जेम्सबांड का बाप – हवालदार बहादुर – मनोज कॉमिक्स (James Bond Ka Baap – Hawaldar Bahadur – Manoj Comics)
कॉमिक्स समीक्षा: जेम्सबांड का बाप – हवालदार बहादुर – मनोज कॉमिक्स (Comics Review: James Bond Ka Baap – Hawaldar Bahadur – Manoj Comics)
“हवालात में सड़ा दूँगा”, ऐसे प्रतिष्ठित संवाद आजकल पढ़ने को नहीं मिलते! हवालदार बहादुर (Hawaldar Bahadur) एक ऐसा ही किरदार हैं जिसे लेखक अंसार अख्तर जी और चित्रकार जितेंदर बेदी जी ने वो मुकाम हासिल करवाया जो बड़े-बड़े सुपरहीरो भी नहीं कर सके। अपने मजाकिया लेकिन कड़क अंदाज और सिचुएशनल कॉमेडी के चलते ‘हवलदार बहादुर’ भारत के पाठकों के ह्रदय में रच-बस गया। इंस्पेक्टर खड़गसिंह और पत्नी चम्पाकली उसके सहायक किरदार रहे। इस पात्र का नाम भले ही बहादुर हो लेकिन यह एक नंबर का डरपोक इंसान हैं, पर शायद भगवान इतनी कृपा हैं हवालदार पर की कोई ना कोई जुगत भिड़ा कर ये ‘नौने पों’ को ‘पोने नौ’ कर ही देता हैं। मनोज कॉमिक्स के सबसे प्रसिद्ध किरदारों में से एक हवालदार ने दो दशकों तक पाठकों का मनोरंजन किया और पिछले दो वर्षों से लगातार इसकी पुन: मुद्रित कॉमिक बुक्स फिर से पाठकों के लिए उपलब्ध हो रही हैं।
जेम्सबांड का बाप – हवालदार बहादुर (James Bond Ka Baap – Hawaldar Bahadur)
हवालदार बहादुर वाकई में जेम्स बांड का बाप हैं! बहुत ही साधारण सी कहानी है लेकिन उसे इतने अच्छे तरीके से दर्शाया गया है कि आपको वहां पर हास्य का पुट, व्यंग और हंसी के फव्वारे भरपूर मिलेंगे। कहानी शुरू होती हैं थाने के बाहर ‘खड़ग सिंह’ को बंदूकों के चलने की आवाज आती हैं, वह अपने सहायक को बोलता है कि शायद थाने पर हमला हुआ है और आओ हम मिलकर उनका मुकाबला करते हैं। लेकिन बाहर जाने पर उन्हें कोई दिखाई नहीं पड़ता है उल्टा “हवालदार बहादुर” अपनी एक कार के साथ वहां उनसे मिलने आया हुआ होता है जिससे अजीब-अजीब सी आवाज निकल रही है। वही आवाज बिलकुल बंदूक चलने जैसा आभास दे रही थीं। खड़ग सिंह उसे इंजन बंद करने को कहते हैं और फिर हवलदार उन्हें यह बताता है कि वह छुट्टी पर जा रहा है। हवलदार खड़ग सिंह से अपने एक रिश्तेदार को मिलवाता है जो बातों ही बातों में खड़क सिंह को उठाकर पटक देता है जिससे खड़ग सिंह ‘हवलदार’ पर बहुत गुस्सा हो जाते हैं। यह रिश्तेदार चंपाकली (हवालदार की पत्नी) का भाई था जो गांव से हवलदार के यहाँ शहर घूमने आया था। अब हवलदार का ‘टुंडे’ (चम्पाकली का भाई) की हरकत के कारण दिमाग खराब हो जाता है तो वह चंपाकली से कहता है “चलो हम कहीं बाहर घूम कर आते हैं अपनी कार में”।
