मातृत्व दिवस की शुभकामनाएं (Mother’s Day)
‘माँ’ के नाम पर वैसे ग्रंथ लिखे गए है, कई लेख भी है, माँ एक परिवार की धुरी होती है. अगर पिता दिमाग है तो माँ हृदय, माँ जननी है और आज हम सब माँ के कारण ही इस संसार को देख पा रहे है. एक शिशु को 9 माह गर्भ में रखकर उसे जीवन देने वाली और जब तक वो शारीरिक रूप से असमर्थ ना हो जाये तब तक परिवार का लालन पालन करने वाली माँ के लिए कोई एक दिन कैसे हो सकता है? भगवान को किसी ने नहीं देखा, सरासर झूठ! अपनी माँ को देखिये वो पृथ्वी पर साक्षात भगवान का स्वरुप वही है. बिना किसी आस के, चाह के अपना सबकुछ न्योछावर कर दें वो बस माँ ही हो सकती है, पिता भी उतना ही जरुरी है जितनी माँ, इनका कोई दिन, हफ्ता, साल नहीं होता. इनकी जिम्मेदारियाँ कभी समाप्त नहीं होती भले ही ये खुद उन्हें निभाते है हुए चलें जाये, बच्चों और परिवार का सार इन्हीं से है, सभी पाठक अगर ये आलेख पढ़ रहे है तो उनसे मेरी एक दरख्वास्त है की कभी अपने माता पिता को कुछ गलत न कहें, हाँ कई बार हम गुस्सा हो जाते है की “मेरा जीवन मेरे विचार” पर एक बात हमेशा ध्यान रखें, वक़्त पड़ने पर आपके सिरहाने आप इन्हें ही पाएंगे. कुछ लोगों के पास माता नहीं है, किसी के पास पिता, कोई दोनों से महरूम है, ये लिखना ही मेरे लिए कष्टदायक है, उनका सोचिये जिनकी ये आप बीती है! माता-पिता से ब्रह्माण्ड है पर माँ पिता से भी महान है, इसलिए इनकी कद्र जरुरी है.
इस बात पर एक ‘श्री गणेश’ का एक रोचक प्रसंग भी है जब शंकर भगवान और पार्वती माता ने अपने दोनों पुत्र भगवान कार्तिकेय और श्री गणेश जी को पृथ्वी की 7 बार परिक्रमा करने को कहा ताकि ये पता चल सके की दोनों में से श्रेष्ठ कौन है? तब भगवान ‘कार्तिकेय’ अपने वाहन ‘मयूर’ में बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए और दूसरी ओर ‘गणेश जी’ अपने वाहन ‘चूहे’ पर बैठ कर शंकर जी और माता पार्वती की 7 बार परिक्रमा कर ली, शंकर जी ने जब गणेश जी से इसका तात्पर्य पूछा तब गणेश जी ने बताया की माता-पिता की परिक्रमा स्वयं पृथ्वी की परिक्रमा करने के समान है, शंकर जी और माता पार्वती ये सुनकर अत्यंत प्रसन्न हुए और गणेश जी का नामकरण ‘बुद्धिदाता’ के नाम से किया, उन्होंने ये भी कहा की आप सबके दुःख हरेंगे और आपको पूजने से लोगों को सुख की प्राप्ति होगी, जगत में ऐसी ही कथा से कल्याण हो सकता है, अगर ये बात पूरा विश्व समझे तो शायद ‘ओल्ड ऐज होम’ या ‘वृद्धाआश्रम’ की जरुरत किसी माता पिता को ना पड़े!
झुका हूँ जिंदगी,
– मैनाक (हैशटैग_ओरिजिनल)
पर तेरे बाेझ से नहीं,
ये अदब है मेरी माँ का,
जिसने बड़ों के आगे झुकना सिखाया”.
इस देश को भी “भारतमाता” कहा जाता है, देवियों को भी माँ का दर्जा दिया जाता है. आप देखेंगे स्त्री, प्रक्रति, सृष्टि सब ‘स्त्रीलिंग’ के प्रकार है क्यों? क्योंकि ये जननी है इस संसार के जिसमे आप, मैं और हम सब रहते है इसलिए इसकी सुरक्षा जिम्मा भी हमारे उपर ही आता है, हिन्दू धर्म में तो गाय को भी माता का दर्जा मिला है क्योंकि वो हमें अपना दूध पिलाती है, उसके दान से ही आपको विभिन्न ‘डेयरी प्रोडक्ट्स’ खाने को मिलते है, चाहे लस्सी हो या छाछ, शेक हो या आपकी पसंदीदा ‘आइस-क्रीम’, अगली बार जब आप इन्हें चखे तब गौ माता का धन्यवाद जरुर करें!
