फौलादी सिंह और हाड़कू – डायमंड कॉमिक्स – कॉमिक्स बाइट समीक्षा (Fauladi Singh aur Hadku – Diamond Comics – Comics Byte Review)

सत्तर और अस्सी के दशक में जब भारतीय कॉमिक्स में ज्यादातर जादू, रहस्य या हास्य हावी था, तब डायमंड कॉमिक्स ने भारतीय पाठकों को मिलवाया फौलादी सिंह से (Fauladi Singh) से – एक ऐसा नायक जो अंतरिक्ष की गहराइयों में जाकर मानवता की रक्षा करता था। उसका साथ निभाते थे “डॉक्टर जॉन और लम्बू”। फौलादी सिंह की कहानियाँ समय से आगे थीं – विज्ञान, तकनीक, एलियन ग्रहों, रोबोट्स, न्यूक्लियर ऊर्जा जैसे विषय 80’s-90’s में पेश करना अपने आप में क्रांति थी। डायमंड कॉमिक्स ने इसका कई वर्षों या कहें दशकों तक सफलतापूर्वक निर्वाह किया और फौलाद अपने मित्रों के साथ आज भी अंतरिक्ष में कहीं पृथ्वी और सबकी सुरक्षा में तत्पर होगा।
फौलादी सिंह और हाड़कू – डायमंड कॉमिक्स और साइंस फिक्शन की बेजोड़ उड़ान। (Faulaadi Singh and Hadku – Diamond Comics And The Unmatched Flight Of Science Fiction)
मुख्य पात्र:
- फौलादी सिंह (Fauladi Singh) – मानवता का रक्षक, साइंस और स्पेस मिशनों का महायोद्धा
- डॉक्टर जॉन (Doctor John) – वैज्ञानिक, मार्गदर्शक
- लम्बू (Lambu) – छोटा कद, बड़ा काम – हास्य और बहादुरी का अनोखा मिश्रण
- विध्वंसक (Vidvanshak) – लेटेस्ट रोबोट सहयोगी
- हाड़कू (Hadku) – एक चालाक और शक्तिशाली खलनायक
- अर्राट (Arrat) – नोबेल ग्रह का सम्राट, रोबोट्स की सेना और अत्याधुनिक अस्त्रों का मालिक

कहानी (Story)
फौलादी सिंह और हाड़कू – यह डायमंड कॉमिक्स के अंतर्गत नब्बें के दशक में प्रकाशित हुई थी। अंतरिक्ष विज्ञान कथा में फौलादी सिंह का एक मिशन जिसमें अंतरिक्ष यात्रा और टीम समन्वय को बहुत अच्छे से दिखाया गया है। साथ ही रोबोट और परमाणु हथियारों पर भी प्रकाश डाला गया है जो आज के दौर में और प्रासंगिक दिखते है। फौलादी सिंह और हाड़कू अपने समय से वाकाई में अपने समय से आगे की कहानी थी।

फौलादी सिंह और उसके साथ लंबू की डॉक्टर जॉन जॉन अपनी लैब में बुलाते हैं। जहां वो अपने एक नए रोबोट ‘विध्वंसक’ का परीक्षण कर रहे हैं। टेस्ट सफल होता है और फौलादी सिंह और लंबू को प्राप्त होता है एक नया मित्र। डॉक्टर जॉन को अपने शागिर्द रोबोट नंबर 9 से सूचना मिलती है कि ‘सिमेरिया ग्रह’ पर एक “माइक्रो पारद” यानि कि परमाणु ऊर्जा भुगतान करने वाला विशेष यंत्र है जो वहां के सभी इलेक्ट्रॉनिक्स, गैजेट्स, विमान और हथियार को ऊर्जा प्रदान करता है। उसे पाने के लिए दो खतरनाक खलनायक हाड़कू और नोबेल ग्रह का सम्राट ‘अर्राट’ सिमेरिया ग्रह पर हमला कर देते हैं।

