बाल पत्रिकाएँ – नन्हे सम्राट का मूर्खिस्तान और जूनियर जेम्स बांड (Baal Patrikayn – Nanhe Samrat’s Moorkhistan And Junior James Bond)
पुरानी यादों में गोता लगाइये – नन्हे सम्राट में प्रकाशित स्तंभ सुखवंत कलसी के मूर्खिस्तान और जूनियर जेम्स बॉन्ड के साथ! बाल पत्रिकाओं का वही शानदार एहसास। (Take a trip down to memory lane, pure Nostalgia with Sukhwant Kalsi’s Moorkhistan and Junior James Bond, based on column published in Nanhe Samrat! The same great feeling of children’s magazines.)
आज नन्हे सम्राट बाल पत्रिका (Nanhe Samrat Baal Partrikayn) को बंद हुए लगभग 3 साल से उपर हो चुके हैं। बच्चों के बाल पत्रिका के नाम पर आज से 5 वर्ष पहले भी बहुत से मैगज़ीन आते थे और यहाँ मैं खासकर हिंदी पत्रिका के बारे में बात कर रहा हूँ। चंदामामा (Chandamama) के बंद होने का बाद भी कम से कम नंदन (Nandan) और नन्हें सम्राट जैसे बाल साहित्य ने इस ढांचे को बचा रखा था हालाँकि दीमक तो कंप्यूटर युग के साथ ही इसमें लग चुकी थीं, चल रही थी कुछ बची हुई सांसे जिसे कोविड काल के लॉकडाउन ने छीन लिया। जब इन बाल पत्रिकाओं के ‘शटडाउन’ की खबर लगी तो एक बारगी विश्वास नहीं हुआ! नंदन तो स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के समय काल से चली आ रही पत्रिका थीं वहीं नन्हें सम्राट भी 4 दशक से अपनी ऐतिहासिक पारी खेल रही थी लेकिन लाखों की संख्या में बिकने वाले इन बाल पत्रिकाओं के बुरे दिन तो स्मार्टफ़ोन के आने और भी बढ़ चुके थे। हिंदी भाषा के प्रति देश में एक नकारात्मक माहौल भी इसका एक मुख्य कारण रहा जिस पर किसी भी सरकार का ध्यान नहीं गया। ‘राजभाषा हिंदी‘ का बुरा हाल और कई प्रदेशों में आज भी हिंदीभाषी लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इन पत्रिकाओं का मुख्य व्यापार तो वैसे भी भारत के नार्थ बेल्ट से आता था लेकिन इंटरनेट के सस्ते होते ही मनोरंजन के साधन बदल गए एवं लाखों प्रतियों से कब इनके ‘प्रिंट रन’ हजारों में आ गए इसका संज्ञान प्रकाशकों ने भी थोड़ी देर से लिया। वैसे भी एक कारण स्थापित व्यवसाय को आगे ना बढ़ा कर अगली पीढ़ी का नए ज़माने के रंग में रम जाना भी रहा (वोक जनरेशन)। खैर हम आज बाते कितनी भी कर लें लेकिन लोगों का भी (पाठकों का) पूर्ण सहयोग इन संस्थाओं को नहीं मिला जिसका खामियाजा आज इन बाल पत्रिकाओं का हमारे बीच ना होना है जिसे अब बदला नहीं जा सकता।
पढ़ें – बाल पत्रिकाएँ – नंदन और नन्हे सम्राट (Nandan & Nanhe Samrat)
