हवालदार बहादुर (Hawaldar Bahadur)
“हवालात में सड़ा दूंगा!” – ये तकिया कलाम मेरे जैसे लाखों बच्चों के जुबाँ पर होता था. आज ये यदा कदा ही बड़ो के मुंह से सुनाई देता है, मनोज कॉमिक्स छपना 2000 के दशक के उत्तरार्ध में बंद हो गई, इनकी लाखों प्रतियाँ छपती थी तो आज भी आपको ये काफ़ी लोगों के पास दिख जायेंगे, मनोज कॉमिक्स में बहोत से किरदार थे (उनके बारें में जानने आप यहाँ क्लिक कीजिये – मनोज कॉमिक्स करैक्टर्स) लेकिन कुछ किरदार बड़े ही खास और लोगों के पसंदीदा थे जिन्हें बच्चे क्या बड़े भी बड़े मन से पढ़ते थे. इनमे से बहोत लोकप्रिय रहे जैसे राम-रहीम, क्रूकबांड, महाबली शेरा, तूफ़ान, इंद्र, त्रिकालदेव और सबका प्यारा – हवलदार बहादुर (Hawaldar Bahadur)!
हवलदार बहादुर के किरदार के जनक रहे स्वर्गीय “जितेन्द्र बेदी” जी और लेखक अंसार अख्तर जी. हवलदार बहादुर की पहली कॉमिक्स का नाम था ‘हवलदार बहादुर’ (पढ़ कर लग रहा है ना क्या पढ़ रहा हूँ, ही ही ही) और संख्या थी MC #541, ये मनोज चित्र कथा के वर्ग में प्रकाशित हुयी थी, इसे कलेक्टर्स बहोत पसंद करते है और इसे MCK (एमसीके) के नाम से भी जाना जाता है लेकिन क्या आपको पता है की श्रीमान बहादुर सिंह जी (ये उनका असली नाम है) “हवालदार बहादुर” कैसे मिला, इस बात जिक्र इनके प्रथम अंक में मिलता है जब हवलदार ने डाकुओं की एक टोली को अकेले ही ढेर कर दिया था, हालाँकि वो खुद ढेर होना चाहते थे क्योंकि की ये बस नाम के ही हवलदार थे, इनके रास्ते हमेशा ही लगे रहते थे और कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा इन पर हाँथ साफ़ कर के चलता बनता. लेकिन ‘हवलदार बहादुर’ के पहले अंक में जब बहादुर सिंह ने अकेले ही तीन डाकुओं को परास्त किया तब इन्हें उनके गणनीय इंस्पेक्टर खड़गसिंह ने ‘हवलदार बहादुर’ की उपाधि दी. अब भाई “खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान”.
हवलदार बहादुर की खास बात ये भी थी की उनके चित्रकार हमेशा ‘बेदी’ जी रहे और लेखक अंसार जी, ये इन आर्टिस्टों की महानता ही है की मनोज कॉमिक्स में ‘हवलदार बहादुर’ हो या राज कॉमिक्स में ‘बांकेलाल’, दोनों ही किरदार सर्वकालीन भारतीय कॉमिक्स के टॉप 10 में जगह बनायेंगे. बेदी जी के कॉमिक्स करैक्टर ‘लार्जर देंन लाइफ’ है और रहेंगे. इनके गुदगुदाते व्यंग और चुटीले संवाद हमारे मन में सदा ताज़े रहेंगे. हवलदार बहादुर की कहानियां पहले श्री ‘विनय प्रभाकर’ जी लिखते थे और बाद में उनका दरोमोदार संभाला श्री ‘अंसार अख्तर’ जी ने. अंसार अख्तर जी ने अंत तक हवलदार का साथ नहीं छोड़ा और हमे एक से बढ़कर एक कहानियां प्रस्तुत की. जो पाठक नहीं जानते उन्हें बता दूं की अंसार जी ही असल में ‘विनय प्रभाकर’ हैं।
मनोज कॉमिक्स के अपने पिछले लेख में मैंने बताया थे की मनोज की एक और खास बात थी की उनके बनाये गए कॉमिक्सों के नाम बड़े ही चटपटे और अजीबो-गरीब होते थे, हवलदार की कॉमिक्सें भी उनमें से ही एक थी की नाम पढ़ कर ही आपके हंसी के ठहाके फूट पड़े. नीचे कुछ नाम जो बोलने में तो थोड़े कठनाई पूर्वक लगेंगे लेकिन ये कॉमिक्स पाठकों के दिलों में अपनी आमिट छाप छोड़ गए.
हवलदार बहादुर के कुछ प्रकाशित मनोज कॉमिक्स (Manoj Comics)
- हवलदार बहादुर और साठ लाख का बकरा
- हवलदार बहादुर और फ़ुफ़ोडा
- हवलदार बहादुर और भड़भड़झेड़ा
- हवलदार बहादुर और टुंडाटू
- हवलदार बहादुर और सूजडू का अंडा
- हवलदार बहादुर और किंग तूतिया
- हवलदार बहादुर और भोटा भाड़ व अन्य
शक्तियां
वैसे तो हवलदार सिंह एक आम इंसान ही है, दिखने में पतले दुबले और शस्त्र के नाम पर उनके पास मात्र एक पुलिस का डंडा और कई बार रिवाल्वर भी दिखी है. ड्राकुला सीरीज में तो हवलदार ड्राकुला तक को “हवालात में सड़ाने की’ धमकी दे देता है. इस मजेदार किरदार की कॉमिक्स आप बिलकुल भी मिस नहीं कर सकते हालाँकि ये अभी बाज़ार में उपलब्ध नहीं है लेकिन पिछले साल ‘एमआरपी बुक शॉप’ के प्रयासों से अंसार अख्तर जी द्वारा हस्ताक्षरयुक्त कुछ सीमित प्रतियाँ बाज़ार में उपलब्ध हुयी थी और लोगों ने इसे हांथो हाँथ लिया था.
अपने उलटे सीधे तरीकों से बहादुर सिंह हर बार अपराधियों की पुंगी बजा ही देता था. हवलदार को डरपोक भी बताया गया है और सुस्ती के तो ये बादशाह है लेकिन बात जब ‘सेविंग द डे’ वाली हो तब हवलदार बहादुर अपराधियों को हवालात में सड़ने/सड़ाने में सबसे आगे रहता था. हवलदार शादी शुदा है और उसकी एक मोटी पत्नी भी है जिससे वो बड़ा परेशान रहता है, पत्नी इनकी कुटाई भी बड़ी जबरदस्त करती है, सीधे शब्दों में कहें तो “न घर के घाट के”.
पर एक बात ये भी जोड़ना चाहूँगा की हवलदार बहादुर की कॉमिक्स में हास्य व्यंग के अलावा भी दुसरे अन्य ‘रस’ होते थे, शायद ये मनोज कॉमिक्स की विशेषता ही थी की इनकी कहानियां कई बार काफी ‘डार्क’ और ‘पेचीदा’ होती थी, इनमे काफी मार-काट दिखाई जाती. उम्मीद है आपको हवालदार पर लिखा ये लेख पंसंद आया होगा, आभार – कॉमिक्स बाइट!!