डॉक्टर जॉन फौलाद को बताते हैं कि अगर ये दोनों माइक्रो पारद को कब्ज़ाने में सफल हो गए तो इनका अगला निशाना पृथ्वी होगा। फौलादी सिंह पहले भी इन्हें सीधी टक्कर में मात दे चुका है पर पारद के साथ उनकी ताकत बहुत बढ़ जाएगी। डॉक्टर जॉन की आज्ञा पर फौलादी सिंह, लंबू और विध्वंसक सिमेरिया ग्रह की ओर निकल पड़ते हैं। सिमेरिया पर ख़तरनाक युद्ध चल रहा है जिसमें सिमेरिया सेना और हाड़कू/अर्राट सेना की भयानक टक्कर हो रही है। क्या पारद हाड़कू और अर्राट को मिल सका? क्या फौलादी सिंह और उसके साथी इस युद्ध को रोक पाये? माइक्रो पारद का क्या हुआ, और क्या इस बार सफल हो जायेंगे ये महाखलनायक? पढ़े फौलादी सिंह और हाड़कू में! डायमंड कॉमिक्स की फौलादी सिंह सीरीज़ में एक शानदार कॉमिक्स।
टीम (Team)
फौलादी सिंह और हांड़कू के लेखक हैं गंगा प्रसाद शर्मा जी, चित्रकार की हैं राज कुमार शर्मा जी ने और संपादक थे गुलशन राय जी। कॉमिक्स का कवर बड़ा शानदार है जहां फौलादी सिंह उड़ते हुए एक्शन पोज में नजर आ रहा है। साथ ही आवरण में दोनों विलेन भी दिखाई पड़ रहे हैं, हाड़कू और अर्राट की डरावनी उपस्थिति कहानी की गंभीरता को बढ़ाती है। कॉमिक्स के साथ फौलादी सिंह का जंबो स्टिकर भी मुफ्त दिया गया था। इस कॉमिक्स की संख्या है D-707 और इसका मूल्य था 8/- रुपये। कॉमिक्स में डायमंड कॉमिक्स के अन्य कॉमिक्स की जानकारी भी दी गई है साथ ही कुछ नॉस्टेल्जिया से भरे स्टेटमेंट में पढ़ने को मिलते हैं जैसे –
“जंगल के बादशाह ‘बैताल’ का नया कारनामा, अगले महीने पढ़िए फैंटम 24. साथ में फैंटम का रंगीन स्टिकर मुफ्त”।

निष्कर्ष (Conclusion)
फौलादी सिंह और हाड़कू सिर्फ एक कॉमिक्स नहीं, बल्कि नब्बें के दशक में भविष्य की एक झलक भी थी। आज की दुनिया में जहां रोबोट्स और कंप्यूटर टेक्नोलॉजी रियलिटी बन गए हैं, वहीं इस कहानी की हकीकत और भी गहराई में आ जाती है। कॉमिक्स का हर पन्ना एक सिनेमाई फ्रेम है जैसे – अलौकिक, यांत्रिक हथियार, अंतरिक्ष यान और जमीनी लड़ाई। माइक्रो पारद जैसे काल्पनिक ऊर्जा संसाधन के रूप में दिखाना, रोबोट विध्वंसक का एडवांस होना – आज की एआई और स्वच्छ ऊर्जा पर चर्चा के संदर्भ में बहुत ही दूरदर्शी है। टीम में समन्वय, योजना और मिशन निष्पादन, सब कुछ में परिपक्वता दिखाई गई है।

कहानी अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ती है, भरपूर और बेहतरीन स्प्लैश पेज के साथ, कुल 50 पेज की वन-शॉट कहानी जो मनोरंजन में कोई कसर नहीं छोड़ती। कुछ पृष्ठों पर थोड़ा रिपीटेशन जरुर है, लेकिन एक्शन और रोमांच इसकी भरपाई कर देता है। यदि आपने यह कॉमिक्स नहीं पढ़ी है, तो आप एक क्लासिक मिस कर रहे हैं। यह न सिर्फ मनोरंजन देती है बल्कि ये भी दिखाती है कि भारतीय कॉमिक्स कितनी विज़नरी रही हैं। आभार – कॉमिक्स बाइट!!