कॉमिक्स बाइट पर कार्टूनिस्ट और कॉमिक बुक लीजेंड श्री सुखवंत कलसी के मूर्खिस्तान को प्रकाशित करने एक कारण यह भी रहा की हमारे देश की बाल साहित्य से जुड़ी ये यादें कहीं खो ना जाएँ और जब फ्लाईड्रीम्स कॉमिक्स ने इनके प्रकाशन की घोषणा की तो मन में अपार खुशी का भाव भर उठा। यहाँ ना सिर्फ मूर्खिस्तान अपितु उनके एक और पात्र ‘जूनियर जेम्स बांड‘ की कॉमिक्स में उन्होंने अपने ‘लिस्ट’ शामिल की। आज इनकी Unboxing करते हुए मन एक बार फिर उसी दौर में पहुँच गया जब इन मासिक पत्रिकाओं का इंतजार हम बाल पाठक बड़े ही बेसब्री से किया करते थे और अखबार वाले भैया के इन्हें हाँथ में देते ही सबसे पहले मन कलसी जी कि मूर्खिस्तान कॉमिक स्ट्रिप्स, जूनियर जेम्स बांड और दिमागी कसरतों में लगाया जाता था। फ्लाईड्रीम्स पब्लिकेशन ने इन्हें दोबारा काग़ज पर छाप कर उन लोगों पर कृपा की है जो आज भी स्मार्टफ़ोन के स्क्रीन टाइम में अपना आधा जीवन नहीं गुज़ार रहे एवं कुछ अच्छा पढ़ना चाहते है।
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हो सकता हैं कई लोगों को यह जरा बचकाना लगे लेकिन यही बचकानापन तो हम सभी को इंसान बनाता है! क्योंकि प्रातः 3 बजे लगभग सुन्न हो चुके दिमाग और बोझिल आँखों में नींद लेने के बाद अपने सपनों में आप एक भी कल्पना ना कर पा रहें तो गलती आपकी नहीं बल्कि आपके आदत की है। यकीं मानिए, चाहे सोने के पहले आप कोई किताब पढ़ें या कॉमिक्स (15 से 30 मिनिट के लिए ही सही), नींद का पता नहीं लेकिन यह आपको एक अच्छी सुबह का वादा जरुर देगी। देव कॉमिक्स स्टोर से आया यह पार्सल वाकई में ‘नास्टैल्जिया‘ की सुपर पॉवरफुल ख़ुराक है जिसमें मुझ जैसे नब्बें के दशक का बाल पाठक उस बीते दौर को महसूस कर पा रहा है। भाई कमाल का कार्य है फ्लाईड्रीम्स कॉमिक्स का और उन्हें हमारी ढेरों शुभकामनाएं। पाठक भी ‘नन्हें सम्राट’ बाल पत्रिका से जुड़े अपने किस्से हमसे साझा करें जिसे कॉमिक्स बाइट के किसी आगामी पोस्ट में जगह दी जाएगी। आज आनंद का दिन हैं, क्रिकेट वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भारत का प्रवेश या क्रिकेटर श्री विराट कोहली का अपने पैंतीसवें जन्मदिन पर ऊँचास्वां (49) शतक या अपनी पसंदीदा बाल पत्रिका नन्हें सम्राट के कॉमिक स्ट्रिप्स को फिर से अपने हाँथों में लेकर पढ़ना। वैसे क्रिकेट की बात करते हुए एक और मैगज़ीन की याद आ गई जिसको क्रिकेट प्रेमियों ने काफी पढ़ा है एवं उसका नाम था ‘क्रिकेट सम्राट’ (Cricket Samrat) जिसकी चर्चा किसी और दिन करेंगे! अब क्या-क्या सेलिब्रेट करेंगे आप! आभार – कॉमिक्स बाइट!!
शानदार शानदार शानदार
कॉमिक्स और आपका इतने अच्छे तरीके से बताना । आज स्कूल से घर जाते ही इन हीरों को फिर से निकाला जाएगा और दीपावली की छुटियों का आनंद कॉमिक्स पढ़ कर लिया जाएगा । मेरे 6 साल के बेटे को भी इन कॉमिक्स का आर्ट मस्त लगा तो पूरी संभावना है कि इस आर्ट को वो अपनी स्टाइल रिक्रिएट करेगा और कॉमिक्स भी पढ़े 🙏🏻🚩
हार्दिक धन्यवाद दिलीप जी, आप नन्हें पाठक के विचार और आर्टवर्क भी हमसे जरुर साझा करें, कॉमिक्स बाइट बच्चों को प्रोत्साहन देने के लिए तत्पर हैं.