कहानी आगे बढ़ती है और शहर में चंपकलाल जौहरी के यहाँ चोरी-डकैती हो जाती है। जहां पर दुकान से दो चोर ‘हीरे’ छीन के ले जाते हैं, बातों ही बातों में हवलदार भी उनसे टकरा जाता हैं। हवलदार इनका पीछा करता है और अपनी अनोखी कार (जैसे जेम्स बांड की फिल्मों में दिखाया जाता हैं) से कई अनोखे कारनामें करता हैं एवं अंततः उन चोरों को पकड़ लेता है और उनकी जमकर धुनाई भी करता है। लेकिन असलियत से वो कोसो दूर था क्योंकि असल में वह सपना देख रहा था और चोरों की जगह वह अपने घर का सामान तोड़ रहा होता है।
‘टुंडे’ चंपाकली से हवलदार की शिकायत करता है और बात समझ में आती हैं की सुबह ‘हवालदार’ ने अखबार में चोरी की खबर पढ़ी थीं तो खुद को वह अपने सपने में जेम्स बांड (James Bond) के रूप में देख रहा था एवं उसने अपने सपने में ही उन चोरों की धुनाई कर दी। अब चोर तो नहीं पकड़ में आएं पर नींद में अपनी हरकतों के कारण उसने घर का सामान पूरा तोड़ दिया। इस बात से चंपाकली बहुत गुस्सा होती है और उसे मनाने के चक्कर में हवलदार अपनी कार में लेकर उसे घुमाने शहर के बाहर निकल पड़ता है। शहर में आगे जाकर हवलदार की कार गर्म होकर खराब हो जाती है जो जंगलों के बीच में कहीं होता हैं। खराब गाड़ी के लिए चंपाकली उसे बड़े ताने मारती है तो हवलदार उससे कहता है कि कोई बात नहीं है और गाड़ी ठंडा होने का इंतजार करता है।
अचानक ही उसे एक लाश दिखाई पड़ती है! क्योंकि वह खुद भी एक पुलिस वाला था तो वह लाश को अकेला छोड़ नहीं सकता था, इसलिए हवलदार उस लाश को गाड़ी में डालकर चंपाकली के साथ आगे निकल जाता है। आगे जाकर जंगलों की ओर उन्हें एक बदमाश मिलता हैं जो उसे अपना बंधक बना लेता हैं। उस अपराधी के हाथ में बंदूक थीं और वह हवलदार की गाड़ी में बैठ जाता है एवं उसे 50 किलोमीटर पीछे जाने को कहता है। गाड़ी रुकने पर वह कुछ ख़ोजबीन करने लगता हैं लेकिन उसे कुछ दिखाई नहीं पड़ता। चंपाकली ‘हवालदार’ को दुत्कारती हैं और खुद ही अपराधी से दो-दो हाँथ करने उतर पड़ती हैं। तभी हवालदार वहां भूत होने का नाटक करता हैं और अपराधी को अपने बातों के जाल में फंसा कर उलझा लेता हैं। चंपाकली बस इसी मौके का इंतजार कर रही होती है एवं वह तुरंत पर अपराधी को पीट कर चित कर देती हैं। बाद में यह जानकारी प्राप्त होती हैं की यह दोनों वही थे जिन्होंने हीरो की चोरी ‘चंपकलाल’ जौहरी के यहां की थीं। आखिरकार, हवलदार बहादुर अपने दिमाग के बदौलत उन चोरों को पकड़ ही लेता हैं।
अगले दिन पेपर में खड़ग सिंह जब समाचार को पढ़ते हैं तो उन्हें बड़ी कोफ्त होती है! वह सोचते हैं कि अरे यह हवलदार तो छुट्टी पर जाते-जाते भी अपना एक कारनामा कर ही गया और वहीँ हवलदार भी कहता है कि मुझे पता था कि मेरी खबर पढ़कर खड़ग सिंह ऐसे ही रोएगा! ही, ही, ही! तो यह बहुत ही साधारण और प्यारी सी कहानी थीं जिसमें हास्य का जबरदस्त तड़का था। आपको यह समीक्षा कैसी लगी? अपने विचारों से हमें जरुर अवगत करवाएं, आभार – कॉमिक्स बाइट!!
Pack of 8 Books – Set 5 Of Hawaldar Bahadur Comics – Manoj Comics