आप सोच रहें होंगे कॉमिक्स की जानकारी कहाँ है, जी है बिलकुल है लेकिन पहले उपर जो लिखा उसे समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि सुपर हीरो होना कोई खासियत नहीं है ना ही सुपर पावर्स, सुपर हीरो एक विचार है, सही और गलत को समझने की बुद्धि है, विवेक से लिया गया कोई फैसला है, जब आप अपने माता पिता को अपशब्द कहें, उनसे ऊँची आवाज में बात करें तो ध्यान रखे सुपर हीरो बिलकुल भी ना ऐसा करते है और ना करने की समझाइश देते है. अगर आपको याद हो “बैटमैन वर्सेस सुपरमैन : द्वान ऑफ जस्टिस” नामक मूवी में ‘मार्था’ जो की उन दोनों (बैटमैन/सुपरमैन) की माता का नाम भी है के उपर अपना झगड़ा ख़तम कर देते है, देखना बड़ा ही अच्छा था (कुछ लोगों ने उसे दकियानूसी भी कहा लेकिन मेरे विचार से वो ही फिल्म का टर्निंग पॉइंट था), सुपरमैन और बैटमैन दोनों के ही माता पिता नहीं है लेकिन सुपरमैन का भाग्य अच्छा रहा की उसे पृथ्वी पर ‘जोनाथन और मार्था केंट’ जैसे माता पिता का सानिध्य मिला. ‘फ़्लैशपॉइंट’ नामक ग्राफ़िक नावेल या कॉमिक्स में तो ‘बैरी एलन’ अपनी माता को बचाने के लिए समयधारा तक तोड़ देता है और उसके बाद की आश्चर्यजनक घटनाओं के कारण पूरा विश्व का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है!
राज कॉमिक्स के किरदार ‘नागराज’ और ‘ध्रुव’ के भी माता पिता नहीं नहीं है, लेकिन विध्वंस नामक कॉमिक्स में परमाणु के एक विलेन ‘इतिहास’ के कारण उससे अपने माता पिता ‘ललिता देवी और तक्षकराज’ से मिलने का सौभाग्य प्राप्त होता है वहीँ दूसरी ओर ध्रुव अपने माता पिता ‘राधा और श्याम’ को सर्कस के भयानक षड़यंत्र में खो देता है बाद में राजनगर के कमिश्नर ‘राजन मेहरा’ और उनकी पत्नी ‘रजनी’ उसे गोद ले लेते है. ‘एंथोनी गोंसाल्विस’ यानि जिंदा-मुर्दा अपने प्रिय बेटी और पत्नी का मरने के बाद भी हमसाया बना रहता है, एंथोनी की बेटी ‘मरिया’ और पत्नी ‘जूली’ के किरदार कई मार्मिक कहानियों में आपको दुखी कर देते है. विकासनगर का ‘भोकाल’ या परीलोक का युवराज ‘आलोप’, अपनी माता महारानी ‘ओसिका’ को बचाने के लिए ‘फूचांग’ के खतरनाक से खतरनाक तलिस्म को भी तोड़ देता है. यहाँ पर आप ‘भेड़िया’ को भी नहीं भूल सकते क्योंकि जिस माता पिता के लिए वो जीवन भर तड़पा, उस पिता के साथ उसे मात्र क्षण भर का मिला, वहीँ माता के श्राप के कारण ही वो ‘सोने की मूर्ती’ के रूप में तब्दील हो गया. ऐसे और भी अन्य किरदार है और अगर उपरोक्त कथानक आपको पढना है या उनके बारें में ज्यदा जानने की इच्छा है तो नीचे इनके नाम दिए गए है –
- नागराज – खजाना सीरीज और विध्वंस *
- सुपर कमांडो ध्रुव – प्रतिशोध की ज्वाला *
- एंथोनी – क्रो सीरीज, मेरे पापा, एंथोनी चला बाय सीरीज *
- भोकाल – खौफ़नाक खेल सीरीज, परी रक्षक भोकाल सीरीज *
- भेड़िया – भेड़िया और वुल्फा *
अंत में सभी पाठकों को मातृत्व दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं (Happy Mother’s Day), माँ का ध्यान रखें, क्योंकि ‘हीरा’ आपको एक बार ज्वेलेर्स की दुकानों पर मिल भी जाये पर माँ ‘अनमोल’ है, आभार – कॉमिक्स बाइट!
पेश है चाचा चौधरी का मातृत्व दिवस के उपलक्ष्य में एक शानदार विडियो
Pingback: कॉमिक्स बाइट: न्यूज़ (NEWS) - Comics Byte