‘परम्परा ऑफसेट प्रिंटर्स प्राइवेट लिमिटेड’ के अंतर्गत इसके कॉमिक्स छपा करते थे. परम्परा कॉमिक्स की खास बात थी इसके कवर्स, इसे आर्टिस्ट श्री ‘लाल कृष्ण वर्मा’ बनाया करते थे, ये देखने में बेहद ही आकर्षक होते थे, साथ ही ‘भेड़िया’ के जनक/आर्टिस्ट श्री ‘धीरज वर्मा’ जी भी परम्परा कॉमिक्स बतौर आर्टिस्ट जुड़े रहे. ‘परम्परा कॉमिक्स’ में चित्रांकन के नाम पर हमें ‘परम्परा स्टूडियो’, ‘आकृति फीचर्स’, ‘श्री विनोद भाटिया’, ‘श्री विकास पंकज’ एवं जूनियर जेम्सबांड के जन्मदाता ‘श्री सुखवंत कलसी’ जी का भी नाम दिखता है. लेखक के रूप में श्री ‘कलीम आनन्द’, ‘श्री टिकाराम सिप्पी’, ‘श्री मनोज पंडित’, ‘डॉ. महेंद्र मित्तल’, ‘भरत’ जी और ‘श्रीमती मीनाक्षी शर्मा’ जी प्रमुख रही. परम्परा कॉमिक्स में संपादक के रूप में पदस्थ थे ‘श्री अजय पलाहा’ जी.
‘परम्परा कॉमिक्स’ ने विभिन्न श्रेणियों में कॉमिक्स प्रकाशित की थी जैसे – ‘राजा रानी’, ‘रहस्मयी कथाएं’, ‘सुपरहीरो’, ‘हॉरर’, ‘एक्शन-एडवेंचर’ और ‘वॉर’. बच्चों को ध्यान में रखते हुए भी कुछ कॉमिक्स प्रकाशित की गई थी जिसका मुख्य किरदार था – ‘जिम्मी’. परम्परा कॉमिक्स का पहला अंक ‘खतरों का खिलाड़ी – देवगण’ थी. इसकी कॉमिक्स संख्या #101 और मूल्य 7 रूपए था. परंपरा कॉमिक्स मुख्यतः दो प्रारूपों में उपलब्ध थी –
- मध्यम कॉमिक्स के आकार में (नार्मल साइज़)
- महा कॉमिक्स के आकार में (बिग साइज़)
इसका मूल्य भी क्रमश: 7/- रूपए, 12/- रूपए और 16/- रूपए था.
परम्परा कॉमिक्स के मुख्य पात्र –
- देवगण
- शक्तिमान
- जूनियर जेम्स बांड
- कीमती लाल
- फौज़ी काका
- जिम्मी
- गोरिल्ला
- हिंदीलाल अंग्रेजीलाल
इसके अलावा भी भक्ति और पौराणिक वर्ग में ‘माता वैष्णो देवी की अमर गाथा’ और बेहद ही अनोखे क्रमांक ‘PC01’ से भी कुछ कॉमिक्स प्रकाशित की गई. राज कॉमिक्स के तरह ही परम्परा कॉमिक्स में भी डाइजेस्ट का क्रमांक अलग था ‘दुनिया खतरे में’ नामक कॉमिक्स की संख्या #1 थी और इसका मूल्य 16/- रूपए था एवं पृष्ठ संख्या 68 थी.
परम्परा कॉमिक्स की एक खास बात ये भी थी की अपने कुछ आरंभित अंकों में इन्होंने अपने कुछ किरदारों की एक पृष्ठ की चित्रकथा विज्ञापन के रूप में भी दिये, जिससे पाठक कॉमिक्स खरीदने से पहले ही इन किरदारों से रूबरू हों सके और इन्हें अच्छे से जान लें.
अपने नाम के अनुरूप ही एक कॉमिक्स ‘संस्कार’ भी इन्होंने प्रकाशित किया था, भारतीय कॉमिक्स जगत के स्वर्णिम युग में ‘परम्परा कॉमिक्स’ का भी अतुलनीय योगदान है. बाद में कमज़ोर कहानियों, बेदम आर्टवर्क और दुसरे प्रकाशनों की कड़ी पर्तिस्पर्धा में ‘परम्परा’ टिक ना सकी और कुछ सालों में ही बंद हो गई, इसी तरह एक ‘परम्परा’ का अंत हुआ. फिर मिलेंगे किसी अन्य प्रकाशन के साथ, आभार – कॉमिक्स बाइट!
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