मनोज कॉमिक्स विशेषांक: आंख से टपका खून (Manoj Comics Visheshank: Ankh Se Tapka Khoon)
90 के दशक की हॉरर-थ्रिलर “आंख से टपका खून” – एक खौफनाक विशेषांक, जहां तंत्र-मंत्र और अलौकिक शक्तियों का होता है आमना-सामना! (90s horror-thriller “Ankh Se Tapka Khoon” – A terrifying special issue where occultism and supernatural powers come face to face!)
आंख से टपका खून: तंत्र-मंत्र, खून और आत्माओं की सिहरनभरी टक्कर
🔮 लेखक: नाजरा ख़ान | चित्रांकन: विजय कदम व आत्माराम पुंड | स्टूडियो: कदम स्टूडियोज
🧿 प्रकाशन वर्ष: नब्बें का दशक | श्रेणी: विशेषांक | शैली: भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना | मूल्य:16/- (संख्या 8)
नब्बें के दशक में जब रामसे ब्रदर्स का खौफनाक सिनेमाई जादू चल रहा था, तब कॉमिक्स की दुनिया भी इससे अछूती नहीं रही। “आंख से टपका खून ” – मनोज कॉमिक्स का वह विशेषांक है जो डर, तंत्र-मंत्र और फैंटेसी की तिकड़ी लेकर आया था। इस विशेषांक ने अपने वक्त में एक खास तरह की सनसनी फैलाई थी, कॉमिक्स के साथ में एक फ्री मैग्नेट स्टिकर भी था, जो पाठकों के लिए बोनस आकर्षण था। यह विशेष शैली सिर्फ मनोज कॉमिक्स ने खास हॉरर पसंद करने वाले पाठकों के लिए विकसित की थी जिसका लाइब्रेरीज़ में अपना बोलबाला था। गजब का दौर, नब्बें का शोर!

📖 कहानी की शुरुआत: आतंक, मौत और अलौकिक दखल
कहानी की शुरुआत होती है एक आतंकवादी हमले से। एक प्लेन हाईजैक होता है, उसमें बम लगा होता है, और फिर जो होता है, वह किसी हॉरर थ्रिलर से कम नहीं। आतंकवादी सरगना का चेहरा बिगड़ने लगता है, वह खुद अपने साथियों को मार देता है और फिर पायलट को विमान को सेफली लैंड कराने को कहकर खुद भी नष्ट हो जाता है। ऐसा ही मंजर एक बैंक लूट के दौरन होता है जब लूटेरे पैसे को हाँथ लागते ही एसिड में गिरने जैसे लोहा गल जाता ठीक वैसे ही गलने लगते है। एक और घटना में ट्रेन एक्सीडेंट रोकने वाले दृश्य में भी देखने को मिलता है कहाँ बदमाशों का इरादा पुल उड़ाकर ट्रेन का एक्सीडेंट करवाना था लेकिन कोई अदृश्य ताकत पहले ट्रेन को रोकती है और फिर अपराधियों को मार देती है। धीरे-धीरे पता चलता है कि इन घटनाओं के पीछे कोई अलौकिक ताकत है, जो पूर्व सी.बी.आई अफसरों की आत्माएं हैं जिन्हें जे.के. नामक व्यक्ति और उसका तांत्रिक साथी भैरवा मिलकर मरवा चुके हैं एवं अब उनका एक ही मिशन है है कि इनके नापाक इरादें और अड्डों को दुनिया से मिटा दिया जाए। पर आखिर क्या कारण था जिसके लिए एक औरत के आंख से आंसू की जगह टपका खून!

🎭 दूसरा भाग: शेफाली और उसकी आंखों से टपका खून
यहां कहानी में एंट्री होती है शेफाली की – एक शक्तिशाली जादूगरनी, जो भारत लौटी है तीन महीने बाद अपने बेटे के साथ और वह दिखाने वाली है दर्शकों को अपने जादू का कौशल। एक शानदार जादू शो के दौरान वह एक बम हमले को टाल देती है। लेकिन जैसे ही वह घर लौटती है, उसका अपने पति की आत्मा से मानसिक संपर्क होता है जो बता रहा होता है कि उसकी और उसके दो और मित्रों की हत्या हो चुकी है एवं उनकी आत्माओं को तीन कलश में कैद करके दुर्गम स्थानों पर छिपाई गई हैं।

उसका बेटा सन्नी अपहरण का शिकार हो जाता है और शेफाली को जे.के. कोई भी गलत हरकत ना करने की सलाह देता है। लेकिन सन्नी भी जांबाज़ सी.बी.आई अफसर का बेटा था और साथ ही एक कुशल जादूगरनी का शिष्य भी, अपने दिमागी तिकड़म लगा कर वो बदमाशों के चुंगल से भाग निकलता है जिसे एक सुरक्षाप्रहरी देख लेता है, आनन-फानन में वह सन्नी को गोली का शिकार बना लेता है जिसे शेफाली तुरंत अपनी अद्रश्य ताकतों से जान लेती है। शेफाली की आंखों से खून टपकता है, न कि आंसू। यही इस विशेषांक का नाम भी है और प्रतीक भी। यहां से कहानी हॉरर से तांत्रिक युद्ध में बदल जाती है। अब उसका एक ही लक्ष्य है अपने पति, उनके दोस्त और जिगर के लाल के हत्त्यारों को नरक में पहुंचना। पर क्या जे.के. जैसे पापी और भैरवा जैसे पहुंचे हुए तांत्रिक को मार पाना इतना आसान है!

⚔️ अंतिम टक्कर: पुण्य आत्माएं बनाम पापी ताकतें
आखिरी भाग में आत्माएं, तांत्रिक शक्तियां और इंसानी चालें आपस में टकराती हैं। भैरव और शेफाली के बीच एक तांत्रिक संग्राम होता है, और आखिरकार यह राज भी खुलता है कि जे.के. असल में एक बड़ा राजनीतिक चेहरा है, जो आतंक और सत्ता दोनों का खेल खेल रहा था।

कुछ युद्ध शेफाली के पक्ष में जाते है तो कुछ पुण्य आत्माएं भैरवा के कुटिल हमलों में क्षीण हो जाती है, शेफाली अपने बुद्धि, तंत्र-मंत्र के कौशल और शक्तियों की मदद से अशोक (उसके पति) एवं दो अन्य दोस्तों को मुक्त करवाने में सफल होती है। अब होगी आर-पार की लड़ाई, भूत-प्रेत, जादू-टोने, तंत्र-मंत्र की जोरदार टक्कर। किसकी होगी विजय, क्या शेफाली और उसके पुण्यआत्माओं का मिशन सफ़ल हो पाया? रहस्य और रोमांच से भरपूर कॉमिक्स ‘आंख से टपका खून’ को पढ़कर आप जान पाएंगे।
🎨 कहानी और आर्टवर्क की बात:
विजय कदम और आत्माराम पुंड का चित्रण शानदार है। कदम स्टूडियोज की क्लासिक टच वाली पैनलिंग, एक्सप्रेशन और इफेक्ट्स आज भी याद रह जाते हैं। डर का माहौल और आत्माओं की उपस्थिति को जिस तरह आर्ट से जाहिर किया गया है वह पुराने कॉमिक्स के प्रशंसकों को जरूर पसंद आएगा। आवरण बेहद आकर्षक बना है, जादू-टोने वाला लोगो बड़ा ही शानदार है, सेंट्रल करैक्टर शेफाली को रोते और साथ आंख से खून भी टपकते दिखाया गया है, साथ ही सन्नी को भागते हुए एवं कुछ परालौकिक प्राणी भी दिखाई देते है।

पर कहानी यहां थोड़ी डगमगाती है। कई सवालों के जवाब नहीं मिलते जैसे कि पुण्य आत्माएं पहले क्यों नहीं आईं, शेफाली क्यूँ उनका इंतजार कर रही थीं? कुछ लूपहोल्स है जिनमें लॉजिक बिलकुल भी नहीं है और क्लाइमैक्स थोड़ा जल्दबाजी में निपटाया गया लगता है। इसे और बेहतर लिखा जा सकता था पर फिर भी एक बार पढ़ी जा सकती है। कहानी अपनी हाइप के साथ न्याय नहीं कर पायी कयोंकि नब्बें के दशक में इस कॉमिक्स के विज्ञापन ने पाठकों के मध्य काफी उत्सुकता जगाई थीं।
📝 कॉमिक्स बाइट की राय:
✍️ यह एक एवरेज लेकिन संग्रहणीय विशेषांक है। आर्टवर्क बेहतरीन है, पर कहानी थोड़ी अधूरी और पुराने फार्मूलों वाली लगती है। हॉरर-फैंटेसी और तांत्रिक टक्कर के शौकीनों के लिए यह एक बार पढ़ने लायक ज़रूर है।” – कॉमिक्स बाइट!!
Pack Of 4 Books | Set 6 Of Hawaldar Bahadur Comics | Manoj Comics
